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Azeem Khan
कुछ ना कहें, बुजदिली से मर जाएं । इससे बेहतर है, ज़िंदादिली से मर जाएं । azeem khan # बुजदिली, ज़िंदादिली #
Tanjil Athar
तकलीफ़ इससे नहीं कि बिना गलती मेरा नाम उस जुर्म में उछाला गया......🙄 मैं तो ये सोचकर कर तकलीफ़ में हूं🤐 कि वो जुर्म एक भीड़ ने की थी......🧐 ©Tanjil Athar #ज़िंदादिली #Mic
Bhramgyan Youtube Channel
जिंदगी का दूसरा नाम है जींदा दिली ©Bhramgyan Youtube Channel जिंदगी का दूसरा नाम ज़िंदादिली Dr. Anil Mistri YouTube Channel Bhramgyan #HeartBreak
Chetan malviya
सादादिली देखो की.... दुश्मनों में भी दोस्त साथ कर रखे है.., ज़िंदादिली देखो की..... गहरे गमों में भी चेहरे शाद कर रखे है..।। सादादिली देखो की.... दुश्मनों में भी दोस्त साथ कर रखे है.., ज़िंदादिली देखो की..... गहरे गमों में भी चेहरे शाद कर रखे है..।। #जिंदगी #शाद #इ
~anshul
Avi ke Quotes
थोड़ा वक्त और लगेगा, मुझे तुम्हें पूरा करने में । नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियआशाएं। आशाएं हम में जैसे दरिया की लहरों की तरह हैं, यदि वे हैं तो ज़
Dr Upama Singh
एक तेरे ही उम्मीद और भरोसे से ज़िंदगी की गाड़ी चलती है नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियआशाएं। आशाएं हम में जैसे दरिया की लहरों की तरह हैं, यदि वे हैं तो ज़
Rashmi Hule
प्रिय आशाएं तुम्हें जागते रहना हैं... पुरी अधूरी जैसे भी हो, जिंदगीभर साथ निभाना हैं... तुमसे जाग्रृत हैं जिवन का अर्थ तुम बिन जीवन निरस, निरर्थ... नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियआशाएं। आशाएं हम में जैसे दरिया की लहरों की तरह हैं, यदि वे हैं तो ज़
Harshita Dawar
Insta@dawarharshita कह ले मुझको किस तरह से कहे गए यूं ही. अभी सास थमी नहीं सामना करती रही है यूं ही.. आंखे में सही हज़ार सवाल के जवाब बनती रही यूं ही.. सिसकती बेबस रातों में खामखा खयाल युही ना मिल रही राहत दिल की पता नहीं कैसी लगी आदत यूं ही.. चेतना ए जिंदगी जीने की ज़िंदा ऐसे नहीं यूं ही ज़िंदादिली से चलती रही खैर छोड़ो आगे बढ़ गए हैं तुम भी हम भी यू तो नहीं. पीछे किनारे पर अटकी थी जो आवाज़ अब दिल तक पहुंचती ही नहीं ये सच यूं ही नहीं. खैरियत पूछ कर भी शायद शर्मिंदा महसूस करे यूं तो नहीं. हैरत हैं लेकिन क्या महसूस किया हैं? कभी दर्द किसी अपने तभी तो महसूस होता जिंदगी यू ही नहीं.. इल्जाम देने आसान होते गए बेफुजुल सवाल होते गए कमाल की फितरत छुपी सामने जो लाई वक्त तब अपने रंग दिखाती यू ही नही.. कब तक इंसान झूठ की नीव पर सच्चें रिश्तो को आजमाने की कोशिश करता धोखा देने की आदत में मजबूर होकर नजरअंदाज करता दिखता यूंही नहीं.. अब जो बोया है वहीं तो पाएगा अच्छा इंसान का मुखौटा कब तक अच्छा बनने का खिताब पाएगा उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती ये उपर वाला अपने तरीके से ही जल्दी कर्मों का हिसाब समझाएगा ऐसे कैसे तू बक्श दिया जाएगा जिंदगी है यूंही नहीं... कह ले मुझको किस तरह से कहे गए यूं ही. अभी सास थमी नहीं सामना करती रही है यूं ही.. आंखे में सही हज़ार सवाल के जवाब बनती रही यूं ही.. सिसकती