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Ek villain
क्या यह महज एक दुर्भाग्य ही है कि पाकिस्तान श्रीलंका अफगानिस्तान और म्यांमार फिलहाल राजनीतिक एवं आर्थिक स्तर के दौर से गुजर रहे हैं अगर हम पिछले कुछ वर्ष तक जायजा ले तो मालदीव नेपाल भी कई बार राजनीतिक और आर्थिक निश्चित अधिक शिकार रहे भारत ने इन सभी पड़ोसी देश को नाजुक देश कहना ज्यादा उचित होगा मेरी का विचार मंच फंड फॉर पीस द्वारा संगीत कमजोर देशों की करंसी के अनुसार 169 देशों में अफगानिस्तान पाकिस्तान और भारत इन सभी देशों के मुकाबले में हमारा देश स्वतंत्र भारत और पाकिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश ©Ek villain #संकटग्रस्त पड़ोसी देशों का सहारा बना भारत #Life
MOOLA RAM LILAWAT
Ravi Shankar Kumar Akela
किसी भी देश की सरकार कहती है कि तुम्हें अपने देश से प्रेम होना चाहिए उसके लिए मरना और मारना प्रेम है सभी देशों का कट्टरवाद वे उसी को ही प्रेम करते हैं अपने देश के प्रति वफादार रहना। देश की रक्षा करना। देश के लिए किसी की हत्या करना या खुद शहीद होना। कट्टर राष्ट्रवाद को भी देश प्रेम बताया जाता है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #paani किसी भी देश की सरकार कहती है कि तुम्हें अपने देश से प्रेम होना चाहिए उसके लिए मरना और मारना प्रेम है सभी देशों का कट्टरवाद वे उसी को
R.S. Meena
पहाड़ पहाड़ो से करनी हो बात, तो आओ पहाड़ो के पास चले। हर दिशा से गुँजे उनका वैभव, चलो उनकी आवाज सुने।। हिमालय करे सुरक्षा, रखे हमारे विशाल देश को अक्षुण, बादल भी टकराकर लौटे, लहलहाएँ खेतों में कण-कण। अरब सागर से उठती लहरें, पहाड़ो से मिलने को तरसे, जहाँ दिखे पहाड़ो में हरियाली, वहाँ वो, मन करके बरसे। पर्वत कहो इन्हें या पुकारों इनकों, लेकर इनका नाम पहाड़, मान-सम्मान हैं ये देशों का, शत्रु सह सके ना इनकी दहाड़। खनन से छलनी हैं हृदय, मानव जाने क्यों समझ ना पाते, छेद करे बार-बार उसी थाली में, जिसमें वो चाव से खाते। मानव नें कृत्रिम भवनों को पहाड़ काट-काट कर सजाया, विवेकहीन बना रहा जीवनभर, पहाड़ो को मैदान बनाया। वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास पहाड़ है, जिसमें वो रहते हैं, वनों को काटकर, पहाड़ो का अस्तित्व मिटाने में जन रहते हैं । सुनो ! सुनो ! पुकार सुनो ! पहाड़ों के जज्बात को समझो, ना चीरो तुम इनका सीना, झुककर, तुम, इनका पाँव पकड़ो। बचानी हैं गर जिंदगी अपनी, पहाड़ो में कभी बारूद ना फटे। वन और पहाड़ो के रहने से, पर्यावरण से जहरीली गैस घटे।। पहाड़ पहाड़ो से करनी हो बात, तो आओ पहाड़ो के पास चले। हर दिशा से गुँजे उनका वैभव, चलो उनकी आवाज सुने।। हिमालय करे सुरक्षा, रखे हमारे विशाल
Ramandeep Kaur
मात्रभूमि को शीश निवाओ, भाव धरो और दीप जलाओ, भारत मां को करो प्रणाम🙏, हम हैं भारत की संतान, हम हैं भारत की संतान... जय भारती, मां भारती, जय भारती, मां भारती।। इस वर्ष ज़माने पे, संकट बड़ा भारी है, इसी वर्ष ज़माने ने, भारत की ही मानी है। जय भारती, मां भारती, जय भारती, मां भारती।। दूर कहीं जनमी भीषण महामारी है, दुनिया भर को जिसने शमशान बना दी है। छोटे से जीवाणु ने संसार हिला डाला, गलियों बाजारों को सुनसान बना डाला। जय भारती, मां भारती, जय भारती, मां भारती।। पश्चिम के देशों का क्या अद्भुत जीवन है!! कल हमको जकड़े था पिंजरा ये गुलामी का, इनके संस्कारों ने हमको बेहलया था, अब वक़्त हमारा है, दुनिया ने भी माना है। जय भारती, मां भारती, जय भारती, मां भारती।। अब विश्व ने भारत के, अंदाज़ को अपनाया, आयुर्वेदा, योगा, देसी को अपनाया। कर बद्घ प्रणाम की ये शुभ आदत डाली है, भारत मां की हम पर आशीष निराली है। जय भारती, मां भारती, जय भारती, मां भारती।। जय हिन्द🇮🇳 ©रमन #mypoem #independenceday मात्रभूमि को शीश निवाओ, भाव धरो और दीप जलाओ, भारत मां को करो प्रणाम🙏, हम हैं भारत की संतान, हम हैं भारत की संतान...
Sandeep Kothar
डिक्रिप्शन अवश्य पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखें। ©Sandeep Kothar वसुधैव कुटुंबकम् दोस्तों, अब तक का सबसे सफल शिखर सम्मेलन G20 रहा है, जहाँ सभी देशों ने 73 मुद्दों पर सहमति व्यक्त की और एक संयुक्त घोषणा (द
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल था। चारों तरफ खुशी का माहौल, पर कुछ तो कमी था। कौन कैसे कहां से शुरुवात करें, था यें प्रश्न गंभीर। तब आएं बाबा भीमराव, बनकर भारत का वीर। 58 देशों का भ्रमण किया, किया वहां की बातों का अध्यन। करके एक सभा गठित, होने लगा फ़िर संविधान पर मंथन। 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय, बन तैयार हुआ हमारा संविधान। 299 लोगों ने लिखा इसे, स्थाई अध्यक्ष बनें राजेन्द्र प्रसाद। 26 जनवरी 1950 को, लागु हुआ हमारे संविधान का विधान। तबसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता संविधान दिवस। सबसे बड़ा लिखित संविधान ये, सब कुछ का इसमें विधान। बाबा भीमराव ने हर वर्ग के लिए इसमें किया है प्रावधान। है इसमें एक उद्देशिका सम्मिलित, 448 हैं इसमें अनुच्छेद। 12 अनुसूची सम्मलित इसमें, संविधान में हैं 25 भाग।। 5 अनुलग्नक इसमें समलित, 125 हुए अभी तक संशोधन। धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया, करके अलग संशोधन। एकता अखंडता का प्रतीक, मूल कर्तव्यों का हैं समावेश। सभी वर्णों का मूल अधिकार इसमें, इसमें नहीं कोई द्वेष। नीति निदेशक तत्व की, बात हैं सबसे प्यारी। बच्चों से लेकर बूढों तक, रक्षा करती ये हमारी। 26 जनवरी का दिन हैं इतना प्यारा, कैसे करूं मैं इसकी बखान। इसी दिन दिए जाते हैं, भारत रत्न, पद्म भूषण आदि सम्मान। कविता - जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल
नेहा उदय भान गुप्ता
जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल था। चारों तरफ खुशी का माहौल, पर कुछ तो कमी था। कौन कैसे कहां से शुरुवात करें, था यें प्रश्न गंभीर। तब आएं बाबा भीमराव, बनकर भारत का वीर। 58 देशों का भ्रमण किया, किया वहां की बातों का अध्यन। करके एक सभा गठित, होने लगा फ़िर संविधान पर मंथन। 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय, बन तैयार हुआ हमारा संविधान। 299 लोगों ने लिखा इसे, स्थाई अध्यक्ष बनें राजेन्द्र प्रसाद। 26 जनवरी 1950 को, लागु हुआ हमारे संविधान का विधान। तबसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता संविधान दिवस। सबसे बड़ा लिखित संविधान ये, सब कुछ का इसमें विधान। बाबा भीमराव ने हर वर्ग के लिए इसमें किया है प्रावधान। है इसमें एक उद्देशिका सम्मिलित, 448 हैं इसमें अनुच्छेद। 12 अनुसूची सम्मलित इसमें, संविधान में हैं 25 भाग।। 5 अनुलग्नक इसमें समलित, 125 हुए अभी तक संशोधन। धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया, करके अलग संशोधन। एकता अखंडता का प्रतीक, मूल कर्तव्यों का हैं समावेश। सभी वर्णों का मूल अधिकार इसमें, इसमें नहीं कोई द्वेष। नीति निदेशक तत्व की, बात हैं सबसे प्यारी। बच्चों से लेकर बूढों तक, रक्षा करती ये हमारी। 26 जनवरी का दिन हैं इतना प्यारा, कैसे करूं मैं इसकी बखान। इसी दिन दिए जाते हैं, भारत रत्न, पद्म भूषण आदि सम्मान। कविता - जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल
Divyanshu Pathak
21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है । इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं। देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏 : बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम