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SURAJ आफताबी
रक्त रंग सी यो म्हारी चुनरिया रह रह मनै याद थारी दिलाय रो-रो या म्हारी सीधी-सादी काजळ री धार बावळी हुई सुन ढ़ोळा काहे अपणी मारू ने अतरी तलफाय ! हिवड़े रो संदेसड़ो कब सूं लिखाई बैठी हूं भेजूं भी तो भेजूं कयां इक महीना सूं डाकियो भी न आयो रोज-रोज की देख या म्हारी दशा काळजो काग रो भी भर आयो सावण तो अब के सूखो निकळ गयो पण या महवट अंगार बरसाय सुण ढ़ोळा लिख चिट्ठी कद आवेगो काहे अपणी मारू ने अतरी तलफाय ! राजस्थानी लोक भाषा में लिखने का प्रयास 🙏🙏 अतरी - इतनी तलफाय- तड़पाना कयां - कैसे काग - कौआ पण- पर महवट - माघ की वर्षा
Deep Patel
फितरत तो कुछ यूं भी हे इन्सान की, बारिश खत्म हो जाए तो छतरी बोझ लगती हैं. @छतरी
Satish Mapatpuri
गोरी के कजरा पर बदरा ऐसा आज लुभाए। बीच डगर में राह रोक के जी भर अंग भींगाए। छतरी की औकात भला क्या कैसे रोके बारिश, बचती-बचाती हौले-हौले नाजुक कदम बढ़ाए। ……. सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri छतरी
Nina
छतरी हर वादा खुशी का झूठ कर गई, ये छतरी जो अब आज टूट गई। मैं खुशनसीब हूं बेहद जो दो छतरी दी मुझे उसने ! एक छतरी में है छेद , रोशनी झांकती बारीक झिरी से। पहली... मेरी छतरी टूट गई। मेरी जड़ें मुझसे छूट गई। सब तकदीरें रूठ गई। मोक्ष... बंधन - मुक्ति कूट गई। नई बरसात एक फूट गई। मेरा नाम मुझसे लूट गई। दूसरी... बारिश बरस रही स्वच्छंद। छतरी पहले से मेरे लिए बंद, वो खुद जलता एक अंतर्द्वंद्व!! वक्त ले हाथ मेरा अपने में: ये वादा है मेरा तुझसे जीवन है अब कदमों तले, धूल अब सब सपने अपने। आंसू आंखें रो न सके, मुस्कान झूठी अधरों से, सोच कुंठित दिमाग से, यूंही बस जीते जिए। हर वादा खुशी का झूठ कर गई, ये छतरी जो अब आज टूट गई। ©Nina छतरी
ASHVAM
हम वही खैल हारते हें जीसमें मौके अनेक हो, वरना पेहली बार मे तो पलके भी न झपकने दे. @N.. ©Ashvam अखरी मौका
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
ग़म ना कर चोट लगी है अभी -अभी यह दर्द भी हट जाएगा कभी न कभी ग़म कि बदरी भी आती है बरसातों में खुली रह जाती है छतरी कभी न कभी ©अनुषी का पिटारा.. #andhere #छतरी #अनुषी_का_पिटारा
Babita Buch
सुबह सुबह की ब्रह्मम बेला तालाब मे सुर्य नमस्कार के साथ में स्नान करके भींगे बदन में लाल बोर्डर की सफेद साड़ी मे पूजा के थाल लिये मन्दिर की और चल पड़ी मन्दिर का शान्त वातावरण अगरबत्ती फूल जलता दिपक ऐसे लग रहा था की जैसे स्वर्ग में भगवान से मिलने आयी हूं मेरी आत्मा पवित्र हो गई ना जाने कितने जन्मों कि प्यासी थी अपनी प्यास बुझा आयी ©Babita Bucha #तरी
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
खुशियाँ बिखरी हैं चारों ओर, चुनने वाला चाहिए, जिंदगी की छतरी को, बुनने वाला चाहिए। ©Anand Prakash Nautiyal #खुशियां#जिंदगी#छतरी