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Brajesh Kumar Bebak

जौहरी हीरा कहानी पंचतंत्र

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S. Bhaskar

चढ़ल बाटे सावन देख मन हरियाईल बा, चौक शिवाला पे भांग कुटाईल बा, मन तरसता तनी ला के चखा द ना, एहो हमार गौरी -2 तनी मांग के हमरो खिया द ना। ह #yqbaba #yqdidi #yqbholenath #yqbhaskar

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चढ़ल बाटे सावन देख मन हरियाईल बा,
चौक शिवाला पे भांग कुटाईल बा,
मन तरसता तनी ला के चखा द ना,
एहो हमार गौरी -2 तनी मांग के हमरो खिया द ना।

हम हई जगत के माता,
लोग हमरो के पूजे जाता,
कईसे हम ओहिजा मुहवा दिखाईब ना,
ए हो मेरे भोले -2 हमसे ई भंगिया आईं ना।

हम हई नाथ टिकल हमरे पे बात,
बिना भंगीया बा सुना सबे रात,
कावरियां भी खाली हाथ जाई ना,
ए हो गणेश के माई-2 तनी मांग के हमरो खिया दा ना।

त्रिलोकी रउवा बानी हम राउर हई रानी,
बतिया हमार मानी भक्तन के संभाली,
भर भर चिलम रउवा धुवां में उड़ाई ना,
ए हो मेरे भोले -2 हमसे ई भंगिया आईं ना।

हम पंचतंत्र के स्वामी हई मंत्र में ज्ञानी,
बिना नशे के देख चढ़ावे पड़ी पानी,
घुटताटे हमर दम फेल भईल चिलम,
देख कोरोना के दवा बनाईब ना,
एहो हमार गौरी -2 तनी मांग के हमरो खिया द ना।

जब कोरोना के बडूवे बात,
हम्हू बानी रउवा साथ,
हम ता लावतानी भगिया तू हूं हो जा तनी भगवईया ना,
ए हो मेरे भोले -2 हमही ई भांगिया लाईन ना। चढ़ल बाटे सावन देख मन हरियाईल बा,
चौक शिवाला पे भांग कुटाईल बा,
मन तरसता तनी ला के चखा द ना,
एहो हमार गौरी -2 तनी मांग के हमरो खिया द ना।

ह

Insprational Qoute

पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना, बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी, ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती, खेलों के #बचपन #yqbaba #yqdidi #लड़कपन #hkkhindipoetry #अभिव्यक्ति_challange

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पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन  बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन,
पीछे छूट गया मेरा प्यारा बचपन ,
आ गई नये जमाने मे,सच पूछो तो दुनिया के फसाने में,
आज भी याद आते है बीते बचपन के किस्से दीवाने से,
अब तो बस जिंदगी जी रहे हैं या बोले कि बस जी ही रहे हैं,
कोई सुख का राग अलाप रहे हैं तो कोई दुख का राग अलाप रहे हैं,
पहले बचपन फिर लड़कपन जवानी ले गया,
वक़्त जालिम हमारी जिंदगानी ले गया,
हमे ऐसे सफर पर छोड़ गया,
न मुड़कर मेरा लड़कपन आया,
जहाँ न मुझे मिला किसी मोड़ पर मेरा सुहाना बचपन,
उसमे जीवन की यादे थी  अधिकतम,
आँखों मे लिए आँसू अब दिल जिंदगी से करता गुहार,
लौटा दो कोई अल्हड़ लड़कपन,
लौटा दो कोई आवारा बचपन,
Part-2 पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के

Ravi Sharma

हिन्दू मुसलिम देश में रहते , कुछ सिख और सिंधी हैं। एक तार से पिरोये सबको वो तार तो हिन्दी है।। गीता पढ ली ,बाइबल पढ ली , कुर'आन ,ग्रंथ #Hindi #कविता #nojotophoto

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 हिन्दू मुसलिम देश में रहते , कुछ सिख और सिंधी हैं।
एक  तार से  पिरोये सबको वो तार  तो   हिन्दी है।।

गीता पढ ली ,बाइबल पढ ली , कुर'आन ,ग्रंथ

Ravi Sharma

हिन्दू मुसलिम देश में रहते , कुछ सिख और सिंधी हैं। एक तार से पिरोये सबको वो तार तो हिन्दी है।। गीता पढ ली ,बाइबल पढ ली , कुर'आन ,ग्रंथ भी ब #शायरी #HindiDiwas2020

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तुतलाहट में मां मनुहार करे जब , स्वयं हरि भी खाते हैं ।
शब्द जाल में हरि को फांसे ,वो भाषा तो हिन्दी है।।

।। रवि ।। हिन्दू मुसलिम देश में रहते , कुछ सिख और सिंधी हैं।
एक तार से पिरोये सबको वो तार तो हिन्दी है।।

गीता पढ ली ,बाइबल पढ ली , कुर'आन ,ग्रंथ भी ब

रजनीश "स्वच्छंद"

समास।। मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ, एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ। मध्य पदों को छोड़ कर, मैं समस्त पद बना। पहले लगा जो पूर्वपद, अंत मे उत्तरपद जना। #Poetry #Quotes #Knowledge #kavita

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समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।
नकचढ़ी या हथकड़ी,
मैं हूँ शब्दों की लड़ी।
एक वाक्य को समा लिया,
किया लघु तेरी घड़ी।
तेरे मुख चढ़ा रहा,
मैं भक्तियों का लोप कर।
कभी बदल दूँ अर्थ तो,
न दुख मना न क्षोभ कर।
भेद मेरे जान ले,
सिमटता हूँ छः प्रकार में।
काव्य गीत लेख कथा,
गूंजता हूँ अलंकार में।
अव्यय जो आगे चल रहा,
अव्ययीभाव मुझको बोलते।
प्रथमपद प्रधान है,
जो वाणी-तुला ले तोलते।
प्रतिदिन, प्रतिपल,
यथाशीघ्र यथाशक्ति हो।
आमरण निर्विकार भी,
अनुरूप यथाभक्ति हो।
प्रधान हुआ जो दूसरा,
मैं तत्पुरुष बन जाता हूँ।
कारकों का लोप कर,
नवशब्द हो तन जाता हूँ।
तुलसीदासकृत धर्मग्रंथ,
राजपुत्र रचनाकार हूँ।
देशभक्ति राजकुमार,
मनुजहित गीतासार हूँ।
कर्मधारय मैं हुआ,
उत्तरपद ही प्रधान है।
विशेष्य संग विशेषण,
उपमेय संग उपमान है।
प्राणप्रिये चंद्रमुखी,
श्यामसुंदर नीलकमल।
अधमरा देहलता,
परमानन्द चरणकमल।
उत्तरपद और पूर्वपद का,
सामंजस्य खास है।
आगे अंक या पीछे अंक,
यही द्विगु समास है।
पंचतंत्र या नवग्रह,
ये त्रिलोक त्रिवेणी है।
चौमासा नवरात्र कहो,
ये पंचप्रमान अठन्नी है।
पद न कोई गौण हो पाए,
दोनों रहें प्रधान ही।
द्वंद्व समास कहायें ये,
रखते दोनों का ध्यान भी।
नर-नारी और पाप-पुण्य,
सुख-दुख ऊपर-नीचे है।
अपना-पराया देश-विदेश,
गुण-दोष आगे-पीछे है।
मैं छीनू परधानी सबकी,
पद मैं तीजा बनाता हूँ।
अपना मतलब रहूँ छुपाये,
बहुब्रीहि कहलाता हूँ।
वीणापाणि और दशानन,
लंबोदर पीताम्बर हूँ।
चक्रधर और गजानन,
मैं घनश्याम श्वेताम्बर हूँ।
मेरी बातों को गांठ बांध लो,
काम तेरे मैं आऊंगा।
ले रहा जो छोटा विराम अभी,
फिर आ मैं भरमाउंगा।

©रजनीश "स्वछंद" समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।

N S Yadav GoldMine

#DhakeHuye किसी झूठ को बार-बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है अतः अपने दिमाग से काम लें पढ़िए यह कहानी !! 🌌🌌 {Bolo Ji Radhey Radhey} बकर #प्रेरक

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N S Yadav GoldMine

#hands इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की लालच का फल कभी मीठा नहीं होता है जरूर पढ़िए !! 🎀🎀 {Bolo Ji Radhey Radhey} ब्राह्मण और सर्प-पंचतंत् #जानकारी

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इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की लालच का फल कभी मीठा नहीं होता है जरूर पढ़िए !! 🎀🎀
{Bolo Ji Radhey Radhey}
ब्राह्मण और सर्प-पंचतंत्र :- 🌉 किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। एक बार ग्रीष्म ऋतु में वह इसी प्रकार अपने खेत पर वृक्ष की शीतल छाया में लेटा हुआ था। सोए-सोए उसने अपने समीप ही सर्प का बिल देखा, उस पर सर्प फन फैलाए बैठा था।

🌉 उसको देखकर वह ब्राह्मण विचार करने लगा कि हो-न-हो, यही मेरे क्षेत्र का देवता है। मैंने कभी इसकी पूजा नहीं की। अतः मैं आज अवश्य इसकी पूजा करूंगा। यह विचार मन में आते ही वह उठा और कहीं से जाकर दूध मांग लाया।

🌉 उसे उसने एक मिट्टी के बरतन में रखा और बिल के समीप जाकर बोला, हे क्षेत्रपाल! आज तक मुझे आपके विषय में मालूम नहीं था, इसलिए मैं किसी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं कर पाया। आप मेरे इस अपराध को क्षमा कर मुझ पर कृपा कीजिए और मुझे धन-धान्य से समृद्ध कीजिए।

🌉 इस प्रकार प्रार्थना करके उसने उस दूध को वहीं पर रख दिया और फिर अपने घर को लौट गया। दूसरे दिन प्रातःकाल जब वह अपने खेत पर आया तो सर्वप्रथम उसी स्थान पर गया। वहां उसने देखा कि जिस बरतन में उसने दूध रखा था उसमें एक स्वर्णमुद्रा रखी हुई है।

🌉 उसने उस मुद्रा को उठाकर रख लिया। उस दिन भी उसने उसी प्रकार सर्प की पूजा की और उसके लिए दूध रखकर चला गया। अगले दिन प्रातःकाल उसको फिर एक स्वर्णमुद्रा मिली।इस प्रकार अब नित्य वह पूजा करता और अगले दिन उसको एक स्वर्णमुद्रा मिल जाया करती थी।

🌉 कुछ दिनों बाद उसको किसी कार्य से अन्य ग्राम में जाना पड़ा। उसने अपने पुत्र को उस स्थान पर दूध रखने का निर्देश दिया। तदानुसार उस दिन उसका पुत्र गया और वहां दूध रख आया। दूसरे दिन जब वह पुनः दूध रखने के लिए गया तो देखा कि वहां स्वर्णमुद्रा रखी हुई है।

🌉 उसने उस मुद्रा को उठा लिया और वह मन ही मन सोचने लगा कि निश्चित ही इस बिल के अंदर स्वर्णमुद्राओं का भण्डार है। मन में यह विचार आते ही उसने निश्चय किया कि बिल को खोदकर सारी मुद्राएं ले ली जाएं। सर्प का भय था। किन्तु जब दूध पीने के लिए सर्प बाहर निकला तो उसने उसके सिर पर लाठी का प्रहार किया।

🌉 इससे सर्प तो मरा नहीं और इस प्रकार से क्रुद्ध होकर उसने ब्राह्मण-पुत्र को अपने विषभरे दांतों से काटा कि उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। उसके सम्बधियों ने उस लड़के को वहीं उसी खेत पर जला दिया। कहा भी जाता है लालच का फल कभी मीठा नहीं होता है।
सीख :-🌉 लालच बुरी बला है।

©N S Yadav GoldMine #hands इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की लालच का फल कभी मीठा नहीं होता है जरूर पढ़िए !! 🎀🎀
{Bolo Ji Radhey Radhey}
ब्राह्मण और सर्प-पंचतंत्

Amit tiwari

जहां हुआ करती थी जन्नत वो कश्मीर हमारा है, जिसे ऋषि कश्यप का नाम मिला है वो कश्मीर हमारा है, जहां वागभट्ट का आयुर्वेद है वो कश्मीर हमारा है, #SAD #kashmir #Broken #yqbaba #yqdidi #yqquotes #thekashmirfiles

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वो कश्मीर हमारा है....!!

(कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जहां हुआ करती थी जन्नत
वो कश्मीर हमारा है,
जिसे ऋषि कश्यप का नाम मिला है
वो कश्मीर हमारा है,
जहां वागभट्ट का आयुर्वेद है
वो कश्मीर हमारा है,
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