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Mohd asif

दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार

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विद्यार्थी राहुल

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए, 
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए!

यहाँ दरख़्तों के साए में धूप लगती है,
चलों यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए!

न हो क़मीज़ तो पाँव से पेट ढक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए! 

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही, 
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए! 

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता, 
मैं बे-क़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए!

तिरा निज़ाम है सिल दे ज़बान-ए-शायर को, 
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए! 

जिएँ तो अपने बग़ैचा में गुल-मुहर के तले,
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुल-मुहर के लिए!

●दुष्यंत कुमार
(1 सितंबर1933-30 दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

9 Love

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Shekhar Chandra Mitra

दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार

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vivek singh

#दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

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भारद्वाज

चलो कुछ गुनगुना के देखें ये शायद रात
कट जाए
ठिठुरते जिस्म की सिहरन जरा सी और
घट जाए

अब अपने मेहरबाँ से छेड़ करना भी
ज़रूरी है
भले भी शख़्सियत अपनी कई टुकड़ों मे
बँट जाए

खुदा का शुक्र है हर आदमी अब सोचता
तो है
अगर ये नींव कापें और ये दीवार हट
जाए
#दुष्यंत कुमार#पुण्यतिथि #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

5 Love

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B.Bhushan

#दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

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विद्यार्थी राहुल

होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए, 
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए! 

गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश में,
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए! 

बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन,
सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिए !

उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, 
चाक़ू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए !

जिस ने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ 
इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिए!

दुष्यंत कुमार
(1 सितंबर 1933- 30दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

10 Love

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विद्यार्थी राहुल

होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए, 
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए! 

गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश में,
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए! 

बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन,
सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिए !

उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, 
चाक़ू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए !

जिस ने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ 
इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिए!

दुष्यंत कुमार
(1 सितंबर 1933- 30दिसंबर 1975)
 #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

7 Love

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विद्यार्थी राहुल

हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, 
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए!

आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी, 
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए! 

हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गाँव में, 
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए! 

सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं, 
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए! 

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए!

● दुष्यंत कुमार
(1 सितंबर1933-30 दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

5 Love

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Shekhar Chandra Mitra

दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार

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राकेश

दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार #शायरी

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ASIF ANWAR

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

©ASIF ANWAR
  दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार #विचार

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Abundance

हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था,

कोई मुझे अंगारों की तासीर बताए
Dushyant Kumar

©MALLIKA 
  #दुष्यंत कुमार

#दुष्यंत कुमार

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Rakhi Anamika

# दुष्यंत कुमार

# दुष्यंत कुमार #शायरी

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Anurag Singh Naman

दुष्यंत कुमार

#StoryOfHonesty

दुष्यंत कुमार #StoryOfHonesty #शायरी

37 Views

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motivation

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ 

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 

तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ 

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ 

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ 

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ 

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ
दुष्यंत कुमार #दुष्यंत कुमार
#गज़ल

11 Love

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Arpit Mishra

इस बार मेरी कल्पना ने फिर वही सपने बुने,
इस बार भी मैंने वही कलियाँ चुनी, काँटे चुने,
मैंने तो बड़ी उम्मीद से तेरी तरफ देखा मगर
जो लग रही थी ज़िन्दगी दुश्वार दूनी हो गई!

इस मोड़ से तुम मुड़ गई, फिर राह सूनी हो गई!

            दुष्यंत कुमार

©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार 

#standout

दुष्यंत कुमार #standout #Poetry

9 Love

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Raj Prince

एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

- दुष्यंत कुमार

©Raj Prince # by

- दुष्यंत कुमार

# by - दुष्यंत कुमार #कविता

13 Love

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Surya Kant singh

दुष्यंत कुमार

#lovebeat

दुष्यंत कुमार #lovebeat #कविता

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truelines537

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ...

दुष्यंत कुमार "ग़ज़ल"

©truelines537 दुष्यंत कुमार
#adventure

दुष्यंत कुमार #adventure #शायरी

6 Love

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Arpit Mishra

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

                      - दुष्यंत कुमार




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©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार

#standout

दुष्यंत कुमार #standout #कविता

1 Love

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SB Shivam Mishra

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

📝 दुष्यंत कुमार

©SB Shivam Mishra 📝 दुष्यंत कुमार

📝 दुष्यंत कुमार #शायरी

10 Love

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Richa Mishra

#storyofheart #कुमार दुष्यंत

68 Views

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SB Shivam Mishra

धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है

एक छाया सीढ़ियाँ चढ़ती—उतरती है


यह दिया चौरास्ते का ओट में ले लो

आज आँधी गाँव से हो कर गुज़रती है


कुछ बहुत गहरी दरारें पड़ गईं मन में

मीत अब यह मन नहीं है एक धरती है


कौन शासन से कहेगा, कौन पूछेगा

एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है


मैं तुम्हें छू कर ज़रा—सा छेड़ देता हूँ

और गीली पाँखुरी से ओस झरती है


तुम कहीं पर झील हो मैं एक नौका हूँ

इस तरह की कल्पना मन में उभरती है

✍️ दुष्यंत कुमार

©SB Shivam Mishra ✍️ दुष्यंत कुमार

✍️ दुष्यंत कुमार #शायरी

10 Love

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Sunil युग सैनिक

दुष्यंत कुमार,,,, ग़ज़ल

दुष्यंत कुमार,,,, ग़ज़ल

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Hrishi Vishal 007

#FourlinePoetry हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से भी कोई गंगा निकलनी चाहिए,
मेरे सिने मे नहीं तो तेरे सिने मे सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए...
महाकवि - दुष्यंत कुमार

©Hrishi Vishal 007 महाकवि - दुष्यंत कुमार

#fourlinepoetry

महाकवि - दुष्यंत कुमार #fourlinepoetry #कविता

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