Find the Latest Status about बिकती है ना ख़ुशी कहीं from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बिकती है ना ख़ुशी कहीं.
Vicky Vidip
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है। लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है। DDL Vicky Patel बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है। लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है।
Ashu Tyagi
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है..
Shilpi Kumari
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है.. ©Shilpi Kumari बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है.. #touchthesky
Ravendra Singh
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है। लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है।। बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है। लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है।। secret shine Yash Vishwakarma Shayar Lakshmi
Writer Bikash Singh
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं, दुनिया का यकीन क्या करें, आज की यारी मतलब की, कोई किसी के लिए क्यूँ मरे। भाई भाई से करे धोखा, गैरों से उम्मीद ना रही, माना के यह कल युग है, मगर प्यार जिंदा है कहीं ना कहीं। //✍️: बिकाश सिंह// #NojotoQuote प्यार जिंदा है कहीं ना कहीं।
Mukesh More
बिकती है ना खुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है... लोग गलतफहमी में है, कि शायद कहीं मरहम बिकता है... इंसान ख्वाहिशों से से बंधा हुआ एक जिंद्दी परिंदा है, उम्मीदों से ही घायल है और उम्मीदों पर ही जिंदा है...! बिकती है ना खुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है... लोग गलतफहमी में है, कि शायद कहीं मरहम बिकता है... इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ एक जिंद्दी परिंद
Chandan Sharma
बिकती है ना खुशी कहीं और ना कहीं #_ग़म बिकता है लोग गलतफ़हमी में हैं कि शायद कहीं #मरहम बिकता है इंसान ख़्वाहिशों से बंधा हुआ एक #_जिद्दी___परिंदा है उम्मीदों से ही घायल है और #उम्मीदों पर ही #जिंदा है #Chandan_Sharma #Virat #shadesoflife बिकती है ना खुशी कहीं और ना कहीं #_ग़म बिकता है लोग गलतफ़हमी में हैं कि शायद कहीं #मरहम बिकता है इंसान ख़्वाहिशों से बंधा हुआ
Indwar Avinash
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है... लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है... इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है, उम्मीदों से ही घायल है और उम्मीदों पर ही जिंदा है...! बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है... लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है... इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिं