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PARBHASH KMUAR
महाभारत के प्रसंग में श्री कृष्ण द्वारा कही गई बातें और विचार, आज भी मानव जीवन की पथ प्रदर्शक मानी जाती हैं। फिर चाहे अर्जुन को दिया गया उनका ज्ञान हो, या फिर द्रौपदी के साथ उनके स्नेह संबंध में कर्तव्य का पालन करने वाले, उनके भाई की छवि। ऐसा ही एक प्रसंग दुर्योधन, श्री कृष्ण और अर्जुन के साथ भी जुड़ा हुआ है, जहां चेतावनी भी है और सहायता की मंशा भी। आइए इस सुंदर प्रसंग का आनंद लेते हैं। जब कौरव और पांडवों के बीच में महाभारत का युद्ध छिड़ गया, तब स्वयं श्री कृष्ण शांति का प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर पहुंचे। उन्होंने कहा, “सुनो दुर्योधन! मैं तुमसे केवल इतना ही कहने की इच्छा रखता हूं, कि तुम इस युद्ध का विचार यहीं नष्ट कर दो और पांडवों को, आधा राज्य लौटाकर उनके साथ संधि कर लो। यदि तुम यह प्रस्ताव मानते हो, तो पांडव तुम्हें युवराज और धृतराष्ट्र को महाराज के रूप में सहर्ष स्वीकार कर लेंगे।” कहा जाता है, कि उस वक़्त सभा में मौजूद सभी ने श्री कृष्ण के विचारों से सहमति जताई थी। लेकिन दुर्योधन ने यह स्वीकार नहीं किया और श्री कृष्ण को तिरस्कार का भागी बनाया। इसके पश्चात यह तय हो गया, कि महाभारत का युद्ध होकर रहेगा। युद्ध से पूर्व जब दुर्योधन और अर्जुन श्री कृष्ण से मदद मांगने द्वारिका पहुंचे, तो वह निद्रा अवस्था में थे। उस पहर में पहले दुर्योधन का आगमन हुआ था और फिर अर्जुन का। कहा जाता है, कि उस कक्ष में अर्जुन उनके चरणों में जा बैठे और दुर्योधन सिरहाने और जब श्री कृष्ण की आँखें खुलीं, तो उनकी आँखों के सामने अर्जुन थे। इस कारणवश उन्होंने पूछा, “बोलो पार्थ! मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूं?” उनके वचन सुनकर दुर्योधन थोड़ा क्रोध में आ गया और कहा, “मैं यहां पहले आया था, इसलिए ये मुझसे पहले पूछा जाना चाहिए।” तब अपने स्वभावानुसार श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं, कि मेरे पास मदद देने के लिए, या तो स्वयं मेरा ज्ञान है या फिर युद्ध भूमि में सशक्त मेरी नारायणी सेना। उस वक़्त, श्री कृष्ण की नारायणी सेना को अत्यंत ही घातक और कुशल माना जाता था। उन्होंने कहा, “अब क्योंकि आंख खुलने के पश्चात, अर्जुन मेरे समक्ष पहले आया इसलिए चुनाव का पहला अधिकार भी, मैं उसे देता हूं।” यह सुनकर अर्जुन कहते हैं, कि मेरे लिए आपका साथ ही मेरा अस्त्र है। अतः मैं आपको चुनता हूं। अर्जुन के इस निर्णय को सुनकर दुर्योधन मन ही मन उन पर हंसते हैं, कि कहां स्वयं नारायण की देख रेख वाली नारायणी सेना और कहां निहत्थे नारायण। ऐसी मान्यता है, कि अर्जुन के इस निर्णय को दुर्योधन उसकी भूल समझ बैठा था। लेकिन सच तो यह है, कि जिसका मार्ग स्वयं श्री कृष्ण निश्चित कर रहे हों, उसको सेना की क्या आवश्यकता। इसलिए आज भी ऐसा कहते हैं, कि कौरवों की हार तभी निश्चित हो गई थी, जब उन्होंने नारायण की तुलना में उनकी सेना को ज्यादा अहमियत दे दी। इस संपूर्ण प्रसंग में हमने देखा, कि कैसे पग-पग पर श्री कृष्ण न सिर्फ पांडवों के साथ थे, अपितु कौरवों को भी समय-समय पर सही मार्ग पर चलने का विकल्प देते रहे। लेकिन वो कहते हैं न, ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’। अब इससे हमें भी यह सीख मिलती है, कि अधर्म और अहंकार जीवन का वो भाग हैं, जो सदैव ही आपका अहित निश्चित करते हैं। इसलिए इसका त्याग, शीघ्र अति शीघ्र करें। अगर आपको हमारा यह प्रसंग पसंद आया, तो ऐसी ही सुंदर और धर्म से जुड़े प्रसंगों को सुनने के लिए जुड़े रहिये Sri Mandir के साथ। ©parbhashrajbcnegmailcomm महाभारत के प्रसंग में श्री कृष्ण द्वारा कही गई बातें और विचार, आज भी मानव जीवन की पथ प्रदर्शक मानी जाती हैं। फिर चाहे अर्जुन को दिया गया उनक
Yogita Harne
मेरा यह लेख तानाजा द अनसंग वारियर से प्रेरित है.... शिवराया शिवाजी एवं तानाजी जैसे वीरो को हम नमन करते हैं 🙏🙏🙏 पर इस पूरी कहानी में मुझे दो वीरांगनाए भी दिखी उनका यूद्ध अस्त्र उनका आत्मबल,संयम, विश्वास और भक्ति थे जो सिखाते हैं स्त्री की शक्ति बाहुबल से नहीं आत्मबल 1) प्रथम मातोश्री जीजा मा साहेब उनका विश्वास थथा अपने पूत्र पर और अपनी माँ भवानी की भक्ति पर एक पल भी विचलित नही हुई ) सावित्रीबाई संयमित पर तीव्र महिला जो अपने पति की प्रेरणा ढाल बनी विपरीत परिस्थितियों मे भी अपना संयम नही खोया और वचन सिर्फ कहा नहीं उसे निभाया भी अपने शिव की शक्ति बनकर तभी हम नारी को शक्ति बनकर पूजते हैं जय भवानी जय शिवाजी जगदंब..... नारायणी
Satish Mapatpuri
नारी शक्ति - स्रोत है साक्षी है इतिहास। नारी से उत्थान है नारी से ही ह्रास। जीवन के हर क्षेत्र में नारी का वर्चस्व, अब तो छूना शेष है सूरजऔर आकाश …….. सतीश मापतपुरी हिन्द की शान मीराबाई चानू को हार्दिक बधाई जय हिन्द - जय भारत ©Satish Mapatpuri नारी तू नारायणी
Dr. Bhagwan Sahay Meena
शीर्षक ------ नारी नारी तू नारायणी जग की तारणहार। मानव का कल्याण करें बनकर पालनहार। अवरूद्ध राहों की प्रशस्तक बन कांटे तू हटाती, जीवन प्रदायिनी लोक की बनकर सृजन हार। ममता की झिलमिल रोशनी में सदा रही मुस्काती, हर पल पुष्पित पल्लवित रहती सदाबहार। सागर जितना वात्सल्य बहती स्नेह जलमाला, कितने गुण बखान करूं तेरी महिमा अपरम्पार। भिन्न नहीं ईश्वर से तेरा प्रकृति सा रूप, डग भर चलती नहीं पृथ्वी बिन नारी परोपकार। तेरे ही कर कमलों से सजती दुनिया, जग में करती पालन पोषण बनकर शिल्पकार। हे! नारी अनगिनत है अक्स तेरे, तू संजीव बनाती चित्र भू लोक की चित्रकार। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani नारी तू नारायणी
Amar'Arman' Baghauli hardoi UP
दोहे नारी है नारायणी ************** नारी है नारायणी,नारी माता रूप। नारी के आँचल तले,लगे कभी ना धूप।। नारी है भागीरथी,नारी शीतल नीर। सब कुछ सहकर भी सदा,नारी रखती धीर।। नारी है आराधना,नारी पूजा फूल। नारी जग में दीप है,नारी जीवन मूल।। भगिनी,माता,सहचरी,बनकर देती साथ। ख़ुशी - रंज या वेदना,कभी न छोड़े हाथ।। जब नारी से नर बना,कैसे हुई अछूत। माँ को ऐसा लिख गया,तुलसी जैसा पूत। नारी बिन ना मिल सके,जीवन का आधार। नारी बिन सूना लगे, ये सारा संसार । । मानव ऐसा बावला, पाहन खोजे मात। रीते-रीते मर रही, घर में बूढ़ी मात । । नारी सरिता,नाव है,नारी मंजुल फूल। कहे आज 'अरमान' है,उसे कभी ना भूल ।। अमर'अरमान' बघौली, हरदोई उत्तर प्रदेश 221122 नारी तू नारायणी #Darknight
Das Sumit Malhotra Sheetal
जहां पर नारी जाति का, बिल्कुल नहीं होता सम्मान। जब ऊपर वाले ने दोनों को, बनाया है जब एक समान। बहिष्कार कर देना चाहिए, ऐसे समाज के लोगों का। जो नारी को नारायणी तो मानते, पर करते सदा तिरस्कार और अपमान। धन्यवाद जी और tc. नारी तू नारायणी। #womens_day_special
Amar'Arman' Baghauli hardoi UP
नारी बिन ना मिल सके,जीवन का आधार। नारी बिन सूना लगे, ये सारा संसार । । मानव ऐसा बावला, पाहन खोजे मात। रीते-रीते मर रही, घर में बूढ़ी मात । । हाथ जोड़ पूजा करे,रोज चढाये फूल। जन्म दिया जिस मात ने,गया उसे तू भूल ।। नारी सरिता,नाव है,नारी मंजुल फूल। कहे आज 'अरमान' है,उसे कभी ना भूल ।। नारी,भगिनी,सहचरी,नारी जग का मान। कहे आज 'अरमान'है,कर उसका सम्मान ।। अमर'अरमान' बघौली, हरदोई उत्तर प्रदेश 221122 singh.amar279@gmail.com नारी तू नारायणी #faraway