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गौतम विश्वकर्मा

"स्वच्छ भारत मिशन" #nojotophoto

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 "स्वच्छ भारत मिशन"

jitendra kumar pandey

स्वच्छ भारत मिशन #विचार

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अब भारत मिशन में सहयोग करें ।और उपहार में स्वच्छ भारत का सपना साकार करें।
हिमांशु पांडे
सुल्तानपुर स्वच्छ भारत मिशन

jitendra kumar pandey

स्वच्छ भारत मिशन हमें कूड़ा करकट डस्टबिन में डालना चाहिए अगर कूड़ा करकट अपने आस-पास हो तो उसे साफ कर डस्टबिन में डालें इस तरह से डेंगू मलेरि #nojotophoto

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 स्वच्छ भारत मिशन हमें कूड़ा करकट डस्टबिन में डालना चाहिए अगर कूड़ा करकट अपने आस-पास हो तो उसे साफ कर डस्टबिन में डालें इस तरह से डेंगू मलेरि

kumar vishesh

स्वच्छ भारत मिशन

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Clean India 

स्वच्छ भारत मिशन
   
चलो आज कुछ नया करते हैं
सफाई अभियान को पूरा करते हैं
मैंने प्लास्टिक की चीजो में सामान लेना
बंद किया है
अपने घर से थैला खुद लिया है
बाजार में जाऊंगा
कपड़े का थैला लेकर जाऊंगा
मैंने सोच बदली है
अब देश बदलेगा
हिंदुस्तान का भेष  बदलेगा
गांधी महान 
यह है स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत मिशन

गौतम विश्वकर्मा

स्वच्छ भारत मिशन

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स्वच्छ भारत आइये हम सब मिलकर  "स्वच्छ भारत मिशन" को सफल बनावें तथा  पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लें। स्वच्छ भारत मिशन

Kaushal Kumar

#स्वच्छ भारत मिशन #विचार

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गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल

ये अक्सर सुबह-सुबह बजने वाला हनुमान चालीसा नही है, कोई अन्य भजन नही है, अजान की आवाज नही है।

शहरी क्षेत्रों में कइयों की निद्रा प्रायः इसी गीत से टूटती है। अप्रत्यक्ष रूप से ये कहता है कि मैं आ गया हूं अपने घर का कचरा निकालकर मुझे दे दे। सूखा कचरा अलग देना, गीला अलग देना और केमिकल वेस्टेज अलग देना।

कचरा देने तक तो बात ठीक है। पर उसे अलग करने में जो मेहनत है वो मानवजाति से घर पर नही होती। हो भी तो कैसे। उसका काम कचरा अलग-अलग रखना थोड़ी है। अलग-अलग रखने के लिए तीन कूड़ेदान कौन रखे। और एक-एक करके उसे देने की मेहनत कौन करे।

ये ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं, अच्छे से बने पुते मकान वालों का काम कचरा अलग रखना या उसे उठाना नही है। उनका काम कचरा करना है। इसे उठाने का काम तो उसका है जो खुद एक मानव कचरा है। 

गंदगी इसीलिए दिखती है क्योकि करने वाले ज्यादा है। ना करने वाले कम। कूड़ा उठाने वाला एक दिन नही आये या देर से आये तो ये भद्रजन अपना ही कूड़ा उठा कर अपने पिछवाड़े या अगल-बगल अगर खाली है तो दे मारते हैं। फिर जब वहाँ इकट्ठा हो जाता है और दुर्गंध शुरू होती है तो सरकार को गरियाते हैं कि कोई साफ नही करता।

कार्यालय में जहां बैठेंगे वहां नीचे रखे कूड़ेदान में थूक मारेंगे। और तो और लघुशंका करने जाएंगे तो उसी जगह पर मूत्र विसर्जन से पहले तम्बाकू/गुटखा विसर्जित कर देंगे। फिर जब वह जाम हो जायेगा तो खुद की ही नाक पकड़ कर या भौहें सिकोड़कर हल्के होंगे। और बाहर निकलते ही मन का कचरा गाली के रूप में निकालेंगे।

इन आदतों पर सुधार के प्रयास बहुत किए जा रहे पर समुचित प्रगति नही दिखती। किसी ने कहा कि लोगो के घर से ज्यादा कचरा उनके दिमाग मे है। घर या कार्यालय वाला कचरा तो ये गाड़ी वाले निकलवा कर ले जाते हैं। पर दिमाग वाला कैसे निकले। कमेटी बनी। निर्णय हुआ जहाँ लोग थूकते है वहाँ एक बार सफ़ाई करके भगवान की फ़ोटो लगा दी जाए। उससे लोगो का दिमाग थूकने के लिए नही कहेगा। बेचारे भगवान भी शामिल हो गए दिमागी गंदगी को साफ करने में। पर मनुष्य हैं, माने कैसे, दो चार कदम हटकर, कोना देखा और उड़ेल दिए। 

फिर चर्चा हुई तो बात निकल कर  आयी की सफाई इसलिए नही है क्योकि सफ़ाई कर्मी कामचोर हैं। इनका वेतन काटा जाना चाहिए। फिर वही हुआ।...

©Kaushal Kumar #स्वच्छ भारत मिशन
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