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parveen mati
Poetry with Avdhesh Kanojia
इस जन्माष्टमी पर, जीवन तुमको सौंप दिया है हे केशव कृष्ण मुरारी। थामे रखना प्रभु प्रीति डोर मन में जो बसती हमारी।। न कोई और सहारा हमारा तुम ही मन को भाये। प्रणाम उन्हें जो नंगे पैर निज मित्र हेतु थे धाये।। छोड़ गरुण आसन जैसे ही चक्र सुदर्शन चलाया। दुखित थकित गजराज को हरि ने ग्राह पाश से बचाया।। फंसा हुआ है मोह माया में तव सेवक अवधेश। गज जैसे ही बचाएँ मुझे हे बंसीधर गोपेश।। ✍️अवधेश कनौजिया© जीवन तुमको सौंप दिया है हे केशव कृष्ण मुरारी। थामे रखना प्रभु प्रीति डोर मन में जो बसती हमारी।। न कोई और सहारा हमारा तुम ही मन को भाये। प्रण
Instagram id @kavi_neetesh
" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी और अनहोनी के संग बीच भंवर में फंसा हुआ हूँ मृग मरीचिका मुझे लुभाती संशय मन का और बढ़ाती बिखर रहा हूं कण कण जैसे पवन वेग सिक्ता उड़ जाती खुद में खुद को ढूंढ रहा हूं मिला नहीं मुझको तुम जैसा खुद ही खुद को लूट रहा हूं हार गया हूं मैं इस जग से तिल तिल करके टूट रहा हूं ©Instagram id @kavi_neetesh " हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat शायरी लिखने के लिए दिल चाहिए कुछ टूटा हुआ कुछ जुदा हुआ कुछ सिला हुआ कुछ गुथा हुआ कुछ मिला हुआ कुछ खींचा हुआ कुछ कसां हुआ कुछ फंसा हुआ कुछ दबा हुआ कुछ धंसा हुआ कुछ मसला हुआ कुछ फबता हुआ कुछ गहरा हुआ कुछ गड़ा हुआ कुछ सिसकता हुआ कुछ फिसलता हुआ कुछ देखता हुआ कुछ कहता हुआ दिल ही तो है, पर दिल वहीं जो समझता हो बस दिल बस दिल वहीं चाहिए #cinemagraph #dilkibaat #yqbaba #yqdidi #yqtales Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat शायरी लिखने के लिए दिल चाहिए कुछ टूटा हुआ कुछ जुदा हुआ
Poetry with Avdhesh Kanojia
::केशव वन्दन:: जीवन तुमको सौंप दिया है हे केशव कृष्ण मुरारी। थामे रखना प्रभु प्रीति डोर मन में जो बसती हमारी।। न कोई और सहारा हमारा तुम ही मन को भाये। प्रणाम उन्हें जो नंगे पैर निज मित्र हेतु थे धाये।। छोड़ गरुण आसन जैसे ही चक्र सुदर्शन चलाया। दुखित थकित गजराज को हरि ने ग्राह पाश से बचाया।। फंसा हुआ है मोह माया में तव सेवक अवधेश। गज जैसे ही बचाएँ मुझे हे बंसीधर गोपेश।। #krishna #shrikrishna #kanha #कृष्णमेरे #कृष्ण #100thquote #poetry ::केशव वन्दन:: जीवन तुमको सौंप दिया है हे केशव कृष्ण मुरारी। थामे रखना
i am Voiceofdehati
“मैं” वर्तमान से वर्तमान के वर्तमान में हूं मैं भूतकाल के भूतकाल में फंसा हुआ हूं क्यूं मैं भविष्यकाल के भविष्य के लिए वर्तमान खोऊं मैं हकीकत में कुछ नहीं कर सकता लेकिन “बदलाव” चाहता हूं मैं भूत की भूलों से सबक सीखकर भूल सुधार रहा हूं मैं जिन विचारों को बांट रहा था उन्हें ही अपना रहा हूं मैं अपनी परिस्थितियों को छिपाता सबसे जैसे भूसे पर लीप रहा मैं सामाजिक बंधनों का निर्वहन हेतु सब कुछ सह रहा हूं मैं अपनों को परेशान देखकर सपनों को छोड़ रहा हूं मैं जो घटित हो रहा आज साथ उन्हीं को पिरो रहा हूं मैं इस अंधकार के भ्रमजाल में मशाल ढूंढ रहा हूं मैं मुस्कान है मेरी होंठों पर उम्मीदों पर जिंदा हूं मैं.. “मैं” #मेरी_दास्ताँ वर्तमान से वर्तमान के वर्तमान में हूं मैं भूतकाल के भूतकाल में फंसा हुआ हूं क्यूं मैं भविष्यकाल के भविष्य के लिए वर्तमान
Poetry with Avdhesh Kanojia
जीवन तुमको सौंप दिया है हे केशव कृष्ण मुरारी। थामे रखना प्रभु प्रीति डोर मन में जो बसती हमारी।। न कोई और सहारा हमारा तुम ही मन को भाये। प्रणाम उन्हें जो नंगे पैर निज मित्र हेतु थे धाये।। छोड़ गरुण आसन जैसे ही चक्र सुदर्शन चलाया। दुखित थकित गजराज को हरि ने ग्राह पाश से बचाया।। फंसा हुआ है मोह माया में तव सेवक अवधेश। गज जैसे ही बचाएँ मुझे हे बंसीधर गोपेश।। ✍️अवधेश कनौजिया© प्रेम को यदि कोई शब्द परिभाषित कर सकता है तो वो समर्पण ही है। #सौंपदिया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Pramod Kumar
Vedantika
इंसान के दिल में बहुत से सवाल होते है कभी ज़िंदगी की उलझनों से जुड़े हुए तो कभी रिश्तों से जुड़े हुए। भक्ति और आस्था से जुड़े ही न जाने कितने ही
N S Yadav GoldMine
📒📒महाभारत: स्त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श्लोक 19-28 {Bolo Ji Radhey Radhey}📜 शत्रुघाती शूरवीर भीमसेन ने युद्ध में जिसे मार गिराया तथा जिसके सारे अंगों का रक्त पी लिया, वही यह दुशासन यहां सो रहा है। माधव। देखो, ध्रुतक्रीड़ा के समय पाये हुए कलेशों को स्मरण करके द्रौपदी से प्रेरित हुए भीमसेन ने मेरे इस पुत्र को गदा से माल डाला है। 📜 जनार्दन। इसने अपने भाई और कर्ण का प्रिय करने की इच्छा से सभा में जुएं से जीती गयी द्रौपदी के प्रति कहा था कि पान्चालि। तू नकुल सहदेव तथा अर्जुन के साथ ही हमारी दासी हो गई; अतः शीघ्र ही हमारे घरों में प्रवेश कर। 📜 श्रीकृष्ण। उस समय मैं राजा दुर्योधन से बोली- बेटा। शकुनी मौत के फन्दे में फंसा हुआ है। तुम इसका साथ छोड़ दो। पुत्र। तुम अपने इस खोटी बुद्धि वाले मामा को कलह प्रिय समझो और शीघ्र ही इसका परित्याग करके पाण्डवों के साथ संधि कर लो। 📜 दुर्बुद्वे। तुम नहीं जानते कि भीमसेन कितने अमर्षशील हैं। तभी जलती लकड़ी से हाथी को मारने के समान तुम अपने तीखे वाग्बाणों से उन्हें पीड़ा दे रहे हो । इस प्रकार एकान्त में मैंने उन सब को डांटा था। 📜 श्रीकृष्ण। उन्हीं बागबाणों को याद करके क्रोधी भीमसेन ने मेरे पुत्रों पर उसी प्रकार क्रोधरूपी विष छोड़ा है, जैसे सर्प गाय वैल को डस कर उनमें अपने विष का संचार कर देता है। सिंह के मारे हुए विशाल हाथी के समान भीमसेन का मारा हुआ यह दुशासन दोनों विशाल हाथ फैलाये रणभूमि में पड़ा हुआ है। 📜 अत्यन्त अमर्ष में भरे हुए भीमसेन ने युद्धस्थल में क्रुद्व होकर जो दुशासन का रक्त पी लिया, यह बड़ा भयानक कर्म किया है । ©N S Yadav GoldMine #DarkCity 📒📒महाभारत: स्त्री पर्व अष्टादश अध्याय: श्लोक 19-28 {Bolo Ji Radhey Radhey}📜 शत्रुघाती शूरवीर भीमसेन ने युद्ध में जिसे मार गिराया