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writer abhay
मुझको मुझ पर ऐतबार नहीं, उसकों मुझसे अब प्यार नहीं. साल महीने बड़े बेख़बर है, इनको भी मेरा इंतजार नहीं. हिजरी भी पहले जैसी नहीं, इसमें मेरा वाला इतवार नही. छोड़ दो मुझको यहीं कहीं, शायर हूँ मैं कोई बीमार नहीं. तरन्नुम वाली ग़ज़ल हिजरी - कैलेंडर
Akanksha gautam😊
नया साल नई उमीदें नए संकलप और कुछ नए वादे कुछ नए लोग कुछ नई बातें कुछ नई राहें तो कुछ अनकहीं रातें नए फूल तो जिंदगी में कुछ नए कांटे नए अनुभव जो नई बातें सिखाते नई सोच लाओ हिंदू नववऱष मनाओ जब दिवाली,दशहरा,होली ननाते तो,हिंदू नववऱष मनाने में कयों हिचकिचाते? भारतीय होने का गऱव तो दुनिया को दिखाते पर नया साल तो हम भी 1 जनवरी को मनाते तो अब शुरू करो एक पहल अपने देश के घर घर को बनाओ महल सबको नव संवत की बहुत शुभकामनायें भगवान सबकी जिंदगी को सफलता के शिखर पर पहुंचायें😊 #नववर्ष नव संवत की शुभकामनायें😊😊
DR. LAVKESH GANDHI
हमें याद रखना कि हम हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत,2078, 29 मार्च, 2021 को मनाएँगे... बोलिए जय श्री राम!!!🙏🙏🙏🙏🙏 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 1 जनवरी को सिर्फ हमें अपने ईसाई मित्रों को उनके ईसाई नव वर्ष पर बधाई देनी है. 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 हमें सिर्फ नया कैलेंडर बदलना है. नया कैलेंडर वर्ष 2021 मनाना है. विक्रम संवत #विक्रम संवत 2078# #yqnavvarsh #yqnewyear # #yqbaba #yqdidi #
hindi kalam se official
अपनी ममलुक़त सुलग़्ते देखो इस बग़ावत को रोक कर देखो तुम समंदर की स्याही बनाओ या हर अश्क़ हर ख़ूँ से अपने झूँठे सच दोहराओ फिरसे लाठी, गोलियाँ चलाओ इनकी हिम्मत तोड़ कर देखो मगर ये कोशिश भी बेकार है आज़ादी एक बुख़ार है जो पारद के पार है इश्क़ इंक़लाब, इनकी शिफ़ा भी अब इंक़लाब है बगावत की शुरुआत
mkbwri8s
रिश्ते की शुरुआत मन में ख्वाब और ढेर सारे उम्मीद लेकर शुरुआत होती है पर जब बिस्वास टूट जाता है तब रिश्ते की अहमियत कुछ नहीं रहता सिर्फ यांदे दिल मै दर्द बनकर सताता है ना जीने कितना अशुन गीराना पड़ता है और रिश्ते की याद में हर पल मरना पड़ता है #रिश्ते की शुरुआत
Samir Jaha
ना मिलाया कर नज़र से नज़र ऐ जालिम फिर से कही मोहब्बत की शुरुआत ना हो जाये मोहब्बत की शुरुआत......
S. Bhaskar
शुरुआत हमने की लोगों के मन में बहुत सारे सवाल खड़े थे, बस किसी के हाथों के डोर हम पकड़े थे, दीवारों के बीच में अब सांस भी थमने लगी, तोड़ के सारे बंधन शुरुआत हमने की। यहां जंगल का राजा भी नाखुश है लोगों के आचरण से, प्रजा भी दुखी है राजन के आचरण के कारण से, अब तक तो घुटन सबको ही है होने लगी, शायद आजादी कि शुरुआत हमने की। दीवारें परत दर परत चढ़ने को तैयार खड़ी थी, सारे समाज में जंग बस शुरुआत की बड़ी थी, लोगो के मन में जाने कैसे ये आग लगी, लोगो के भ्रम तोड़ के शुरुआत हमने की। शुरुआत हमने की