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Sangeeta Patidar
जिस पथ पर चला, मुश्किलों का दौर है मिला, जहाँ घुमाई नज़र वहाँ देखा, हर ओर है गिला। किसी के मन मुताबिक कोई कैसे तलाशे राहें? उनकी ये चाहें, बन सकती थीं किसी की आहें। सबका अलग-² होता है ज़िन्दगी का नज़रिया, किसी के लिए बूँद है तो किसी के लिए दरिया। बहुत ज़रूरी है उम्मीद और हौसले की रौशनी, हालात नहीं एक से, ख़ुशियाँ पड़ती हैं झोंकनी। गहरे अँधेरे को चीर के किरणें फ़ैल ही जाती हैं, आख़िर मुसाफ़िरों को मंज़िल मिल ही जाती है। Rest Zone 'मेल-मिलाप' जिस पथ पर चला.... ...आख़िर मुसाफ़िरों को मंज़िल मिल ही जाती है। #restzone #rztask282 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #
Poonam Suyal
मंजिल मिल ही जाती है (अनुशीर्षक में पढ़ें) मंज़िल मिल ही जाती है जिस पथ पर चला बस मैं चलता ही चला गया जो भी मुश्किल आयी सामने मैं उसका आमना करता चला गया मंज़िल थी सामने
DR. LAVKESH GANDHI
मैंने की बार-बार गिरा,सँभला,उठा अनेक बार कोई अपना था जो हर बार गिराने की कोशिश करता कोई था पराया जो हर बार उठाने का प्रयास करता चलता रहा पथ पर ठोकरें खाकर अनेक बार इस इंतजार में कि मंजिल तो मिलेगी ही आज नहीं तो कल ©DR. LAVKESH GANDHI #पथ # # चला था मंजिल पथ पर #
लेखक ओझा
चलत पथ पर पथवीर दुर्गम धरा पर धारे धीर इधर अट्टहास कर रहा मूढ़ बिन विचारे पीर, साहस को बांधे रहो बीर सफलता की खींचेगी एकदिन जरूर लकीर दुर्गमपथ पर चलत पथवीर।। ©लेखक ओझा चलत पथ पर पथवीर
Gajendra Tak
चलता रहुगा का पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊ गा या तो मंजिल मिल जाएगी,या अच्छा मुसाफिर बन जाऊंगा। ©Gajendra Tak चलता रहुगा पथ पर, #motivation #shayeri #footprint
Richa Dhar
आओ मेरे प्रभु आओ मेरे प्रभु-करो मुझे बाध्य मत करो मुझे अबाध्य मैं चाहती हूँ तुम्हारी शरण नहीं करना मुझे किसी का वरण कलियुग की क्रीड़ा से करो मुझे मुक्त दिखाओ अपने साक्षात चरण नहीं भाता मुझे अब कुछ भी मुझे चाहिए सिर्फ़ तुम्हारे चरणों में मरण मैं नहीं होना चाहती संसार में लिप्त आओ मेरे प्रभु समझाओ कुछ संक्षिप्त निहारो मेरी अन्तः वेदना देखो मेरे अश्रु प्रपात नहीं हूं मैं तुम्हारे लिए अज्ञात मुझे समझ नहीं आती किसी की भाषा हर तरफ़ मेरे भटक रही मृत आशा आओ मेरे प्रभु समझाओ कुछ परिभाषा हर तरफ़ मेरा अपना ही मुझे है छलता नहीं होता मुझसे अब किसी से प्रेम नित्य सूर्य निकलता मुझे देख देख वो जलता आओ मेरे प्रभु तुम्हारे सिवा मुझे कोई नहीं समझता कर दो इस शरीर को आत्मा से अलग देख देख परिहास करते हैं विहग नहीं होता मुझसे जीवन-पथ चलना नहीं देखा जाता सुखः का मुझे देखकर मचलना आओ मेरे प्रभु मुझे इस जीवन पथ पर नहीं चलना ©Richa Dhar #GoldenHour मुझे जीवन पथ पर नही चलना