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Shashi Bhushan Mishra
दिवस का अवसान बाक़ी, समय का तूफ़ान बाक़ी, ज़िन्दगी तुम बिन अधूरी, दोस्त का अहसान बाक़ी, आंधियों में बह गया सब, बच गया ईमान बाक़ी, ख़ुशी मिलती ईद जैसे, ग़म का इम्तहान बाक़ी, उम्र की दहलीज़ खिसकी, ज़िस्म में है जान बाक़ी, जायेगा दुनिया से खाली, ख़ुदा का फ़रमान बाक़ी, हृदय में आनन्द भर ले, 'गुंजन' यही सामान बाक़ी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिवस का अवसान बाक़ी#
Kamal bhansali
bharat quotes चिंतन देश का सभी करते है, यह सही है, पर किस स्तर का करते है, यह एक प्रश्न है? जिसका सत्यपूर्ण जबाब हमारे पास नहीं है। जब देश हित और स्वयं हित की तुलना करेंगे तो यही ज्यादा सामने दृष्यत होता है कि स्वयं हित से देश हित हार जाता है। आज स्वतन्त्रता के बाद भी समान अधिकारों से सजाया हुआ संविधान यही बात पूछता है,क्यों आज भी मेरा नागरिक अपने आप को बेसहारा और लाचार पा रहा है। गरीबों की बात कर क्यों हर नेता अमीर हो जाता और क्यों एक सड़क पर बेसहारा पड़ा इंसान एक छोटा सा रहने का स्थान नहीं पाता। देश का दुःख न समझ कर भी हम कैसे उसे अपना कह देते है ? इस विचारणीय सवाल का सही जबाब पता नहीं किस स्वाधीनता दिवस पर मिलेगा। फिर भी स्वाधिनता दिवस की शुभकामनाएं हम सभी सम्पन्न देस वाशियो को और उन के लिए जो लाचारी में रात्रि में रैन बसेरा ढूंढते ....आशा सहित एक दिन स्वाधीनता और स्वतंत्रत का अर्थ ढूंढ लेगे। #NojotoQuote स्वाधीनता दिवस का सवाल
Ajit Bhai Yadav
एक सुख का त्याग करने के बाद ही हमे दुसरा सुख मिलता हैं लेकिन ज्यादातर इंसान त्यागे हुये सुख के याद में खोये रहते हैं और वर्तमान सुख का आनंद नही ले पाते हैं। हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामना #NojotoQuote हिन्दी दिवस का हार्दिक शुभकामना।
Dr Kumari Richa
जननी जब मैं जननी बनी मेरे घर आया, एक नन्हा प्यारा सा ललना!! तब मैंने यह जाना ..... जिसे शब्दों में बयां ना करूं, वह एहसास है यह सुहाना!! मेरे आंचल में जब आ सिमटा, एक नन्ही सी जान का संसार उसकी किलकारीयों से ..... जब गूंजे मेरा घर अंगना!! ममता,दया ,प्रेम,लूटाऊं उसपर , कुदरत का है यह कैसा अद्भुत करिश्मा !! चंचल नयन चांद सा प्यारा मुखड़ा , मैं निहारु एकटक उसे..... जब झूले वह पलना!! मै ममत्व लुटाऊ उसपे..., वो है मेरा सबसे सुन्दर खिलौना!! सागर से गहरा ,आसमान से ऊंचा, ईश्वर की हूं मैं सबसे अद्भुत रचना!! जब मैं जननी बनी मेरे घर आया , एक नन्हा प्यारा सा ललना!! जिसे शब्दों में मैं बयां ना करूं , एहसास है यह सुहाना! डॉ:: कुमारी रिचा ©Dr Kumari Richa मेरे बेटे का जन्म दिवस
Prakhar Sharma
मैं नही रूबरू उस गर्म लहू से,जो मुस्तैद हवा संग लहराए। उनकी शहादत की प्रचंड आहुति को मैं कविता से आभास करूं।। ©Prakhar Sharma कारगिल दिवस का हार्दिक गौरव। #IndianArmy