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पूनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी
काही लोक द्वेष करत तर काही लोक भ्रष्ट्र म्हणून मोकळी व्हायची, खर सांगतो लोकहो तुमच्यासाठी लढायचो आम्ही भावना कधीच दृष्ट नसायची.. तुम्हाला मारताना आम्हालाही व्हायचा त्रास, आम्ही ते करायचो जिवंत ठेवण्यासाठी तुमचा श्वास... आम्हालाही कुटुंब आहे तरीही फिरतो वणवण, कारण आम्ही जीवन देशाला केलय अर्पण... आम्ही लढत राहतो अन आमचा कधी जीवही जातो, बापाशिवाय जगण्याचं सामर्थ्य आमच्या लेकरासी देऊन जातो... खर सांगते लोकहो पोलीस होणं जीवन मरणाचा खेळ असतो, कधी काय होईल याचा काही मेळ नसतो... ✍️पुनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी (13/06/2020) #पोलीस #nojotomarathi
somnath gawade
अधिकारी मित्रांनो, पदाबरोबर येणारा अहंकार 'कुरवाळत' बसाल तर तुमच्या नात्यांमधील ओलावा कधी 'वाळत'जाईल हे कळणार सुद्धा नाही. विशेषतः पोलीस खात्यासाठी
somnath gawade
वरिष्ठ कार्यालयाला माहितीसाठी सविनय सादर केलेले पत्र म्हणजे 'कागदोपत्री' करीत असलेल्या कामाचा 'दाखला' होय.😂🤣 #कागदोपत्री
somnath gawade
वरिष्ठ कार्यालयाला माहितीसाठी सविनय सादर केलेले पत्र म्हणजे 'कागदोपत्री' करीत असलेल्या कामाचा 'दाखला' होय.😂🤣 #कागदोपत्री
vimlesh(8619895648)
vimlesh Kumar ©vimlesh 4-tee sirt ka sett h RS.550 coulor- रंग बिरंगा fabric -पोली कोटन type - पोलोस style- सोलिंग design - पोलोस contact I'd Instagram (v.k8619)
संजीव यादव
War and Peace जब बूंद तेरी आँखों से आई हैं तब याद पुलिस तुम्हे आई हैं। अब ना एक पल कोसोगे मुझको ये कैसी तूने कसम खाई हैं। ये दिल ना जाने है कैसा जो तेरे रहमत में आई है। जब बूंद तेरी आँखों से आई हैं तब याद पुलिस तुम्हे आई है। - संजीव यादव #पोलिस
Mohan Somalkar
पोलिस पोलिस असतो सदा तत्पर गुन्हेगाराच्या पाठीमागे वचक असतो त्याचा तो दिवसरात्र जागे..! तमा बाळगत नाही सुखाची कष्ट सहन करुन कधीही धावतो सदा शिरी ध्येय अपराध्याला पकडल्याचे तो उरी बाळगतो..! पोलीस रक्षक असतो या मायभुमीचा...! मोहन सोमलकर ©Mohan Somalkar # पोलिस
Mairi AawaZ Suno
शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब अब तो पोलिस से डर लगता है अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से कोई पत्थर आ जाए पैरों में तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब खाई है रिश्वत बे हिसाब और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब यही वक्त था तुम्हारे पास अपने किरदार को बदल देते साहब इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे ये मुल्क को बता देते साहब पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब ऐसी पुलिस पे शर्म आती है जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती उस पुलिस पे शर्म आती है उस पुलिस पे शर्म आती है। ( खान रिज़वान ) #पोलीस पर शर्म आती है