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Hasanand Chhatwani
तुझे जाना था तो हमने जाने दिया तुझे,, इससे बढ़कर और क्या वफा करते हम। ##जाना ##जाने देना ##वफ़ा ##
Abhay Bhadouriya
सुनो जाने जाना💕 मै गीत बनूँ तो तुम तरन्नुम बन जाना मै फूल बनूँ तो तुम तबस्सुम बन जाना.... मै दिल बनूँ तो तुम धड़कन बन जाना मै नज़म बनूँ तो तुम ग़ज़ल बन जाना..... मै पल बनूँ तो तुम पहर बन जाना मैं शाम बनूँ तो तुम सहर बन जाना..... मै राही बनूँ तो तुम सफर बन जाना मैं स्याही बनूँ तो तुम कलम बन जाना..... सुनो जाने जाना💕 मै गीत बनूँ तो तुम तरन्नुम बन जाना मै फूल बनूँ तो तुम तबस्सुम बन जाना.... मै दिल बनूँ तो तुम धड़कन बन जाना मै नज़म बनूँ तो
AB
" कुष्मांडा " या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तेस्यै नमस्तेस्यै नमस्तेस्यै नमो नमः पौराणिक कथाओं के अनुसार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था,! धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नही
Akshay Maru Jonty
मत पढ़ना कुछ भी लिखा है । 🗑 सह-2 कर भर जाता , काश वो शक्स कुछ कह जाता कोई नही कोई नही ... सब कुछ नकली सा ! "पल-पल की करवटे"
Diva
जो मेरे दिल का कनेक्शन जो तुमसे हो गया था, तुम ही कहो ये बात झूठ कैसे, साबित हो गया था। हमारा यू रातो में पलके न झपकाना, और जरा सी बात पर मुस्कुराना, जाने क्यों, राज वो ,कंही खो गया था, सच्ची और थोड़ी फरेबी मोहब्बत तो तुम्हे भी हो गया था #connection जो मेरे दिल का कनेक्शन जो तुमसे हो गया था, तुम ही कहो ये बात झूठ कैसे साबित हो गया था। हमारा यू रातो में पलके न झपकाना, और जरा
Mohammad Arif (WordsOfArif)
तेरा मुस्कुराना और दिल लेकर के चले जाना हमें इस तरह अपना दिल देकर के चले जाना कुछ दिनों से हिचकियां बहुत आती है मुझे तेरा ऐसे मुझको अपना बनाकर के चले जाना बहुत उदास रहती है उनके बेगैर रातें भी मेरी ऐसे मुझे अब अकेले में छोड़कर के चले जाना बड़ी लम्बी लड़ाई मैंने लड़ी थी तुम्हारे लिए जीत के बाद मुंह हमसे फेरकर के चले जाना जाने कैसी ऐ जुदाई है जो मिटती नहीं हमारी ख्वाबों ख्यालों में ऐसे मिलकर के चले जाना चाहतों के ऐसे मंजिल पर हम पहुंच गए है आरिफ उनका ऐसे बिछड़कर के चले जाना तेरा मुस्कुराना और दिल लेकर के चले जाना हमें इस तरह अपना दिल देकर के चले जाना कुछ दिनों से हिचकियां बहुत आती है मुझे तेरा ऐसे मुझको अपना बन
Manshi Kashyap
गलत है आज इन आंसुओं को छलक अाना फिर इन हवाओं को अपना रुख बदल जाना कुछ बेहद अजीब सा महसूस हो रहा है अब जैसे मेरे सांसों को मुझसे दूर जाना ...... हैरान भी हूं मैं, थोड़ी सी परेशान भी मुस्कुराते हुए चेहरे पर अचानक उदासी छा जाना मुझे क्यूं धुंधला सा लगता है उसका मेरे यादों में अा जाना जैसे मेरे सांसों को मुझसे दूर जाना ...... दर्दों से अब डर नहीं लगता मुझे, दर्दों से रिश्ता बहुत पुराना है कोरे कागज का यूं मुझसे दोस्ती कर जाना कभी सोचा नहीं मैंने दूरियां इतनी बढ़ जायेगी जैसे मेरे सांसों को मुझसे दूर जाना ...... जैसे मेरे सांसों को मुझसे दूर जाना ....... ______________________________________________ गलत है आज इन आंसुओं को छलक अाना फिर इन हवाओं को
प्रियदर्शन कुमार
काव्य संख्या-149 ---------------------------------------- व्यक्ति परिवार समाज अंर्तसंबंध ---------------------------------------- व्यक्ति से