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Rajendrakumar Shelke

💐*सुविचार*💐 हिरव्यागार या वसुंधरेवर प्रकाश पसरे रवितेजाचा, मन वेडावले जणू निसर्गाने आत्म्यालाही विसर पडे मित्वाचा ...! 💐@ राजेंद्रकुमार शेळ #nojotophoto

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 💐*सुविचार*💐
हिरव्यागार या वसुंधरेवर 
प्रकाश पसरे रवितेजाचा,
मन वेडावले जणू निसर्गाने
आत्म्यालाही विसर पडे मित्वाचा ...!
💐@ राजेंद्रकुमार शेळ

har narayan chandra

आपको और पूरे परिवार को प्रकाश पर्व की बधाई #nojotophoto

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 आपको और पूरे परिवार को प्रकाश पर्व की बधाई

Prashant Mishra

दुर्गेश भैया प्रधान का प्रचार

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मचल बिरोधियन में सानसनी
लड़िहें दुर्गेश भइया परधानी
इनके लहर उड़ता अबकी हउवा में
अबकी बिकास होइ गउआँ में
दुर्गेश भैया जितिहें चुनउआँ में...

पानी के हो जाई पूरा निकासी
पल्हनी के जनता से मिली शबाशी
मिटी बदहाली बनी,कुल हाली हाली बनी,
पानी निकारे खातिर साफ-सुथर नाली बनी
पानी के हो जाई...पूरा निकासी
पल्हनी के जनता से मीली शबाशी
फिर रहिएगा साफ-सुथर चमकउआ में

बिजली के नया-नया खम्भा तनाई
गली-गली में आरसीसी बिछाई
तनिको ना टेंशन मिली, बुढवन के पेंशन मिली
गाँवे के कोटवा पे समय-समय से राशन मिली
बिजली नया नया...
आइयेगा नहीं केहु के बहकउआ में

रामपुर से लेकर के कोमल कलोनी
लखनऊ जईसे चमकी आपन पल्हनी
पूरा हर आस होई, सबके बिकास होई
बूढ़-पुरनियन के बृद्धा पेंशन पास होइ
रखिहा भरोसा बस आपन बेटउआ में
अबकी विकास होइ गउआँ में
दुर्गेश भइया जितिहें चुनउआ में

--प्रशान्त मिश्रा दुर्गेश भैया प्रधान का प्रचार

Gabar Singh Kumai

#मेरु मुल्क शुभ प्रभात जी प्रणाम #nojotophoto

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 #मेरु मुल्क शुभ प्रभात जी प्रणाम

parveen barle

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S K Sachin उर्फ sachit

शुकून है बहुत तुम्हारे दीदार में
यूँ ही नहीं पागल हूँ तेरे प्यार में
तू मेरे दिल में  समाया हुआ था
और निकले थे हम ढूंढने बाजार में

©S K Sachin #प्रकाश

Prakash Shukla

प्रकाश

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हाँथों मे मेँहदी सजी पड़ी है मै कैसे मान लूँ
नशेमन की बिजलियों को मैं कैसे थाम लूँ
फरमाइए दस्तूर दास्तानें मोहब्बत
बड़ी पाबन्दियाँ लगी हैं हुज़ूर मैं कैसे ज़ाम लूँ
प्रकाश प्रकाश

Prakash Singh

प्रकाश##

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आपसे बातों की वो सिलसिला।।
जब थमने का वो नाम ना ले।।
दिल से दिल का रिश्ता है।।
जब तक कि वो जान ना ले।।
जब तक कि वो पहचान ना ले।। प्रकाश##

Prakash Shukla

है प्यार की सीमाओं से परे,जो दर्द दिए ,वो हमने सहे
कोई बात रही न अब बाकी,तुम बिन अब हम ,हम न रहे
जैसे शीप पड़ा हो बिन मोती,उसका कोई अब मोल नहीं
धुन सात सुरों के संगम बिन,जो गीत बने अनमोल नहीं
मैं हूँ बस काया बिन जान,तुम बिन अब हम,कैसे रहें
है प्यार की सीमाओं.................
मैं एक नदी हूँ सूखी सी,जिसमें कोई रसधार नहीं
हूँ मिट्टी की मूरत जैसी,जिसमें झलकता प्यार नहीं
मैं हूँ बस साया तुम प्राण,दिल की बातें हम ,कैसे कहें
है प्यार की सीमाओं..................
मैं हूँ बिन पंक्षी आसमान, जिसमें प्यार के मीठे बोल नहीं
बसते प्यार मे दोनों जहान,जिसका प्यार मे कोई रोल नहीं
मै हूँ अजीब इंसान, बिन प्यार धार के कैसे बहे
है प्यार की सीमाओं...................


#प्रकाश #प्रकाश

Prakash Singh

प्रकाश##

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कोरे कागज पे तुम शब्द बन कर रहना।।
ताकि जब भी दिल करे।।
तुझे पढ़ लिया करू।। प्रकाश##
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