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Arora PR
White नहीं रही मेरी "ना * कहने की वो पुरानी आदत और "हाँ " कहने पर मुझे किसी न रोका है न टोका है कभी फिर भी ये "हाँ " " ना "कहने की गुथी कभी सुलझी नहीं कभी ©Arora PR "हां " "ना "
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
यहां वहा-जहां तहां,मैं ने ढूंढा है तुम्हे हर गली-हर वो जगह! तुम जानिया वे हो कहां,मिलते नहीं,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! मैं तेरे इश्क में डूबा हू इस कदर,झुमा हूं मैं इश्क में शामो-शहर! तुम फिर क्यों नहीं मेरे दिल को,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! ये जो दिल में बसी तेरी चाह है,सनम रे वो रे इस तरह वेपनाह है! तेरे लिए तकता हूं राह को रात भर,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! तुम मेरे इश्क हो-तुम मेरे इश्क हो,मैं तुम्हें चाहत हूं बेबाक होकर! तेरे लिए तेरे चाह में हूं बेताब होकर,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! तू आ भी तो जा,पास आ तो जरा,तेरे लिए चाहतें लिए हूं गुलाब सा! इमान से तू अब तो मान ले आ भी जा,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! करलो तो इश्क मुझसे यू पास आकर,सांसों मे समा भी जा दिलरुबा! मैं तेरे इश्क में हूं तू अब तो मान ले,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! तू मान भी ले मैं तेरे लिए हूं तेरा हूं,तू मेरे सांसों में घुली-घुली है! मैं तेरा हूं तेरे लिए हूं तेरे शहर में हूं,तुम हो कहां-तुम हो कहां!! यहां वहां-जहां तहां Vamik KARUNESH Abhishek Bhardwaj Khalid Waseem रोहित तिवारी ।
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
यहां वहां जहां तहां हर गली हर मोर पर, सोङ है बस चाहतो का हम इश्क के मरीज हैं!! तू जरा तो पास आजा चुमना है तुम्हारे लवो को, यहां इश्क के बाजार मे हम तेरे हसरतो के मुरीद हैं!! मेरे दिल की जो मुराद है काश तुमको भी याद हों, तुम कहो या न कहो हम तेरे चाहतो के इतने तो करीब हैं!! फिर जो प्याला इश्क के भङ दे पिया कुरवतो के जाम से, हमतो हो गये तुम्हारे नाम हैं हम तुम्हारे हीं हवीव हैं!! और तो मै क्या कहुं तू छिप गई हैं बादलो की ओट मे, पिया तुम हां कहो या ना कहो हम तेरे हीं नशीब है!! उदारता जो हैं तेरा हम तेरे चाहतो मे इस तरह गरीब हैं, फिर तेरा यू बढता कदम पिया और तेरे फैशले अजीब हैं!! यहां वहां जहां तहां रोहित तिवारी pavanguru1850 Vandana Mishra HøT_Bõy_Øm Su Hail
माधुरी"मुस्कान"शर्मा
खूबसूरत वफ़ा का सिला मिल गया। दिल को हर ज़ख़्म जलता हुआ मिल गया मैं हथेली पे महंदी लगाती रही, और कोई उसे दूसरा मिल गया।। रह गईं बिन बियाही हरी चूड़ियां, मुफलिसी अब तुझे बोल क्या मिल गया सिम्त दीयों की बेखौफ बढ़ने लगी, क्या हवा को नया मशवरा मिल गया? हो गया हमसफ़र हिज़्र जब से मेरा, दिल की तन्हाई को आसरा मिल गया।। इश्क़ में क्या जुदाई मुझे ही मिली? राधिका को कहां सावरा मिल गया? मैंने छोड़ी नही उससे हरगिज़ वफ़ा, माधुरी वो भले ना-खुदा मिल गया।। हथेली पे महंदी
Manish Upreti
मैं आवाज हूँ कोई अनसुनी। तू सुन के हां कर दे ना। मैं तपती धूप में जलता सा। आजा, आके थोड़ी छांव कर दे ना। मैं बिना बात की शायरी करूं। थोड़ा सा दर्द मेरे नाम कर दे ना। ये हवाओं के झोंके क्या बिगाड़ेंगे मेरा। आजा, मेरी ज़िन्दगी में तूफान कर दे ना। मैंने शराब को हाथ नहीं लगाया कभी। वो नशा तू आंखों से कर दे ना। ज़िन्दगी बीत गयी काम से नाम करने में। भरे शहर में मुझे बदनाम कर दे ना। मैं आवाज हूं कोई अनसुनी। तू सुन के हां कर दे ना। हां कर दे ना।
Rajesh Khanna
तु जानता हे ना मेरी मोहब्बत को तो बताता क्यों नहीं मुझे नहीं घर वालों को कुछ ना कुछ तो कहगे तो सही ज्यादा नहीं हां या ना का तो जवाब मिल जायेगा ना ©Rajesh Khanna #BhaagChalo हां या ना
Mahendra Joshi
प्लास्टिक को ना बोलें थैले को हां हां