सूरज, चंदा, तारों में, आँगन,घर द्वार, दिवारों में,
घाटी और पठारों में, लहरों और किनारों में,
भाषण-कविता-नारों में,गाँव-गली-गलियारों में,
चर #विचार#ramlalaayodhyamandir
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AB
कितनी सुखद यात्रा करती हैं ना नदियां गंतव्य तक बिना पथ भटके शांत अविरल बहती रहती हैं, निःसंदेह उनके धैर्य की सीमा अनंत, अंतर्मन कोमल, ह्रद