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Mamta kumari
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार काल की तरह मुँह खोलें हैं ना जाने कौन बच्चा कब काल के मुँह समाए ये तो भोले है। अस्पताल में बच्चे का जान जाते देख माँए खून के आंसू रोए हैं ना जाने इसका समाधान कब होगा सरकार तो सोए हैं । हर दिन माँये का आँचल खाली होते देख नींद नही आया है रोते बिलखते बच्चों की आवाज सुन मुझे रोना आया है । काश मैं इन बच्चों के लिए कुछ कर पाती चिन्ता सताया है हे प्रभु करो चमत्कार बच्चों को लेकर माँए सपना संजोया हैं। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ।
Rajesh Khanna
लागू कर दिया है मैंने इश्क अब कोई भी ADMISION करा सकता है दिल कोई किसी का नहीं दुखायेगा नहीं तो इश्क से बाहर हो सकता है ©Rajesh Pal एडमिशन #Joker
miss seemai
ये साल ऐसा रहा की बता नहीं सकते अपनी मर्जी से कहीं जा नहीं सकते आशा है अब लोटे ना ये क्योंकि हम इसको और ज्यादा अब सह नहीं सकते,,,😂 ©miss seemai #२०२०
Er Prince Kumar
अलविदा 2020 """""""""""""""""""""""""""""""""""""""" यूं कह तो 2020 विष ही बन गया जो पाया था वह सब तो लुट ही गया हमने अपना कारोबार , नौकरी खोया इसी बहाने परिवार का स्नेह पाया मार्च से कोरोना का आतंक है छाया इस दहशत की अजीब है माया सारे इंसान को कहां से कहां पहुंचाया हमने स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण पाया ऐसा महामारी कोरोना दहशत का साया हमने खुद को ही अपने घरों में कैद पाया हमने दिखावे की जिंदगी जो थी वो खोया कम साधनों में जिंदगी गुजारना सिखाया सबके काम धंधे तो बंद पड़ा पाया किसानों पर तानाशाही का बुलंदी छाया जितना पढ़ा - लिखा सब तो हार गया पर हां हमने बेरोजगारी का दर्द जरूर पाया रेल ,तेल ,खेल सब तो करीब बिक ही गया हमने अपने संविधान को टूटते हुए पाया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सोते पाया हां मैं स्वस्थ लोकतंत्र का नागरिक कहलाया ✍ अभियंता प्रिंस कुमार सोनदीपी, बेगूसराय(बिहार) ©prince Kumar #२०२०
Gumnaam shayar
आज से एक सफर शुरू होता है, २०२० का आशा है कि जो ख्वाहिशे २०१९ में अधुरी रह गई वो इस साल पूरी हो जाऐ #२०२०
Rahul Singh Bhardwaj
हसरतें हमारी चाहें जैसी भी हो. इसबार किसी के झांसे में ना आयेंगे.. करेंगे वही जो हमारे दिल को भायेंगे... #राहुल सिंह भारद्वाज #२०२०
PANKAJ KUMAR SINHA
(नववर्ष) कुछ मीठे, कुछ खट्टे , कुछ तीखे,कुछ उलझे,कुछ सुलझा सा बिता साल । कुछ सच्चे, कुछ झुठे,कुछ कच्चे, कुछ पक्के,कुछ अधपके सा बिता साल।। कुछ पुरे, कुछ अधुरे,कुछ तुम्हारे, कुछ हमारे, कुछ न्यारे सा बिता साल । कुछ मिले,कुछ छूटे, कुछ भूले, कुछ बिसरे,कुछ जीवन्त सा बिता साल । कुछ रंगमंच , कुछ सत्य , कुछ असत्य , कुछ भुत और भविष्य सा बिता साल । कुछ शीर्षक ,कुछ छंद, कुछ कविता, कुछ प्रश्न ? , कुछ उत्तर सा बिता साल। कुछ निष्कर्ष, कुछ उत्कर्ष कुछ सार्थक, कुछ व्यापक,कुछ आस्तिक तो कुछ नास्तिक सा बिता साल। कुछ जन्म, कुछ मुक्ति, कुछ युक्ति, कुछ आदि, कुछ अंत सा बिता साल। कुछ प्यार, कुछ इनकार, कुछ अधिकार, कुछ अंधकार, कुछ प्रकाश सा बिता साल। कुछ रीति, कुछ प्रीति, कुछ नीति, कुछ इति, कुछ आपबिती सा बिता साल । कुछ हास्य, कुछ व्यंग्य, कुछ काव्य, कुछ नेपथ्य, कुछ रहस्य सा बिता साल। कुछ कहा, कुछ अनकहा, कुछ राग, कुछ द्वेष, कुछ आभाव , कुछ भाव सा बिता साल। शत् शत् नमन,कोटी कोटी वंदन,सहस्त्र सहस्त्र अभिनंदन,नव वर्ष २०२० प्रकृति और परमेश्वर।। नववर्ष २०२०
Suvarna Gogawale
सरत्या वर्षाला निरोप.... २०२० काय म्हणाव या वर्षाला? "आठवणीतल वर्ष की... वर्षातल्या आठवणी? कोरोनाचा काळ की... या काळातला कोरोना! आठवाव तरी कस अन् विसराव तरी कस? जगाभोवती कोरोनाच वलय जसं!" सौ. गोगावले सुवर्णा ©Suvarna Gogawale २०२० #LostInNature