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मलंग

#श्रेनी
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@kumar saurabh

तेरे चेहरे से भोलेपन का पर्दा ग़र उठा दूंगा,
बिखर जायेंगे दो परिवार इतना तुम समझ लेना।।
 ~सौरभ त्रिपाठी बस एक # श्येर

बस एक # श्येर

5 Love

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@kumar saurabh

प्रेम जीतीं हैं पर वो दिखातीं नहीं,
लड़कियों से भी कुछ सीखना चाहिए।।

             ~सौरभ त्रिपाठी एक श्येर यूं ही

एक श्येर यूं ही

6 Love

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@kumar saurabh

कई अन्दर के द्वन्धो से लड़ा जाता है फिर जाकर,
मेरे मौला मेरी धड़कन से मेरी बात होती है।।
       ~~सौरभ त्रिपाठी पेश है एक श्येर

पेश है एक श्येर

5 Love

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mahesh....

 vsghshdhd द तणावपूर्ण श्ये geevevgee

vsghshdhd द तणावपूर्ण श्ये geevevgee

5 Love

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Vinod Mishra

मांग मकरगत रवि जब होई,तीरथपतिहि आव सब कोई!!
देव दनुज किन्नर नर श्रेनी,सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी!!

मांग मकरगत रवि जब होई,तीरथपतिहि आव सब कोई!! देव दनुज किन्नर नर श्रेनी,सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी!! #समाज

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Ved Bairagi

धोखे पंछी का कोई ठिकाना नहीं,
मेरा भी यार अब कोई पुराना नहीं, 
यूँ तो मिले हैं लाखों लोग यहां, 
पर उस जैसा कोई यहां श्याना नहीं....।। 



....वेद बैरागी उस जैसा कोई यहां श्याना नहीं....।। 
#nojoto #storyonline #talkonline #sad #fakelove #fakepeople  Kavi Rahul Jangir  Dwipen Shah Khushirajput

उस जैसा कोई यहां श्याना नहीं....।। nojoto #StoryOnline #TalkOnline #SAD #FakeLove #Fakepeople Kavi Rahul Jangir Dwipen Shah Khushirajput

96 Love

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :-
आकर देखो गाँव में , सीधे सच्चे लोग । 
करते है देखो सदा , जन-जन का सहयोग ।। 

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                    श्येन दोहा

बैठे होंगे चार जन , सुनो गली में आज । 
सी सी टी वी फेल हो , ऐसा करते काज ।। 

मीठा पानी आज भी , देता है नलकूप । 
लेने आते  स्वाद है , सुनो नगर से भूप ।। 

पक्षी गाते गीत है , मिले सुहानी भोर । 
आये प्यारी नींद फिर , चलो गाँव की ओर ।।

१८/०५/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
आकर देखो गाँव में , सीधे सच्चे लोग । 
करते है देखो सदा , जन-जन का सहयोग ।। 

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                    श्य

दोहा :- आकर देखो गाँव में , सीधे सच्चे लोग । करते है देखो सदा , जन-जन का सहयोग ।। ******************************* श्य #कविता

16 Love

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B Pawar

मां पापा की आंखो में अब
कुछ फिक्र दिखाईं पड़ती है।
लड़की अब श्यानी हो गई
ऐसा मम्मी कहती है। सांसे..

टूटती है संवरती है
गिरती है संभलती है।
लड़की वो अब ना जाने क्यूं
खोई खोई सी लगती है। सांसे.. यहां नीचे पूरा पढें 👇

सांसे तेज है चलती है
भीतर भीतर जलती है।
अपनो से बगावत करती
खुद से ही लड़ती है। सांसे…

सपने कुछ बुन रही है

यहां नीचे पूरा पढें 👇 सांसे तेज है चलती है भीतर भीतर जलती है। अपनो से बगावत करती खुद से ही लड़ती है। सांसे… सपने कुछ बुन रही है #girls #GirlChild #lovequote #आजकल #लाडो #हिन्दीपंक्तियां #हिन्दी_काव्य_कोश

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Vicky Anand (Captain)

कितने काम अधूरे रह गए
-----------
मेरी एक बेटी है,------------
-----------------अब मैं भगवान के मंदिर में दान नही करता हूँ तो लगता है वो भी ग़रीब हो गए हैं, या फिर ग़रीबों की सुनते ही नहीं हैं।
------------
"ग़रीब के कितने काम पूरे होंगे"!
---please read in the caption ज़िन्दगी तेरी मज़दूरी करते एक उम्र हुई। लेकिन इसके बावजूद कितने काम अधूरे रह गए।-----:
कुछ दिनों से अजीब सा डर सता रहा है 
मैं बूढ़ा होता जा रह

ज़िन्दगी तेरी मज़दूरी करते एक उम्र हुई। लेकिन इसके बावजूद कितने काम अधूरे रह गए।-----: कुछ दिनों से अजीब सा डर सता रहा है मैं बूढ़ा होता जा रह #Dowry #Collab #yqdidi #microtale #YourQuoteAndMine #BetiBachao #कामअधूरे

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atrisheartfeelings

अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवन सुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ। बन असोक सीता रह जहवाँ॥
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी। जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
 #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand


अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

#atrisheartfeelings #ananttripathi #Sundarkand #Sunderkand अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

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N S Yadav GoldMine

अध्याय 3 : कर्मयोग
श्लोका 41
तस्मात्त्वमिन्द्रियाण्यादौ नियम्य भरतर्षभ।
पाप्मानं प्रजहि ह्येनं ज्ञानविज्ञाननाशनम्।।
अर्थ :- {Bolo Ji Radhey Radhey}
हे अर्जुन, आरम्भ में ही इन्द्रियों को वश में कर, ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार के पापी विनाशक इस काम को निश्चय ही मार डालो

हे अर्जुन, भरतों में से सर्वश्रेष्ठ, शुरुआत में ही इंद्रियों को नियंत्रित करने से आपको इस काम या इच्छा को मारने में मदद मिलेगी, जो पाप का अवतार और ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार का विनाशक है।।
जीवन में महत्व प्रभु उस रहस्यमय शक्ति का रहस्य बताते हैं जो मनुष्य को पाप करने के लिए मजबूर करती है, हालाँकि वह ऐसा नहीं करना चाहता। भगवान बल का विश्लेषण करते हैं, और कहते हैं कि काम और क्रोध की जुड़वां बुराइयां मनुष्य द्वारा किए गए सभी पापों के पीछे की शक्ति का निर्माण करती हैं।

आवेग हमें यह विश्वास दिलाता है कि भौतिक सुख हमें सुख देंगे, और इस प्रकार यह उन्हें प्राप्त करने की इच्छा पैदा करता है। और फिर जब हम उन्हें हासिल नहीं करते हैं, तो यह क्रोध की ओर ले जाता है। पहला कारण है और दूसरा प्रभाव है। जब काम होता है, तो क्रोध होता है। इसलिए काम को मनुष्य की छह बुरी प्रवृत्तियों में से पहला कहा जाता है - काम, क्रोध, लोभा, मोह, मद और मत्स्य। काम शत्रु शक्तियों की टीम का कप्तान है जो मानव जाति को परेशान करती है, और सीधे आत्म-साक्षात्कार के रास्ते में खड़ी होती है।

काम मांस की वासना नहीं है, बल्कि सभी सांसारिक सुखों का प्रतिनिधि है - अमीर होने की इच्छा, शक्ति और प्रतिष्ठा की वासना, शारीरिक आग्रह आदि।
इसलिए भगवान काम, इच्छा और क्रोध के शत्रु को साहस और दृढ़ संकल्प के साथ जीतने के लिए प्रेरक वचन बोलते हैं, चाहे संघर्ष कितना भी लंबा और कठिन क्यों न हो। "जाहि सतरुम महाबाहो" के साथ समाप्त होने वाले आने वाले छंद हर तरह से दुश्मन को हराने और नष्ट करने के लिए भगवान का शानदार उपदेश है।

श्री कृष्ण इच्छा को वश में करने की एक विधि प्रदान करते हैं। उन्होंने अर्जुन को पहले इंद्रियों के स्तर पर इच्छा को नियंत्रित करने की सलाह दी। इच्छाएं इंद्रियों में मौजूद पसंद और नापसंद में उत्पन्न होती हैं, और इसलिए हमें उनके पीछे जाना चाहिए।
इसके लिए हमें अपनी पसंद-नापसंद के बारे में लगातार जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है, और एक बार जब हम उन्हें देखते हैं तो उनके ऊपर हावी नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, हम अपने मन में किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति क्रोध का पता लगा सकते हैं जिसे हम नापसंद करते हैं। हम क्रोधित विचारों को दबाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। इसलिए हमें पहले उस व्यक्ति के प्रति कोई कठोर शब्द न बोलकर जीभ के स्तर पर क्रोध को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।
हमें सचेत करने और वर्तमान क्षण में लाने के लिए कई तकनीकें हैं। सबसे सरल तकनीक है कुछ सांसें लेना और केवल सांस लेने और छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना। यह सभी मानसिक "बकबक" को तुरंत रोक देगा।
श्री कृष्ण ने यहां यह भी उल्लेख किया है कि इच्छा न केवल ज्ञान बल्कि ज्ञान को भी नष्ट कर देती है।

©N S Yadav GoldMine
  अध्याय 3 : कर्मयोग
श्लोका 41
तस्मात्त्वमिन्द्रियाण्यादौ नियम्य भरतर्षभ।
पाप्मानं प्रजहि ह्येनं ज्ञानविज्ञाननाशनम्।।
अर्थ :- {Bolo Ji Radhey

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोका 41 तस्मात्त्वमिन्द्रियाण्यादौ नियम्य भरतर्षभ। पाप्मानं प्रजहि ह्येनं ज्ञानविज्ञाननाशनम्।। अर्थ :- {Bolo Ji Radhey #जानकारी

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7॥
हे सखा, सुनो मै ऐसा अधम नीच हूँ तिस पर भी रघुवीरने कृपा कर दी,तो आप तो सब प्रकारसे उत्तम हो-आप पर कृपा करे इस में क्या बड़ी बात है- ऐसे प्रभु श्री रामचन्द्रजी के गुणोंका स्मरण करनेसे दोनों के नेत्रोमें आंसू भर आये॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

भगवान् को भूलने पर, इंसान के जीवन में दुःख का आना
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी।
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा।
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
जो मनुष्य जानते बुझते ऐसे स्वामीको छोड़ बैठते है,वे दूखी क्यों न होंगे?
इस तरह रामचन्द्रजीके परम पवित्र व
कानोंको सुख देने वाले गुणसमूहोंको कहते कहते,हनुमानजी ने विश्राम पाया,उन्होने परम (अनिर्वचनीय) शांति प्राप्त की॥

विभीषण हनुमानजी को माता सीता के बारे में बताते है
पुनि सब कथा बिभीषन कही।
जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता।
देखी चहउँ जानकी माता॥
फिर विभीषण ने हनुमानजी से वह सब कथा कही कि –सीताजी जिस जगह, जिस तरह रहती थी।तब हनुमानजी ने विभीषण से कहा, हे भाई सुनो,मैं सीता माताको देखना चाहता हूँ॥

अशोकवन का प्रसंग-हनुमानजी अशोकवन जाते है
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई।
चलेउ पवनसुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ।
बन असोक सीता रह जहवाँ॥
सो मुझे उपाय बताओ।हनुमानजी के यह वचन सुनकर विभीषण ने वहांकी सब युक्तियाँ (उपाय) कह सुनाई।तब हनुमानजी भी विभीषणसे विदा लेकर वहांसे चले॥फिर वैसा ही छोटासा स्वरुप धर कर,हनुमानजी वहां गए, जहां अशोकवन में सीताजी रहा करती थी॥

सीताजी का राम के गुणों का स्मरण करना
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा।
बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी।
जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
हनुमानजी ने सीताजी का दर्शन करके,
उनको मनही मनमें प्रणाम किया और बैठे-इतने में एक प्रहर रात्रि बीत गयी॥
हनुमानजी सीताजी को देखते है,सो उनका शरीर तो बहुत दुबला हो रहा है।
सर पर लटो की एक वेणी बंधी हुई है और अपने मनमें श्री राम के गुणों का जाप (स्मरण) कर रही है॥

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 289 से 300 नाम 
289 सत्यधर्मपराक्रमःजिनके धर्म-ज्ञान और पराक्रमादि गुण सत्य है
290 भूतभव्यभवन्नाथः भूत, भव्य (भविष्य) और भवत (वर्तमान) प्राणियों के नाथ है
291 पवनः पवित्र करने वाले हैं
292 पावनः चलाने वाले हैं
293 अनलः प्राणों को आत्मभाव से ग्रहण करने वाले हैं
294 कामहा मोक्षकामी भक्तों और हिंसकों की कामनाओं को नष्ट करने वाले
295 कामकृत् सात्विक भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
296 कान्तः अत्यंत रूपवान हैं
297 कामः पुरुषार्थ की आकांक्षा वालों से कामना किये जाते हैं
298 कामप्रदः भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
299 प्रभुः प्रकर्ष
300 युगादिकृत् युगादि का आरम्भ करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 7 भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7 #समाज

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