Find the Latest Status about गद्यांश from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गद्यांश.
तेरे बिन अधूरा सा हूं...!!❤️
"लक्ष्य" ______ राह मिलेगी चलने को साथी तुमको अनेक लेकिन लक्ष्य बनाओ,सफलता पाने को एक। बिना लक्ष्य के जीवन तुम्हारा व्यर्थ है लक्ष्य बिना जिंदगी तुम्हारी अस्त-व्यस्त है। गिरो गर कई बार तुम,बार-बार उठना सीखो सफलता मिलेगी एक दिन तुमको मन में दृढ़ संकल्प बना कर रखो। सफलता-असफलता जिंदगी का उसूल है लक्ष्य बनाकर न चलना जिंदगी की बड़ी भूल है। जिसका लक्ष्य बनाओ तुम,स्वप्न में भी वो आए तुमको रात भर जगाए लक्ष्य का याद दिलाए। || गद्यांश १ || #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #rzकाव्यसंरचना
Ojaswani Sharma
Indian Army Day चल पड़ा हूँ लड़ने देश के लिए मैं जंग, माँ, होगी दिल में तू हर पल मेरे संग, जब खून की होली सरहद पर खेली जाएगी, पापा, तब आपकी प्यार वाली डाँट याद आएगी, भूलकर सब जंग के लिए मैं तैयार हो जाऊँगा, बहन, पर तेरे से किया हर वादा मैं निभाऊँगा, पता नहीं मुझको कि क्या लिखा है जिंदगी में कल, प्रिय, रहोगी दिल में मेरे तुम हर पल, चली जाए अगर वहाँ वतन के लिए मेरी जान, बच्चों, बनाए रखना तुम सदैव घर का मान, भारत माँ के पुत्र होने का फर्ज बखूबी निभाऊँगा, चलकर ना सही तो तिरंगे में लिपटकर वापस जरूर आऊँगा । ©Ojaswani Sharma द्रितीय (दूसरा) अंश गद्यांश वतन के लिए जंग में जाते वक्त उसके मन के भाव अपने परिवार के लिए इस कविता द्वारा- #ArmyDay
Ojaswani Sharma
Indian Army Day नन्ही किलकारी से चारो तरफ खुशियां है छाई, बेटे के जन्म पर बाप ने मिठाई है बटवाई। माँ बाप ने संजोके आँखों में सपने हज़ार, न्योछावर कर दिया बेटे पर अपना प्यार। बड़ा हुआ, अपने अंदर उसने एक जूनून पहचाना, देश की रक्षा करना उसने अपना परम कर्तव्य माना। माँ बाप के मन में यह कैसी व्यथा आयी, आखिर कैसे भेज दे बेटे को सीमा पर करने लड़ाई। फीकी पड़ गयी व्यथा बेटे के जूनून के आगे, भेज दिया उसको सरहद पर बांध के मन्नतो के धागे। ©Ojaswani Sharma ****सैनिक**** प्रथम (पहला) अंश गद्यांश जब बेटा पैदा होता है, तब कितनी खुशी का माहौल होता है, उस माहौल को वर्णित करती ये कविता- #ArmyDay
Ojaswani Sharma
Indian Army Day फिर अख़बार के पन्नो पर यह पैगाम आया है, फिर एक शहीद का बलिदान आया है। फिर सबका खून खौल उठा है, फिर ये सोशल मीडिया बोल उठा है। फिर सबने नारे शहीदों के नाम के लगाए है, फिर उनके परिवार के साथ सबने कंधे मिलाये है। 2 दिन का जूनून ख़त्म हुआ, भूल गए सब कुर्बानी, शहीदों के नाम की फिर छा गयी वो ही गुमनामी|| ©Ojaswani Sharma तृत्य (तीसरा) अंश गद्यांश घर में त्यौहार का माहौल है, २ दिन बाद घर का चिराग सरहद से लौटने जो वाला है। सब बहुत खुश है, तभी अचानक कुछ खबर आती
Ojaswani Sharma
Indian Army Day माँ का आँचल बेनाम हो गया, बाप का सहारा कही गुमनाम हो गया। करवाचौथ का चाँद अनजान हो गया, राखी का बंधन बलिदान हो गया। अंधेरो में खो गया बच्चो का वो अभिमान, हमे रोशिनी देकर, एक और घर का चिराग हो गया कुर्बान। वर्दी पहने बेटे ने अपना वादा बखूबी निभाया, भारत माँ का पुत्र बन तिरंगे में लिपटकर वो वापस जरूर है आया|| ©Ojaswani Sharma चतुर्थ (चौथा) अंश गद्यांश हम सब भूल जाते है और पहले की तरह ही अपने ज़िन्दगी व्यतीत करने लग जाते है, पर उनके परिवार वाले, उनके लिए ये सब कित
Rashmi Hule
संदर्भ:- गद्यांश १ जीवन की राहें कठीन सही तुझे लक्ष को पाना हैं गढ़ नजर अपने लक्ष पर तुझे चलते रहना हैं माना कठीन राह हैं ऊंचाईयों की चाह हैं गीर जायेगा सौ बार उठकर फिर चढ़ना हैं कट जायेंगे कभी पर तेरे सपने होंगे ओझल तेरे भर पंखो में बल हिम्मत से काले बादलों को पार करना हैं एक बार तू लक्ष को पायेगा जिवन सुखद हो जायेगा खुशियों के मेले होंगे हजार होगी चारों तरफ तेरी जयजयकार संदर्भ :- ||गद्यांश १|| जीवन की राहें कठीन सही तुझे लक्ष को पाना हैं गढ़ नजर अपने लक्ष पर तुझे चलते रहना हैं
Poonam Suyal
लक्ष्य तय है (अनुशीर्षक में पढ़ें) गद्यांश 1 ललक्ष्य तय है लक्ष्य तय है मेरा नहीं है किसी बात का डर चल चुकी हूँ मैं मंज़िल की ओर परिणाम की मुझको नहीं है फ़िकर
Insprational Qoute
काव्यसंरचना गद्यांश:-२ शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण ******************************** सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है, मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े😊 काव्यसंरचना गद्यांश:-२ शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण ******************************** सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य