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DR. LAVKESH GANDHI

rakshabandhan # # धागों का त्यौहार#

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DR. LAVKESH GANDHI

rakshabandhan # # धागों का त्यौहार #

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khushboo subraj tiwari

ये दिन है धागों का मैं धागों सी बुनती हुँ, #कविता

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ये दिन है धागों का 
मैं धागों सी बुनती हुँ, 
मैं हूँ इक बहना की भाई के कलाई में सजती हुँ 
ये है इक कवच, 
 जो रक्षा मेरी करता है 
बंधता भाई के हाथों में और ढाल मेरा बनता है 
ये है इक बंधन जो 
जो बांधे रिश्तों को रखता है 
जिसे मन भी पुरे मन इस बंधन की कुबूल करता है ये दिन है धागों का 
मैं धागों सी बुनती हुँ,

rishabh kumar

जागों यारों जागों। #बात

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Today, India is one of the youngest country in the world with more than 62% of the population in the working age group (15-59 years) and more than 54% of the total population below 25 years of age.

सवाल-कहा हैं नवयुवक?
उत्तर- कोई सो रहा है, अगर गलती से कोई जग भी गया तो Web Series, Tik tok( New version Roposo) , Pub G ,Whatsapp, Facebook बस यही हैं हम सब की लाईफ़।
क्यूँ हम दिन-प्रतिदिन इसमें डूबते चले जा रहे हैं...
क्यूँ हम इस से उबर नहीं पा रहे...
क्या कोई जानबूझकर हमें इस से निकलने नहीं दे रहा या हम खुद ही जिम्मेदार हैं, या ध्यान बटाने की साजिश है।
क्यों हमें अपनी मन पसंद का कार्य नहीं मिलता, क्यों हमें व्यवसाय नहीं मिलता , क्यों हम कुछ करना चाहते हैं हमें उचित प्लेटफार्म नहीं मिलता।
क्यों हम 25 साल तक पढ़ने के बाद भी दर-दर भटकते रहते हैं। हमारे स्वरोजगार किसने उजाड़े, हमारी कृषि,पशुपालन,बागवानी प्रथा को क्यों नहीं महत्व दिया गया । क्यों हम मालिक से गुलाम कर दिये गये। क्यों हमें सर्विस सेक्टर की और धकेला गया। क्यों हमारे बीच में पश्चिमी सभ्यता का प्रचार प्रसार किया गया। 
क्यों बच्चें को खेलने के लिये मैदान की जगह, स्मार्ट फोन पकड़ा दिया गया। क्यों देशी खानों की जगह विदेशी खाने को महत्व दिया गया । आदि....
सबसे बड़ा सवाल हम कब जागेंगे या कुछ चुनिन्दा लोगों को ही अपना सर्वोच्च निक्षावर कर देंगें।
जागों यारों जागों, अपने मन मुताबिक जीने का हक आपको भी, अपने सपने को पूरा करने का हक आपको भी। आप जिसे Follow करते हैं वो आप खुद बन सकते हैं । अपने आप को पहचानों, आप में असीम शक्तियाँ हैं ।  बस गलत नीतियों से और भ्रामक दुष्परिचार से अपने आप को बचावो , गलत अगर कोई भी है आवाज उठाओ, जो हमें अपने मार्ग से विचलित करें उसका डट कर सामना करो। ये मिथ्या हैं कि हम से ऊपर बैठा हुआ इंसान हम से श्रेष्ठ है यकीन मानो वह बस अवसरवादी हैं और अपने आप को बेरोजगार होने से बचाने के लिए तरह-तरह के हतकंडे अपना रहा है। 
हमें बेवकूफ नहीं उससे चालाक बनना पड़ेगा, अगर सरकार गलत है तो तख्तापलट कर दो। क्या कभी सोचा हैं देश का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुखयमंत्री, मंत्री नयुवक क्यों नहीं हो सकते। क्या हम उस काबिल नहीं हैं। ऐसी बात नहीं है हम उनसे ज्यादा काबिल हैं लेकिन वो हमें वहां तक पहुँचने ही नहीं देना चाहते। सबसे बड़ा रोजगार तो मुझे लोकतंत्र में ही दिखता है लेकिन वहां कोई नियम कानून लागु नहीं होते क्यों कि वहां कुछ चुन्नीदे लोगों को ही शासन करना है। 
आजकल एक शब्द चल रहा है Nepotism । सोचना यह शब्द कहाँ लागु नहीं हो रहा। 
जब हम इस काल्पनिक दुनिया से निकलेगें तभी तो आवाज उठायेंगे। इस षड्यंत्र को पहचान कर इस पर कुठाराघात करने का समय आ गया है जागों यारों जागों- अपने हक के लिये लड़ो। आने वाले पीढ़ी को हमें उनके अनुरूप दुनिया बनाना है जहां उनका सर्वागींण पोषण हो सकें। अगर हम नहीं जागें तो यह ऐसे ही चलता रहेगा और कोई कुछ नहीं कर पायेगा।
जयहिंद🙏🙏🙏 जागों यारों जागों।

Anand Kumar Ashodhiya

दीवाना सी तेरी सूरत - ब्रेथलेस

दीवाना सी, तेरी सूरत, कि लगती हो, प्यार की मूरत,
तेरी सूरत, पे अपनी जाँ, छिड़कता हूँ, ओ जान ए जाँ, 
ओ जान ए जाँ, हो जान ए जाँ

ज़ुल्फ़ों के साए में, हाय ज़िंदगी तमाम हो
नशीले लबों पे तेरे, बस मेरा ही नाम हो, बस मेरा ही नाम हो,
तेरा कज़रा, ये गज़रा, बनाता है, मुझे भँवरा,
कि बिखरा के, लट चलती हो, मुस्का के, निकलती हो,
इस मुस्का, पे अपनी जाँ, छिड़कता हूँ, ओ जान ए जाँ, 
ओ जान ए जाँ, हो जान ए जाँ

क्यों ना तेरे माथे की, बन जाऊँ बिंदिया
समां जाऊं अँखियों में, बनके मैं निंदिया, हाँ बनके मैं निंदिया,
खुशबु तेरी, साँसों में, जादू तेरी, आँखों में,
इन आँखों, का हर  सपना, लगता है मेरा अपना,
इस अपनेपन, पे अपनी जाँ, छिड़कता हूँ, ओ जान ए जाँ, 
ओ जान ए जाँ, हो जान ए जाँ

दीवाना सी, तेरी सूरत, कि लगती हो, प्यार की मूरत,
तेरी सूरत, पे अपनी जाँ, छिड़कता हूँ, ओ जान ए जाँ, 
ओ जान ए जाँ, हो जान ए जाँ
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट

©Anand Kumar Ashodhiya #दीवानासीतेरीसूरत #ब्रेथलेस

#MereKhayaal

Shyamu Vishwakarma

रिस्ते धागों से। #truelove

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बर्षो से सुन रहा हु
कि रिस्ते धागों से होते हैं,
फिर जुड़ सकते हैं
अब कैसे बताऊं साहब,
हमारे छोर ही खोये हैं।
                    - Ayush रिस्ते धागों से।
#truelove
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