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DR. LAVKESH GANDHI
एक थे हम और एक थे वो एक और एक मिल कर हो गये ग्यारह #ग्यारह# #ग्यारहवां_अवसर # #yqbaba #yqdada #
somnath gawade
साडेसाती पाठी लागली की, नौ-दो-ग्यारह होता आले पाहिजे. 😂🤣 #नौ- दो-ग्यारह
Vishnu Paliwal
यूँ रफ्ता रफ्ता पहले प्यार वाली बात बढ़ती थी वो लड़का ग्यारहवीं में था, वो उसके साथ पढ़ती थी तड़प उठती थी पहले बेंच पर बैठी वो एक लड़की जब आख़री बेंच वाले उस लड़के को मार पड़ती थी वो लड़का ग्यारहवीं में था..
Pankaj R
एक और एक ग्यारह एक और एक ग्यारह एक बार की बात हैं कि बनगिरी के घने जंगल में एक उन्मुत्त हाथी ने भारी उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नेहीं समझता था। बनगिरी में ही एक पेड पर एक चिडिया व चिडे का छोटा-सा सुखी संसार था। चिडिया अंडो पर बैठी नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों के निकलने के सुनहरे सपने देखती रहती। एक दिन क्रूर हाथी गरजता, चिंघाडता पेडों को तोडता-मरोडता उसी ओर आया। देखते ही देखते उसने चिडिया के घोंसले वाला पेड भी तोड डाला। घोंसला नीचे आ गिरा। अंडे टूट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर पडा। चिडिया और चिडा चीखने चिल्लाने के सिवा और कुछ न कर सके। हाथी के जाने के बाद चिडिया छाती पीट-पीटकर रोने लगी। तभी वहां कठफोठवी आई। वह चिडिया की अच्छी मित्र थी। कठफोडवी ने उनके रोने का कारण पूछा तो चिडिया ने अपनी सारी कहानी कह डाली। कठफोडवी बोली “इस प्रकार गम में डूबे रहने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमे कुछ करना होगा।” चिडिया ने निराशा दिखाई “हमें छोटे-मोटे जीव उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं?” कठफोडवी ने समझाया “एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां जोडेंगे।” “कैसे?” चिडिया ने पूछा। “मेरा एक मित्र वींआख नामक भंवरा हैं। हमें उससे सलाह लेना चाहिए।” चिडिया और कठफोडवी भंवरे से मिली। भंवरा गुनगुनाया “यह तो बहुत बुरा हुआ। मेरा एक मेंढक मित्र हैं आओ, उससे सहायता मांगे।” अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह मेढक रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। मेंढक भर्राये स्वर में बोला “आप लोग धैर्य से जरा यहीं मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं।” ऐसा कहकर मेंढक जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखे चमक रही थी। वह बोला “दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बडी अच्छी योजना आई हैं। उसमें सभी का योगदान होगा।” मेंढक ने जैसे ही अपनी योजना बताई,सब खुशी से उछल पडे। योजना सचमुच ही अदभुत थी। मेंढक ने दोबारा बारी-बारी सबको अपना-अपना रोल समझाया। कुछ ही दूर वह उन्मत्त हाथी तोडफोड मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खडा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा। तभी कठफोडवी ने अपना काम कर दिखाया। वह् आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें बींध डाली। हाथी की आंखे फूट गईं। वह तडपता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे। चिडिया कॄतज्ञ स्वर में मेढक से बोली “बहिया, मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी। तुमने मेरी इतनी सहायता कर दी।” मेढक ने कहा “आभार मानने की जरुरत नहीं। मित्र ही मित्रों के काम आते हैं।” एक तो आंखों में जलन और ऊपर से चिल्लाते-चिंघाडते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज की तलाश थी, पानी। मेढक ने अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें ले जाकर दूर बहुत बडे गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेढक टर्राने लगे। मेढक की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे हो गए। वह यह जानता ता कि मेढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पडा। टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा। जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेढकों ने पूरा जोर लगाकर टर्राना शुरु किया। हाथी आगे बढा और विशाल पत्थर की तरह गड्ढे में गिर पडा, जहां उसके प्राण पखेरु उडते देर न लगे इस प्रकार उस अहंकार में डूबे हाथी का अंत हुआ। सीखः 1.एकता में बल हैं। 2.अहंकारी का देर या सबेर अंत होता ही हैं। ©Pankaj R एक और एक ग्यारह
Prakash Shukla
"मैं और मेरी तन्हाई"ग्यारहवाँ भाग जब चारों सभी की निगाहें मेरे ऊपर टिकीं थी और सब मेरे ऊपर हँस रहे थे तो भय तो थोडा़ कम हो गया पर जब शीतल ने अपने हाथ नीचे किए और वह भी इस घटना पर मुस्कुराने लगी तो मेरे मन के अन्दर ग्लानि का जन्म हुआ मैं मारे शर्म के गडा़ जा रहा था परन्तु मुझे जानना था कि सब मुझ पर हँस क्यों रहे हैं क्यों मुझे टारगेट किया जा रहा है तभी पीछे से एक शिक्षक ने सवाल दागा क्या नाम है बेटा तुम्हारा मेरा उत्तर था "प्रकाश " उधर मैडम बोल पडी़ं शीतल यहाँ आओ और मुझसे पूँछा तुम इसे क्यूँ बचाने की कोशिश कर रहे थे तभी पीछे से एक और शिक्षक की आवाज आई अरे दोस्ती निभा रहे होंगे तो पीछे से तीसरे शिक्षक भी बोल पडे़ नहीं नहीं नासमझी कर गए होंगे बच्चे तभी एक और शिक्षक बीच में बोले अरे मीनाक्षी मैडम की लड़की ऐसा नहीं कर सकती ये सब शरारत किसी और बच्चे की होगी यह सब सुनकर यह तो पता चला कि शीतल मीनाक्षी मैडम की लड़की है पर मीनाक्षी मैडम कौन हैं तभी रश्मि मैम ने हमें माॅफ करवाकर कहा अब शरारत मत करना और जाओ अपनी क्लास में बैठो हम छूट गए थे पर मेरे मन मे बहुत हलचल सी थी कि मीनाक्षी मैडम कौन हैं और शीतल मुझपर क्यों हँस रही थी इन सभी प्रश्नों का जवाब मुझे तुरन्त चाहिए था मैने क्लास की ओर जाते हुए मीनाक्षी से सवाल किया कि मीनाक्षी मैम कौन हैं मैं उन्हें नहीं पहचानता तो शीतल ने मुझे बताया जो प्रिन्सिपल मैम हैं उन्हीं का नाम है मीनाक्षी ,मेरे दिमाग के घोडे़ दौड़ने लगे जो कुछ अभी तक धुँधला था वह सब मेरी आँखों के सामने साफ हो गया था शीतल प्रिन्सिपल मैडम की बेटी थी और उसको सजा उसकी माॅ दे रही थी और मैं फालतू में माॅ बेटी के बीच में कूद गया था जिसके कारण मैं पूरे स्टाॅफ रूम के सामने हँसी का पात्र बनकर रह गया था मुझे लगा कि शीतल ने ये बात मुझसे अभी तक छिपाए हुई थी और मैने उससे फिर कोई सवाल नहीं पूँछा और चुपचाप जाकर क्लास में बैठ गया शीतल ने मुझसे कई बार बात करने की कोशिश की पर मेरा जवाब हाॅ या ना में होने लगा मैं उसे नजरंदाज़ करने लगा और वह थी कि बार बार मुझे अपनी सफाई देने में लगी थी फिर "मैं और मेरी तन्हाई"ग्यारहवाँ भाग
Keshav Saxena
Kaksha Gyarvi Ka Koi Chatpata Kissa Batao एक साल पहले दसवी में पता चला कि जिससे प्यार है , वो पहले रोल नम्बर वाली लड़की है। ठीक इसी से अगले साल बारहवीं में उसको बोला था , ओ बिल्ली तुमसे हमको प्यार है #NojotoQuote ग्यारहवीं कक्षा #sakhtlaunda #zakirkhan #11th #schooling #student #love #proposal
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ख़ामोश रातें पिघल रही है चाँद की चाँदनी मध्यम-मध्यम ख़ामोश रातों के सहारे, गुजर रही है ज़िन्दगी मध्यम-मध्यम ख़ामोश रातों के सहारे, कशमकश में उलझा सा दिल हमारा सवालों के जवाब है तलाशे मध्यम-मध्यम ख़ामोश रातों के सहारे, सूनी हैं राहें तंगहाल दिल की गुजर रहे हम तन्हा उन राहों से मध्यम-मध्यम ख़ामोश रातों के सहारे, तानें देता है ज़माना हमें कि हम कितने ख़ुश दिल हैं..?वो क्या जानें कितनी तकलीफ़ से गुजर रहे हम मध्यम-मध्यम ख़ामोश रातों के सहारे, रमज़ान_कोरा_काग़ज़_2022 ग्यारहवीं_रचना👉_ख़ामोश_रातें #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRख़ामोशरातें #collabwithकोराकाग़ज़
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी छोड़ी नही छीन ली गयी सुविधा सब्सिडियों की धुँआ देख कर दिल पिघल गया उस मरहम की कीमत अब ग्यारह सौ से ऊपर है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho उस मरहम की कीमत ग्यारह सौ से ऊपर है #nojotohindi
Shalini Maurya
तुम्हारी उस वक़्त तुम्हारी आंखें सिर्फ मेरी आंखों से बातें करती हैं। #napowrimo में आज ग्यारहवाँ दिन है। आज का विषय है #ख़ामोशी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi