Nojoto: Largest Storytelling Platform

New बान्धव Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about बान्धव from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बान्धव.

Related Stories

    PopularLatestVideo
ae6cf40d26c55739ac03b5c281d969c9

Jitendra Singh

उत्सवे व्यसने प्राप्ते,
               दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे।

        राजद्वारे श्मशाने च,
        यो तिष्ठति स बान्धवः।।

©Jitendra Singh #बान्धव anjali foujdar Dharmendra Singh Quazi Nasim Kashi Akhil G. Abdur Raheem

#बान्धव anjali foujdar Dharmendra Singh Quazi Nasim Kashi Akhil G. Abdur Raheem #विचार

13 Love

d9d403754bb3c9192d641fb067514f4e

Pramod Mishra

 भगवान श्री जगन्नाथ की रथयात्रा के पावन दिन पर सभी मित्रों, परिजनों,बंन्धूओ-बान्धवों को मेरी तरफ से स्नेहमयी हार्दिक बधाई। जय जगन्नाथ

भगवान श्री जगन्नाथ की रथयात्रा के पावन दिन पर सभी मित्रों, परिजनों,बंन्धूओ-बान्धवों को मेरी तरफ से स्नेहमयी हार्दिक बधाई। जय जगन्नाथ

5 Love

5998fff945aba460e6383c21e44f9dc1

Krish Vj

बाबा, कहाँ जा रहे हो?  बेटा काम पर
बाबा मुझे अकेले डर लगता है यहाँ 

बेटा काम पर तो जाना होगा ना..
नही तो खाएंगे क्या.????

माँ भी नही है 😥😥ख़्याल रखने को...
और आप भी चले जाते हो सुबह और रात को आते हो

सब बुरी नज़र से देखते हैं  मुझे....
यहाँ वहाँ ... छू...... "" - - - ""

मुझे आपके साथ ही चलना है बाबा... 🙎
नहीं तो.. मैं एक दिन...... दरिंदों का ग्रास बन जाऊँगी बाबा 😥 #rape #स्त्री #darinde #rapiest #kaliyuga #crime #insaniyat

इंसानियत :-

मैं शर्मसार हूँ, अपनी बदनामी का कलंक लेकर अपने ही बान्धवों से..
मै

#Rape #स्त्री #Darinde #rapiest #Kaliyuga #crime #Insaniyat इंसानियत :- मैं शर्मसार हूँ, अपनी बदनामी का कलंक लेकर अपने ही बान्धवों से.. मै

0 Love

77fb3306c9af2cf7c26eee943bfd627b

पण्डित राहुल पाण्डेय

*कन्या वरयते रुपं माता वित्तं पिता श्रुतम् बान्धवा: कुलमिच्छन्ति मिष्टान्नमितरेजना:*

 अर्थात्- विवाह के समय कन्या सुन्दर पती चाहती है| उसकी माताजी सधन जमाइ चाहती है। उसके पिताजी ज्ञानी जमाइ चाहते है|तथा उसके बन्धु अच्छे परिवार से नाता जोडना चाहते है। परन्तु बाकी सभी लोग केवल अच्छा खाना चाहते है।
*😋राधे राधे बंधुजन😋*

©पण्डित राहुल  पाण्डेय *कन्या वरयते रुपं माता वित्तं पिता श्रुतम् बान्धवा: कुलमिच्छन्ति मिष्टान्नमितरेजना:*

 अर्थात्- विवाह के समय कन्या सुन्दर पती चाहती है| उसकी

*कन्या वरयते रुपं माता वित्तं पिता श्रुतम् बान्धवा: कुलमिच्छन्ति मिष्टान्नमितरेजना:* अर्थात्- विवाह के समय कन्या सुन्दर पती चाहती है| उसकी

19 Love

a3a8c1a7d74cafd0e8141b57a60aef8c

Rajeswari Rath

जीवन में समय चाहे सुख की हो या फिर दुःख की हो अपनो का साथ अत्यंत आवश्यक होता है।सुख हो तो बढ़ जाता है और दुःख हो तो बंट जाता है।अपनो के साथ समय कब बीत जाता है पता भी नहीं चलता।परंतु याद रखिए अपना वो जो विपत्ति के समय आपके साथ हो,अपनो की परख समय की कसौटी पर की जाती है और अपनो के साथ समय का पता नही चलता है पर समय के साथ अपनो का पता चल जाता है।

एक संस्कृत श्लोक उदाहरण के लिए-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।। संस्कृत श्लोक-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।।

बन्धु कौन है?सुभाषित मे इसकी परिभाषा द

संस्कृत श्लोक- उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे, राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।। बन्धु कौन है?सुभाषित मे इसकी परिभाषा द #yqhindi #yqhindishayari #yqhindipoetry #yqhindiquotes #yqhindikavita #yqhindikitaab

0 Love

41d118899e30449d9543d6a98ff61ef7

N S Yadav GoldMine

पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। 

📜 पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं। बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है।

📜 वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथीसवार, घुड़सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे। हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था।

📜 सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे । वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा था। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले। 

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे।

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं। जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। 

📜 उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। 

📜 यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्रवधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं। 

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक-पृथक् दौड़ रही हैं। महाराज। कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है।

📜 पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत:

#roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए महाभारत !! 📔📔 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: #पौराणिककथा

27 Views

41d118899e30449d9543d6a98ff61ef7

N S Yadav GoldMine

हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं।

📜 बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है। वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथी सवार, घुड़ सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे।

📜 हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा थ। सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे। वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा थ। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले।

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे। 

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं । जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। 

📜 उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्र वधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं।

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक- पृथक् दौड़ रही हैं । महाराज कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है। पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत

#boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत #पौराणिककथा

27 Views

41d118899e30449d9543d6a98ff61ef7

N S Yadav GoldMine

रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖

महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey}📜 गान्धारी बोलीं- माधव। जो परिश्रम को जीत चुके थे, उन मेरे सौ पुत्रों को देखो, जिन्हें रणभूमि में प्रायः भीमसेन ने अपनी गदा से मार डाला है। सबसे अधिक दु:ख मुझे आज यह देखकर हो रहा है कि ये मेरी बालबहुऐं, जिनके पुत्र भी मारे जा चुके हैं, रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं। 

📜 ये महल की अट्टालिकाओं में आभूषणभूषित चरणों द्वारा विचरण करने वाली थीं; परंतु आज विपत्ति की मारी हुई ये इस खून से भीगी हुई वसुधा का स्पर्श कर रही हैं। ये दु:ख से आतुर हो पगली स्त्रियों के सामन झूमती हुई सब ओर विचरती हैं तथा बड़ी कठिनाई से गीधों, गीदड़ों और कौओं को लाशों के पास से दूर हटा रही हैं।

📜 यह पतली कमर वाली सर्वांग सुन्दरी दूसरी वधु युद्धस्थल का भयानक द्श्‍य देखकर दुखी होकर पृथ्वी पर गिर पड़ती हैं। महाबाहो। यह लक्ष्मण की माता एक भूमिपाल की बेटी है, इस राजकुमारी की दशा देखकर मेरा मन किसी तरह शांत नहीं होता है।

📜 कुछ स्त्रियां रणभूमि में मारे गये अपने भाईयों को, कुछ पिताओं को और कुछ पुत्रों को देखकर उन महावाहो वीरों को पकड़ लेती और वहीं गिर पड़ती हैं । अपराजित वीर। इस दारूण संग्राम में जिनके बन्धु बान्धव मारे गये हैं उन अधेड़ और बूढी स्त्रियों का यह करूणाजनक क्रन्धन सुनो।

📜 महाबाहो। देखो, यह स्त्रियां परिश्रम और मोह से पीडि़त हो टूटे हुए रथों की बैठकों तथा मारे गये हाथी घोड़े की लाशों का सहारा लेकर खड़ी हैं। श्रीकृष्ण। देखो, वह दूसरी स्त्री किसी आत्मीयजन के मनोहर कुण्डलों से सुशोभित हो और उंची नासिका वाले कटे हुए मस्तक को लेकर खड़ी है। 

📜 अनघ। मैं समझती हूं कि इन अनिन्ध सुन्दरी अविलाओं ने तथा मन्द बुद्धि वाली मैंने भी पूर्व जन्मों में कोई बड़ा भारी पाप किया है, जिसके फलस्वरूप धर्मराज ने हम लोगों ने वड़ी भारी विपत्ति में डाल दिया है। जर्नादन। 

📜 बृष्णिनन्दन। जान पड़ता है कि किये हुए पुण्य और पाप कर्मों का उनके फल का उपभोग किये बिना नाश नहीं होता है। माधव। देखो, इन महिलाओं की नई अवस्था है। इनके वक्ष स्थल और मुख दर्शनीय हैं। इनकी आंखों की वरूणियां और सिर के केश काले हैं। 

📜 ये सब की सब कुलीन और सलज हैं। ये हंष के समान गद्द स्वर में बोलती हैं; परंतु आज दु:ख और शोक के मोहित हो चहचहाती सारसियों के समान रोती विलखती हुई पृथ्वी पर गिर पड़ी हैं। कमलनयन। खिले हुए कमल के समान प्रकाशित होने वाले युवतियों के इन सुन्दर मुखों को यह सूर्य देव संतप्त कर रहे हैं।

📜 वासुदेव। मतवाले हाथी के समान घमण्ड में चूर रहने वाले मेरे ईश्‍यालु पुत्रों की इन रानियों को आज साधारण लोग देख रहे हैं। गोविन्द। देखो, मेरे पुत्रों की ये सौ चन्द्रकार चिन्हों से सुशोभित ढालें, सूर्य के समान तेजस्विनी ध्वजाऐं, स्ववर्ण में कवच, सोने के निष्क तथा सिरस्त्राण घी की उत्तम आहुति पाकर प्रज्वलित हुई अग्नियों के समान पृथ्वी पर देदीप्तमान हो रहे हैं।

©N S Yadav GoldMine
  #MainAurChaand रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖

महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श

#MainAurChaand रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖 महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श #पौराणिककथा

27 Views

41d118899e30449d9543d6a98ff61ef7

N S Yadav GoldMine

रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖

महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey}📜 गान्धारी बोलीं- माधव। जो परिश्रम को जीत चुके थे, उन मेरे सौ पुत्रों को देखो, जिन्हें रणभूमि में प्रायः भीमसेन ने अपनी गदा से मार डाला है। सबसे अधिक दु:ख मुझे आज यह देखकर हो रहा है कि ये मेरी बालबहुऐं, जिनके पुत्र भी मारे जा चुके हैं, रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं। 

📜 ये महल की अट्टालिकाओं में आभूषणभूषित चरणों द्वारा विचरण करने वाली थीं; परंतु आज विपत्ति की मारी हुई ये इस खून से भीगी हुई वसुधा का स्पर्श कर रही हैं। ये दु:ख से आतुर हो पगली स्त्रियों के सामन झूमती हुई सब ओर विचरती हैं तथा बड़ी कठिनाई से गीधों, गीदड़ों और कौओं को लाशों के पास से दूर हटा रही हैं।

📜 यह पतली कमर वाली सर्वांग सुन्दरी दूसरी वधु युद्धस्थल का भयानक द्श्‍य देखकर दुखी होकर पृथ्वी पर गिर पड़ती हैं। महाबाहो। यह लक्ष्मण की माता एक भूमिपाल की बेटी है, इस राजकुमारी की दशा देखकर मेरा मन किसी तरह शांत नहीं होता है।

📜 कुछ स्त्रियां रणभूमि में मारे गये अपने भाईयों को, कुछ पिताओं को और कुछ पुत्रों को देखकर उन महावाहो वीरों को पकड़ लेती और वहीं गिर पड़ती हैं । अपराजित वीर। इस दारूण संग्राम में जिनके बन्धु बान्धव मारे गये हैं उन अधेड़ और बूढी स्त्रियों का यह करूणाजनक क्रन्धन सुनो।

📜 महाबाहो। देखो, यह स्त्रियां परिश्रम और मोह से पीडि़त हो टूटे हुए रथों की बैठकों तथा मारे गये हाथी घोड़े की लाशों का सहारा लेकर खड़ी हैं। श्रीकृष्ण। देखो, वह दूसरी स्त्री किसी आत्मीयजन के मनोहर कुण्डलों से सुशोभित हो और उंची नासिका वाले कटे हुए मस्तक को लेकर खड़ी है। 

📜 अनघ। मैं समझती हूं कि इन अनिन्ध सुन्दरी अविलाओं ने तथा मन्द बुद्धि वाली मैंने भी पूर्व जन्मों में कोई बड़ा भारी पाप किया है, जिसके फलस्वरूप धर्मराज ने हम लोगों ने वड़ी भारी विपत्ति में डाल दिया है। जर्नादन। 

📜 बृष्णिनन्दन। जान पड़ता है कि किये हुए पुण्य और पाप कर्मों का उनके फल का उपभोग किये बिना नाश नहीं होता है। माधव। देखो, इन महिलाओं की नई अवस्था है। इनके वक्ष स्थल और मुख दर्शनीय हैं। इनकी आंखों की वरूणियां और सिर के केश काले हैं। 

📜 ये सब की सब कुलीन और सलज हैं। ये हंष के समान गद्द स्वर में बोलती हैं; परंतु आज दु:ख और शोक के मोहित हो चहचहाती सारसियों के समान रोती विलखती हुई पृथ्वी पर गिर पड़ी हैं। कमलनयन। खिले हुए कमल के समान प्रकाशित होने वाले युवतियों के इन सुन्दर मुखों को यह सूर्य देव संतप्त कर रहे हैं।

📜 वासुदेव। मतवाले हाथी के समान घमण्ड में चूर रहने वाले मेरे ईश्‍यालु पुत्रों की इन रानियों को आज साधारण लोग देख रहे हैं। गोविन्द। देखो, मेरे पुत्रों की ये सौ चन्द्रकार चिन्हों से सुशोभित ढालें, सूर्य के समान तेजस्विनी ध्वजाऐं, स्ववर्ण में कवच, सोने के निष्क तथा सिरस्त्राण घी की उत्तम आहुति पाकर प्रज्वलित हुई अग्नियों के समान पृथ्वी पर देदीप्तमान हो रहे हैं।

©N S Yadav GoldMine
  #MainAurChaand रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖

महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श

#MainAurChaand रणभूमि में केश खोले चारों ओर अपने स्वजनों की खोज में दौड़ रही हैं पढ़िए महाभारत !! 📖 महाभारत: स्‍त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श #पौराणिककथा

27 Views

41d118899e30449d9543d6a98ff61ef7

N S Yadav GoldMine

हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। मेरे लिए इससे बढ़कर महान दुःख की बात और क्या होगी पढ़िए महाभारत !! 📒📒

महाभारत: स्‍त्री पर्व द्वाविंष अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey}

🌷 गान्धारी बोलीं- भीमसेन ने जिसे मार गिराया था,वह शूरवीर अवन्ती नरेष बहुतेरे बन्धु-बान्धव से सम्पन्न था; परन्तु आज उसे बन्धुहीन की भांति गीध और गीदड़ नोंच-नोंच कर खा रहे हैं। मधुसूदन। देखो, अनेकों शूरवीरों का संहार करके वह खून से लथपथ हो वीरशैया पर सो रहा है। उसे सियार, कंक और नाना प्रकार के मांषभक्षी जीव जन्तु इधर-उधर खींच रहे हैं।

🌷 यह समय का उलट-फेर तो देखो। भयानक मारकाट मचाने वाले इस शूरवीर अवन्ति नरेष को वीरषैया पर सोया देख उसकी स्त्रियां रोती हुई उसे सब ओर से घेर कर बैठी हैं। श्रीकृष्ण। देखो, महाधनुर्धर प्रतीप नन्दन मनस्वी वाहिक भल्ल से मारे जाकर सोये हुए सिंह के समान पड़े हैं। 

🌷 रणभूमि में मारे जाने पर भी पूर्णमासी को उगते हुए पूर्ण चन्द्रमा की भांति इनके मुख की कांति अत्यन्त प्रकाषित हो रही है। श्री कृष्ण। पुत्र शोक से सतप्त हो अपनी की हुई प्रतिज्ञा का पालन करते हुए इन्द्रकुमार अर्जुन ने युद्धस्थल में वृद्वक्षत्र के पुत्र जयद्रथ के पुत्र को मार गिराया है। 

🌷 यघपि उसकी रक्षा की पूरी व्यवस्था की गयी थी, तब भी अपनी प्रतिज्ञा को सत्य कर दिखाने की इच्छा वाले महात्मा अर्जुन ने ग्यारह अक्षुहिणी सेनाओं का भेदन करके जिसे मार डाला था, वही यह जयद्रथ यहां पड़ा है। इसे देखो। जनार्दन। सिन्धु और सौवीर देष के स्वामी अभिमानी और मनस्वी जयद्रथ को गीध और सियार नोंच-नोंच कर खा रहे हैं।

🌷 अच्युत। इसमें अनुराग रखने वाली इसकी पत्नियां यघपि रक्षा में लगी हुई हैं तथापि गीदडि़यां उन्हें डरवाकर जयद्रथ की लाष को उनके निकट से गहरे गड्डे की ओर खींचे लिये जा रही हैं। यह काम्बोज और यवन देष की स्त्रियां सिन्धु और सौवीर देष के स्वामी महाबाहु जयद्रथ को चारों ओर से घेर कर वैठी हैं और वह उन्हीं के द्वारा सुरक्षित हो रहा है। 

🌷 जनार्दन। जिस दिन जयद्रथ द्रौपदी को हरकर कैकयों के साथ भागा था उसी दिन यह पाण्डवों के द्वारा वध हो गया था परन्तु उस समय दुषलाका सम्मान करते हुए उन्होंने जयद्रथ को जीवित छोड़ दिया था। श्रीकृष्ण। उन्हीं पाण्डवों ने आज फिर क्यों नहीं आज सम्मान किया? देखो, वहीं यह मेरी बेटी दुषला जो अभी बालिका है।

🌷 किस तरह दुखी हो हो कर विलाप कर रही है? और पाण्डवों को कोसती हुई स्वंय ही अपनी छाती पीट रही है। श्रीकृष्ण। मेरे लिये इससे बढकर महान् दु:ख की बात और क्या होगी कि यह छोटी अवस्था की मेरी बेटी विधवा हो गयी तथा मेरी सारी पुत्रबधुऐं भी अनाथा हो गयीं। हाय। हाय, धिक्कार है।

🌷 देखो, देखो दुषला शोक और भय से रहित सी होकर अपने पति का मस्तक न पाने कारण इधर-उधर दौड़ रही है। जिस वीरे ने अपने पुत्र को बचाने की इच्छा वाले समस्त पाण्डवों को अकेले रोक दिया था, बही कितनी ही सेनाओं का संहार करके स्वंय मृत्यु के अधीन हो गया। मतवाले हाथी के समान उस परम दुर्जय वीर को सब ओर से घेरकर ये चन्द्रमुखी रमणियां रो रही हैं। एन एस यादव रोहिणी दिल्ली।।

©N S Yadav GoldMine
  #yogaday हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। मेरे लिए इससे बढ़कर महान दुःख की बात और क्या होगी पढ़िए महाभारत !! 📒📒

महाभारत: स्‍त्री पर्व द्वाविंष अध्याय

#yogaday हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। मेरे लिए इससे बढ़कर महान दुःख की बात और क्या होगी पढ़िए महाभारत !! 📒📒 महाभारत: स्‍त्री पर्व द्वाविंष अध्याय #प्रेरक

27 Views

6e9527acffec0c9f7ab4c83e875465bc

Neha Swaika

बान्ध ले तू आंखो से 
दिल कि किसी बातो से 
रोक लूंगी खुद को यही मै । # बान्ध ले ।

# बान्ध ले ।

0 Love

e5e0bae1185a7545b31d2c7e399863e4

#D

आज अपनी मेहनत में आंधी लाओ ,
कल जेब में गांधी भी आ जायेगा।

©#D #गान्धी
950228197443fbc17882d94b079f7bb6

अर्पिता

सही व्यक्ति का कांधा 
जीवन के हर बोझ को कम कर देता है।

©अर्पिता #कान्धा
c4d3c75c65010acaec0b789090fad573

Gauhar Ayub Etawi

बेहना ये धागा तो एक रस्म है, तेरा प्यार तो मैं ने इस  दिल मे सज़ा रखा है।
तेरी बिदाई का जब तसब्बु करता हूं तो आंखें नम हो जाती है
मेंने इस दिल को जंजीरों से बांधे रखा है हैपी रक्षा बंधन

©Geetkar Gauhar Ayub Etawi
  बन्धन दिलों के बन्धन

#RakshaBandhan2021

बन्धन दिलों के बन्धन #RakshaBandhan2021 #शायरी

38 Love

1d7f7c3141a28db57af7758931b8a2f6

Ruchika Dwivedi

बन्धन

बन्धन

51 Views

9f942ed8393d827c3894ca2223ad8c3b

H Singh Rajput

तुम मेरी माँ तो नहीं पर मेरी माँ से बढ़ कर हो।
मेरे दोस्तों से जादा तुम मेरे दिल के करीब हो।।
मैं हर बात तुझसे बताता हुँ।
कोई बात ना तुमसे छिपता हुँ।।
आ रहा है फिर रक्षा का त्योहार
इस बार मैं तुझसे क्या कहुँ।।
बस रब से इतनी इल्तज़ा करू
तेरे हर मुशीबतों को
 दूर करने वाला परछाई बनु।
गर दुबारा जन्म हो इस धारा पर 
तो हर जन्म में मैं तुम्हारा भाई बनु।
poet:H.singh rajput बन्धन

बन्धन

2 Love

87861aec70221164e29a86c0faeeeccc

Mukesh Birla (गुर्जर श्री)

बंधन तोड़ दे चाहे दिल मेरा, 
मुझे कोई शिकवा नही है।
हो जाये गर तू बेवफा, 
मुझे कोई गिला नही है।।
तेरी इन नादानियों पर भी,
 मुझे सिर्फ प्यार ही आता है।
क्योकि
यह बन्धन है जन्मो का पगली, 
कोई दो दिन का सिलसिला नही है।।
मुकेश के दर्द (गुर्जर श्री) #बन्धन#
e897a44ee4ff83d235ef8346a0530e6d

slni

#OpenPoetry खोल दिए मैंने अपने नाम के धागे,
इस तरह तुम्हारा पवित्र प्रेम मेरे
बंधनों में जकड़ा मुझे अच्छा नहीं लगता #बन्धन
6de98b36526a4d760d3856db12460ac0

Shubham

कुछ तो बदला है शायद इन चंद दिनों के फेर में
तुम बदले या मैं बदला बस कुछ लम्हों की देर में 
हर पल जो आज़ाद रहे, अब देखो ये बंधन कैसा
तुम भी बँधे हो धागे से और मैं भी हूँ एक घेर में #बन्धन
0cc7dd380404914286332ff58a99cc0f

CalmKrishna

 बन्धन...!

बन्धन...! #nojotophoto #विचार

9 Love

6454c56e5fa95a890d25984bede93ed1

Himanshu umrao

आंधी सी, रेत सी, मैं पानी सी।
चक्रवात सा, बारिश सा, तू बांध सा। 

मैं खो जाऊ कहीं, मगर तू मेरी लगाम सा। #बन्धन #रिश्ते
63088a1173fcd1630eb900c8d7384ba7

abhishekallahabadii

यह राखी की पावन वेला है, 
भाई तूझे अपनी कलाई देना है। 
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
प्यार भरी डोर की यह राखी है, 
दीपक है स्नेह सिक्त बाती है। 
भाई तेरी सलामती के लिए
तुझे यह पवित्र राखी बांधी है।। 
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
चाहत नहीं इसके बदले में कुछ देना, 
चाहत है इस राखी का मान रख लेना। 
चाहत है हर विपत्ति में साथ देना, 
चाहत है पूरी जिंदगी भर प्यार देना।।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
यह राखी की पावन वेला है, 
भाई तुझे अपनी कलाई देना है।। 🇮🇳🇮🇳

          ---------written by Abhishek verma 🖊🖊🖊🖊🇮🇳 रक्षा बन्धन

रक्षा बन्धन

63 Love

cf543083c97947f19b9dab36a08921b4

SJ Kori

न टूटे ये बन्धन जन्मों जन्मों तक
न दूर हो कभी भी ज़िन्दगी में 
यही दुआ है रब से #बन्धन#nojoto

7 Love

0ff14e28b6544cda3e2b697f7ae37727

कवी दिपक सोनवणे

सुर्यदेवा तुझ्या स्वागतासाठी 
आम्ही सैदैव तत्पर 
सोडून जातो मूल बाळ घरी
विश्वास फक्त एकविरा आईवर
(कोळीराजा) कोळी बांधव

कोळी बांधव

12 Love

2dd0133164c01250315cba7f19a0f0ff

Deendayal Sharma Deenu

live story
दो दिलों की
खूबसूरत
नोंक झोंक

©Deendayal Sharma Deenu
  अनजाना बन्धन

अनजाना बन्धन #ज़िन्दगी

126 Views

fda5b03146d4ea1fc73506fdde496a25

Sarika soni

RajivGandhi जहाँ से मैं देख रहा हूँ  21 वीं सदी का भारत 
बहुत ही उन्नति की ओर अग्रसर होगा ** #nojoto #हिन्दी#राजीव गान्धी

26 Love

b8c63d5ae08f3101b6457edf0ce55a24

dr bhanu

बन्धन तभी अच्छे लगते हैं।

जब ,

धागे दिल से दिल तक जुड़े हों। #बन्धन 
#flyhigh
988ae2e96058b0f303a82aba1fa7afb3

Arjun Rao

कभी बन्धन

कभी बन्धन #Love

63 Views

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile