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Writer1
सत्य का मार्ग कठिन योगी भटके जगह जगह।। सत्य को ढूंढन की खातिर कोई धार्य वैराग्य।। सुमार्ग पर पग दूखन लागै कुमार्ग अति सरल लागै।। सत्य की तलाश में मन पागल सा हुआ जाए।। उच्छलंकृत अवलोकन किया,सब कुछ था तितर-बितर।। मन में अनंत इच्छाओं का था भयंकर सरोवर।। मोह - माया से द्रवित था अंतस मन का भीतर।। सत्य की तलाश में मन आज भी भटक रहा इधर-उधर।। सत्य के मार्ग पर मानो सब कुछ अदृश्य नज़र आया।। बंधन मोहमाया के चुगंल में जकड़े इस कदर भरमाया ।। सत्य का कोई मोल नहीं है सिर्फ झूठ का ही है प्रखर।। ज्ञान बांटने जाओ तो सबकी जीभा बन जाए जैसे मुखर।। है स्वाती है तेरे भीतर ही,तो मुनासिब हैं सत्य की तलाश।। पान कर कुदरत के द्रवित नजारों का,सत्य में होगे तुम अभ्याश।। "जीवन के मार्ग पे सत्यता का मुख ढका हुआ है ख़ुशबू से इसके मेरा चरित्र बोध महका हुआ है" -उत्तम कुमार "ध्यान रहे
S. Bhaskar
अंधेरी रात का साहिल बनना मुकर्रर था, तो मैंने भोर का रास्ता करार कर दिया। रहा तिमिर के गर्भ में डूबा हुआ, रौशनी को मैंने खबरदार कर दिया। कई पर्वतों की उचाई मापी है, गहराई को मैंने आत्म निर्वाण कर दिया। उच्छल जल में पखेरू भी गोते लगाते है, मैंने तह में जा कर गला तर कर दिया। तुम साहिल की बाट जोहते हो उतरन को, मैंने लहरों पे अपना आशियाना आबाद कर दिया। तुम पारस खोजते हो स्वर्ण में ढलने को, मैंने तो पत्थर छु के पारस कर दिया है। मेरी समझ से देखो हर कोई नासमझ मिलेगा, परिस्थितियों ने मुझे बेजार कर दिया है। चांद की सिथिलिता का परिचय हूं, सूरज सा तेज का प्रमाण कर दिया है। अंधेरी रात का साहिल बनना मुकर्रर था, तो मैंने भोर का रास्ता करार कर दिया। रहा तिमिर के गर्भ में डूबा हुआ, रौशनी को मैंने खबरदार कर दिया।
Author kunal
दैत्य (एक खुनी आगाज) मसूमियत के पीछे अक्सर एक शैतान छुपा होता है वक़्त रहते पहचान लो वरना कब तुम उसके शिकंजे में आ जाओ खबर नहीं । एक ऐसी कहानी है पढ़े नीचे । अँधेरी रात सुनसान सड़क पे जब किसी अजनबी से टकरा जाओ वो भी स्त्री तो दम सारे सुख एक केंद्र पर विस्थापित हो जाती है खैर भोंकते कुत्तों के बीच ब
Nisha
समंदर के किनारे, तुम और मैं... (Caption) हमें साथ बैठ कर बातें करनी हैं उस समँदर के किनारे, मुझे डर है के इस सपने के पूरे होने से पहले कहीं तुम चले गए तो! कहीं मैं चली गई या कहीं वो
Anil Siwach