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Wais Azmi
सोचा था हम पुरुष ही अमीर हैं हवस के ! देखा जब तो स्त्रियां रईस निकली हमसे !! ©Wais Azmi #waisazmiquate #देखा #स्त्रियां #पुरूष #रेप #Nojoto #yqdidi #yqbaba
CalmKrishna
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अदनासा-
ज़रूरी है जो असहाय एवं निर्बल जन के लिए सबल बने, बिना भेदभाव के हर नारी सम्मान की रक्षा करे, नर में व्याप्त यही पौरुष गुण पुरुष कहलाता है, केवल पुरुष संबोधन होना ही पर्याप्त नही होता। ©अदनासा- #हिंदी #पुरुष #पौरुष #PoetInYou #मर्द #Instagram #Pinterest #Facebook #समाज #अदनासा
सुसि ग़ाफ़िल
स्त्रियां रम जाती है संभोग के बाद, पुरुष भागता फिरता रहता है। स्त्रियां रम जाती है संभोग के बाद, पुरुष भागता फिरता रहता है। ~ सुशील कुमार 🌻
नीता चौधरी
मै भी तो हा!मै भी तो,तुम्हारी तरह आखो में चमक लिए दुनिया में आता हूं। अठखेलियां कर ,बचपन तो मै भी बिताता हूं। जवानी में,किताबो का बोझ मै भी तो,उठाता हूं। मां-बाप,बहन,पत्नी,सखि सबका साथ निभाता हूं। निकल पडता हू,भरी जवानी मै भी,दो वक्त की रोटी कमाने ठंडी हवा,तो गर्म हवाओ का रूख मालिक का गुरूर,तो खुद की काबिलियत! इन सबसे निपटारा कर सांझ ढले आता हूं। जिम्मेदारी तले मै भी तो कब सुकून ,प्यार पाता हूं। दर्द भरा है,दिल में गर मैं बाहर,नही लाता हूं। बस सबके सपनो को पूरा कर ,मै खुद भी चैन से रहता हूं.......सभी पुरूषों को पुरूष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं © मैं भी तो....सभी पुरुष मित्रों को पुरूष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं #bonding
Shraddha Yadav
जीवनाला नाही कशाचाही रंग जीवन जगण्यात सर्व असतात दंग कधी होईल जीवनाचा भंग जीवन हे असे कसे। -श्रद्धा यादव जीवन हे असे कसे।
shishpal rajpurohit
तू अपना काम करता चल, 90% पुरुष ठंडा टिफिन खाते है सिर्फ इसलिए ताकि उनका परिवार गर्म खाना खा सके। पुरुष
Geeta Sharma pranay
Expression Depression एक बात पुछनी थी मुझे अपने ही पुरूष-प्रधान देश के पुरुषों से... क्या स्त्री सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं, उसकी कोई भावना की कदर ही नहीं,, क्या स्त्री के हृदय -हृदय नहीं, सिर्फ एक माटी का खिलौना हैं जो कोई भी उसके साथ कुछ भी कर सकता हैं,,, पर! किसी के ह्रदय के साथ खेलना , ये कहाँ का पुरुषत्व हैं? यहीं हमारा पुरूष-प्रधान देश है, जो अब स्त्री की रक्षा सिर्फ उसके तन तक ही सीमित है , एक स्त्री सिर्फ उस पुरूष के लिए , उसका प्रेम प्राप्त करने के लिए कुछ भी बन जाती हैं,,, क्या वास्तव में पुरूष का ह्रदय सिर्फ स्त्री के तन को मैला करने के लिए होता हैं, क्या समाज में आज भी हर दायरा सिर्फ स्त्री के लिए हैं,, पुरूष स्त्री के साथ कभी भी कैसा भी व्यवहार कर सकता हैं, उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर सकता हैं, बस! उसका प्रेम स्त्री का प्रेम वासनायुक्त प्रेम हैं, उसके हिरदय में कभी पवित्र प्रेम जन्म नही लेता हैं??? पुरुष
गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश
#तुम_पुरुष_हो सुनो, तुम पुरुष हो! तो तुम्हे केवल कर्तव्य निभाने है, घर से लेकर दुनियादारी तक! भीड़ से लेकर चारदीवारी तक!! तुमने जहां बात की अधिकारों की, तो तुम धारा के विपरीत होगे, सामाजिक ताने बाने को तोड़ रहे होगे! सबके तंज का रुख अपनी ओर मोड़ रहे होगे!! तुम कठोर हो तुम सह जाओगे, यही तुम सीखोगे, आगे सिखाओगे, टूटना नहीं है तुम्हे दायरे में रहना है! मान्यताओं के विपरीत नहीं संग रहना है!! कहते हों लोग कि तुमसे प्यार है, तुम्हे ही समाज के सारे अधिकार है, पर इस बहाने बोझ तुम पर ही डाला गया है! अधिकारों के बहाने कर्तव्यों से छला गया है!! पर फिर भी तुम खुश रहते हो, अपने अन्दर ही कहीं गुम रहते हो, छोड़ देते हो कहीं दूर तकलीफों की बातें। कैसे गुजारते हो दिन, कैसे बीतती तुम्हारी रातें।। तुम अपने खोल में ही खुश रहते हो, ऐसे ही दूसरों से खुद को अलग करते हो, अलहदा है यही पहचान तुम्हारी सबसे। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। पुरुष दिवस की सभी मित्रों को बधाई।। 19.11.2018 पुरुष