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अजय 'निलय'
...एक तुम्हारा यूँ रूठ जाना... ...रूठ के फिर झट से मुस्काना... ...मुस्काकर नजदीक आकर,झट से हमको गले लगाना... ...गीत निलय के तुमको गाते,गाते हर इक याद में... ...ऐसे तुम रहते हो दिलबर,मेरे हर जज़्बात में... ...अजय 'निलय... ...गीत - मेरे हर जज़्बात में... ...गीत लेखक - अजय 'निलय'...
अजय 'निलय'
...जैसे महक फूलों मे रहती,चाँद चमकता रात में... ...ऐसे तुम रहते हो दिलबर,मेरे हर जज़्बात में... ...गीत - मेरे हर जज़्बात में... ...गीत लेखक - अजय 'निलय'...
अजय 'निलय'
...एक तुम्हारा यूँ मुस्काना... ...मुस्कूरा कर फिर रुक जाना... ...लगता है बैठा हो आकर,होंठों पर खुद चाँद दीवाना... ...जैसे कोई जुगनु चमकता,हो अंधियारी रात में... ...ऐसे तुम रहते हो दिलबर,मेरे हर जज़्बात में... ...अजय 'निलय'... ...गीत - मेरे हर जज़्बात में... ...गीत लेखक - अजय 'निलय'...
अजय 'निलय'
...एक तुम्हारा नजर उठाना... ...नजर उठाकर नजर झुकाना... ...घायल करता दीवानों को,नजरों से यूँ तीर चलाना... ...जैसे सूरज की किरणों के,तीर चले बरसात में... ...ऐसे तुम रहते हो दिलबर,मेरे हर जज़्बात में... ...अजय 'निलय'... ...गीत - मेरे हर जज़्बात में... ...गीत लेखक - अजय 'निलय'...
Shubham Chadokar
शहरी आजीविका केंद्र बैतूल का शुभारंभ करते हुए माननीय बैतूल विधायक निलय डागा जी
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वो सुंदर सा निलय हमारा जिसे प्यार मोहब्बत से हम दोनों ने सजाया था, एक तूफान ने तोड़ दिया जिसकी हर एक ईंट में अपनी रूह को बसाया था। 🖤 #sipicprompt814 Sublime Inscriptions 🤗 Day 05 of "SI_COUPTRAIN WRITING" Task-04 शब्द- निलय (घर) ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ #sicollabs #sub
The Thought Tellers
ये जो तुमने खुद को बदला है.. ये बदला है या बदला है?? विकाश #shayar #shayari #hindi #sadpoetry #twolinesshayari #rekhta #life #poet #followforfollowback #urdupoetryworld #poem #heartbroken #urduquotes
Vedantika
महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर हो जाऊँ ना मैं भी इस भीड़ में गुमशुदा क़भी रूह मेरी अंजान हैं साज़िशों से दुनिया की मासूम सी खो ना दे पाकीज़गी अपनी दुनिया के इस दस्तूर में होकर दुनिया के रूबरू कर दे ख़ुद को ही घायल ही मिटा दे अपना वज़ूद मेरे इस नापाक ज़िस्म से चाहिए एक निलय मेरी इस रूह की पाकीज़गी के लिये मिल जाए निज़ात मुझे इस दुनिया के डर से माक़ूल नही है जिस्म मेरा अपनी इस रूह के लिए ए ख़ुदा दे मुझे रूह की ज़िंदगी के लिए एक निलय महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर हो
समीक्षा "एक प्रारम्भ"
"सोनिया कालरा" सो - सोम-सुधा- सम सरस सलोनी सुन्दर सहृद स्वभाव सरल, नि - निश्छल-नृपा, निरन्तर नवरित नैसर्गिक नित,निलय नवल, या - यामिनि-योषित,यौवित-यद्वित यवन्ति युग-युग यद्वरल, का - काकधेनुका कुबेर कन्या कमला कुसुमित कुंज कमल, ल - लय-लिपिबद्ध लब्ध-प्रतिष्ठित ललित ललाजू लवित लवल, रा - राज-स्वर्णिता रत्न-गर्भिता रूप-रेखिका रजत रवल... "सोनिया कालरा" सो - सोम-सुधा- सम सरस सलोनी सुन्दर सहृद स्वभाव सरल, नि - निश्छल-नृपा, निरन्तर नवरित नैसर्गिक नित,न