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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख । फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।। मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार । बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।। सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार । बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख । फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।। मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार । बिछुआ चूड़ी मेंहदी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौकडिया छन्द तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना । देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।। मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना । अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।। जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना । पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।। बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना । ऐसे मत रूठो तुम हमसे , साथ हमे हैं रहना ।। ०१/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना । देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।। मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना । अपने संग हमे भी ल
Dr Upama Singh
“सोलह श्रृंगार” अनुशीर्षक में बिन तेरे हर श्रृंगार फ़िजूल़ है तेरा होना ही मेरे चेहरे का नूर है साखों पर सजता रहे नए पत्तों का श्रृंगार करते हैं हम एक दूजे से प्यार तन क
Rajat Agarwal (Melting Philosophy)
सोलह श्रृंगार सा तुझमे समा जाऊँ। - Read caption सोलह श्रृंगार सा तुझमे समा जाऊँ। तेरा श्रृंगार बन जाऊँ ....! तेरे माथे का टीका बन जाऊँ या तेरी माँग भर जाऊँ । तेरी आंखों का सुरमा बन जाऊँ य
वन्दना यादव " ग़ज़ल"
सुनों ना ,,,,,,,, तुम भी श्राद्ध कर ही दो आखिर अब बचा ही क्या है???? यादें, सिसकियाँ, तन्हा रातें अब और सहन नहीं होता आजाद कर दो मुझे
Ravendra
नेहा उदय भान गुप्ता
प्रियवर आज मुझे तुम स्वीकार करो प्रियवर आज मुझे तुम स्वीकार करो ऋतु आई प्रणय मधुर बेला की, प्रियवर आज मुझे स्वीकार करो। थी अब तक मैं कुवांरी बाला, पर आज मेरा सोलह श्रृंगार
Divyanshu Pathak
ये इश्क़ उसे क़ैद कर पिंजरे में। क़ीमत पाने के लिए ले जाता, उसकी नुमाइश करने बाज़ार में। लगाकर बोली उसकी वहाँ, नीलाम करता है। हर एकदिन, इश्क़। #येरंगचाहतोंके साथ हम बात कर रहे थे #इश्क़ की पिछली कड़ी में आप पढ़ ही चुके है। "इश्क़ की गली विच नो एंट्री" सुनने के बाद भी आप और जानना चाहते
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
प्रियवर आज मुझे तुम स्वीकार करो प्रियवर आज मुझे तुम स्वीकार करो ऋतु आई प्रणय मधुर बेला की, प्रियवर आज मुझे स्वीकार करो। थी अब तक मैं कुवांरी बाला, पर आज मेरा सोलह श्रृंगार