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S Ram Verma (इश्क)

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भरत सिंह

@देवेन्द्र दांगी

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मैं जब भी किताब लिखूंगा 
तो एक बात जरूर लिखूंगा की
 *प्रेम* अपनी *पराकाष्ठा* पर तब तक रहता है 
जब तक इजहार न हो,
हम जितने वेग से एक-दूसरे के नजदीक आते हैं 
उतने वेग से दूर नहीं जा सकते,
हमें मानसिक रूप से दूर जाने में 
जमाना लग सकता है 
हम सहमति के साथ खूबसूरत मोड़ पर 
रिश्ता खत्म नहीं कर सकते हैं, 
एक मुकम्मल इश्क को खत्म करने के लिए 
नफरत की पर्याप्त मात्रा चाहिए ही होगी 

मुझे अच्छे से यकीन है 
अगर तुम्हारे बच्चे हिंदी का होमवर्क करते वक्त तुमसे *नफरत का पर्यायवाची* पूछेंगे तो तुम्हें मेरा ख्याल जरूर आएगा

 @देवेन्द्र दांगी

Jagdeesh Dangi

दांगी एक आवाज़ सच की और #selflove

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अपने अगर अपने नही हुए तो फिर उन अपनो के लिए लड़ना बेवखूफी है 💯

©Jagdeesh Dangi दांगी  एक आवाज़ सच की और

#selflove

Suraj Dangi

#सूरज दांगी जाट

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मुस्कराया कीजिए 

रोने से दर्द और हरे हो जाया करते हैं #सूरज दांगी जाट

Piku Thakur

तुम मांग कर तो देखो, दिल की आवाज अभिषेक दांगी ठाकुर A@isha_rana Shikha Verma दिल की आवाज अभिषेक दांगी ठाकुर #विचार

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तुम मांग कर तो देखो सच्चे दिल से, वो तुम्हारी दुनिया ना बदल दे तो कहना! तुम मांग कर तो देखो,  दिल की आवाज अभिषेक दांगी ठाकुर A@isha_rana Shikha Verma  दिल की आवाज अभिषेक दांगी ठाकुर

Om

ओम दांगी आशय #togetherforever #Poetry

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में तुम्हें ही खोज रहा हूं दिन रात,
मगर तुम मिले ही नहीं हो इस जन्नत में,

©Om ओम दांगी आशय
#togetherforever

Manohar Choudhary

समाज की संकीर्णता #नारी #गौरक्षा #समाज #कविता

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M Gautam

अभिषेक दांगी ठाकुर रोहित तिवारी । #nojotovideo

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Pawan Prajapati

समाज की बेबसी ####

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J P Lodhi.

#समाज की कठपुतली

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समाज की कठपुतली
सत्य में समाज की कठपुतली है नारी,
समाज ने बांधे रूढ़ियों के बंधन भारी।
कभी रिश्तों तो कभी समाज ने लूटा है,
लगता नारी से तो भगवान भी रूठा है।
सोते जागते नचाते रहते उसे बंधन सारे,
दुख की दास्तां कहते बहते अश्क खारें।
जकड़ा उसे अंधविश्वास की बेड़ियों ने,
हरपल नोचा उसको इंसानी भेड़ियों ने।
बाजारों में बेच रहे नारी को कोडियों में,
बिना मर्जी  बांध रहे बेमेल जोड़ियों में।
रहती आई , वह हमेशा शिक्षा से वंचित,
तबभी करती आई संस्कारों को संचित।
सहती आ रही जुल्म सितम पीढ़ियों से,
गिरती रही वह ऊपर चड़ती सीढ़ियों से।
नाच रही वह सदा नाच कठपुतलियों के,
प्रथाओं के धागों से जकड़ी उंगलियों  से।
JP lodhi #समाज की कठपुतली
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