Nojoto: Largest Storytelling Platform

New काष्ठ Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about काष्ठ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, काष्ठ.

Related Stories

    PopularLatestVideo

Pushpvritiya

इसी सरलता हेतु स्वयं को काष्ठ का कठोर बनाए रखा है

read more
mute video

Rashmi Hule

जल में, हर स्थल में, काष्ठ में, पाषाण में हर जगह तुम हो फिर आज सब डूब रहा हैं, संसार बह रहा हैं तो अब तुम कहाँ हो... #बाढ #भगवान #yqtaai yq #yqbaba #yqdidi #yqtales #bestyqmarathiquotes

read more
.....  जल में, हर स्थल में, काष्ठ में, पाषाण में हर जगह तुम हो
फिर आज सब डूब रहा हैं, संसार बह रहा हैं तो अब तुम कहाँ हो...
#बाढ #भगवान #yqtaai #yq

Bhuwnesh Joshi

मैं तो एक राही हूं जिसकी मंजिल है गंगा किनारे जहां आंखें बिछाए काष्ठ खंड मुझे पुकार रहे हैं जहां बाहें फैलाए #Poetry #Life #Reality #Hindi #lifequotes #कविता #hindipoetry #directions #nojohindi #bhuwnesh

read more
मैं तो एक राही हूं
जिसकी मंजिल है
गंगा किनारे

जहां आंखें बिछाए
काष्ठ खंड
मुझे पुकार रहे हैं
जहां बाहें फैलाए
गीली रेत
मेरी प्रतीक्षा में है
जहां गंगाजल की छुअन से
मेरी देही पवित्र हो जाएगी
जहां से अग्नि मुझे
मेरी शून्यता को तोड़
अनंत की ओर ले जाएगी

और फिर उड़कर धूम संग
आकाश से देखूंगा नजारे

मैं तो एक राही हूं
जिसकी मंजिल है
गंगा किनारे
-भुवनेश

©Bhuwnesh Joshi मैं तो एक राही हूं
जिसकी मंजिल है
गंगा किनारे

जहां आंखें बिछाए
काष्ठ खंड
मुझे पुकार रहे हैं
जहां बाहें फैलाए

ANOOP PANDEY

पूजा उदेशी pramodini mohapatra Anshu writer Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Kanak Tiwari Anshu writer Rajat Bhardwaj इक_बेटे_की_मृत्यु_पर_इक_पिता #Poetry #इक_बेटे_की_मृत्यु_पर_इक_पिता_के_हृदयविदारक_भाव

read more
mute video

Divyanshu Pathak

:💕👨Good morning ji ☕☕🍉🍫🍫☕☕💕💕🍀☘🙏🌱🍨🍧 : निश्चित ही बिजली का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने किया लेकिन बेंजामिन फ्रेंक्लिन अपनी एक किताब में लि

read more
रूप विलोकि नयन अटके
चटके हिय के सब तार मेरे
सुध बुध सब बिसराय दई
पुलकित मन बेचैन हुआ
तरुणाई पे तेरी ये सिर पटके ! :💕👨Good morning ji
☕☕🍉🍫🍫☕☕💕💕🍀☘🙏🌱🍨🍧
:
निश्चित ही बिजली का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने किया लेकिन बेंजामिन फ्रेंक्लिन अपनी एक किताब में लि

Vedantika

जो बना नहीं था वो आशियाँ मेरा जाने क्या कमी थी मेरी कोशिशों में ना समझ पाई जिंदगी की दुश्वारियां सब कुछ खो गया मेरा ना समझी में किया था जिन

read more
जब आँखें खुली हमारी तो हमने एक सच जाना
सपनों के इस महल को था एक दिन बिखर जाना
टूट ही जाना था इस नाजुक से बेवकूफ दिल को
विश्वास की डोर में क्या जरूरी था गांठ पड़ जाना

(अनुशीर्षक में) जो बना नहीं था वो आशियाँ मेरा
जाने क्या कमी थी मेरी कोशिशों में
ना समझ पाई जिंदगी की दुश्वारियां
सब कुछ खो गया मेरा ना समझी में

किया था जिन

Aprasil mishra

**************************************** वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो #India #History #Culture #Politics #yqhindi #communism #geography

read more
"वैश्विक समाज की शवाधान प्रणालियों में अन्तर एवं उनकी ऐतिहसिक पृष्ठभूमियाँ : जमींन-जिहाद के आलोक में।" 
****************************************
             वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो

N S Yadav GoldMine

मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒 {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्यनारायण #Dussehra #पौराणिककथा

read more
मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
सत्यनारायण कथा :- 📘 सत्यनारायण कथा सनातन (हिंदू) धर्म के अनुयायियों में लगभग पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है। सत्यनारायण भगवान विष्णु को ही कहा जाता है भगवान विष्णु जो कि समस्त जग के पालनहार माने जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं। सत्यनारायण व्रतकथा का उल्लेख स्कंदपुराण के रेवाखंड में मिलता है।

क्या है भगवान सत्यनारायण की कथा 

📘 पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक समय की बात है कि नैमिषारण्य तीर्थ पर शौनकादिक अट्ठासी हजार ऋषियों ने पुराणवेता महर्षि श्री सूत जी से पूछा कि हे महर्षि इस कलियुग में बिना वेद बिना विद्या के प्राणियों का उद्धार कैसे होगा? क्या इसका कोई सरल उपाय है जिससे उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि सूत ने कहा कि हे ऋषियो ऐसा ही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था तब स्वयं श्री हरि ने नारद जी को जो विधि बताई थी उसी को दोहरा रहा हूं। भगवान विष्णु ने नारद को बताया था कि इस संसार में लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुख-समृद्धि एवं अंत में परमधाम में जाने के लिये एक ही मार्ग हो वह है सत्यनारायण व्रत अर्थात सत्य का आचरण, सत्य के प्रति अपनी निष्ठा, सत्य के प्रति आग्रह। 

📘 सत्य ईश्वर का ही रुप है उसी का नाम है। सत्याचरण करना ही ईश्वर की आराधना करना है उसकी पूजा करना है। इसके महत्व को सपष्ट करते हुए उन्होंने एक कथा सुनाई कि एक शतानंद नाम के दीन ब्राह्मण थे, भिक्षा मांगकर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन सत्य के प्रति निष्ठावान थे सदा सत्य का आचरण करते थे उन्होंने सत्याचरण व्रत का पालन करते हुए भगवान सत्यनारायण की विधिवत् पूजा अर्चना की जिसके बाद उन्होंने इस लोक में सुख का भोग करते हुए अंतकाल सत्यपुर में प्रवेश किया। इसी प्रकार एक काष्ठ विक्रेता भील व राजा उल्कामुख भी निष्ठावान सत्यव्रती थे उन्होंनें भी सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा करके दुखों से मुक्ति पायी।

📘 आगे भगवान श्री हरि ने नारद को बताया कि ये सत्यनिष्ठ सत्याचरण करने वाले व्रती थे लेकिन कुछ लोग स्वार्थबद्ध होकर भी सत्यव्रती होते हैं उन्होंने बताया कि साधु वणिक एवं तुंगध्वज नामक राजा इसी प्रकार के व्रती थे उन्होंनें स्वार्थसिद्धि के लिये सत्यव्रत का संकल्प लिया लेकिन स्वार्थ पूरा होने पर व्रत का पालन करना भूल गये। साधु वणिक की भगवान में निष्ठा नहीं थी लेकिन संतान प्राप्ति के लिये सत्यनारायण भगवान की पूजार्चना का संकल्प लिया जिसके फलस्वरुप उसके यहां कलावती नामक कन्या का जन्म हुआ। कन्या के जन्म के पश्चात साधु वणिक ने अपना संकल्प भूला दिया और पूजा नहीं की कन्या के विवाह तक पूजा को टाल दिया। फिर कन्या के विवाह पर भी पूजा नहीं की और अपने दामाद के साथ यात्रा पर निकल पड़ा। दैवयोग से रत्नसारपुर में श्वसुर-दामाद दोनों पर चोरी का आरोप लगा। वहां के राजा चंद्रकेतु के कारागार में उन्हें डाल दिया गया। 

📘 कारागर से मुक्त होने पर दंडीस्वामी से साधु वणिक ने झूठ बोल दिया कि उसकी नौका में रत्नादि नहीं बल्कि लता पत्र हैं। उसके इस झूठ के कारण सारी संपत्ति नष्ट हो गई। इसके बाद मजबूर होकर उसने फिर भगवान सत्यनारायण का व्रत रख उनकी पूजा की। उधर साधु वणिक के मिथ्याचार के कारण उसके घर में भी चोरी हो गई परिजन दाने-दाने को मोहताज हो गये। साधु वणिक की बेटी कलावती अपनी माता के साथ मिलकर भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रही थी कि उन्हें पिता साधु वणिक व पति के सकुशल लौटने का समाचार मिला। 

📘 वह हड़बड़ी में भगवान का प्रसाद लिये बिना पिता व पति से मिलने के लिये दौड़ पड़ी जिस कारण नाव वाणिक और दामाद समुद्र में डूबने लगे। तभी कलावती को अपनी भूल का अहसास हुआ वह दौड़कर घर आयी और भगवान का प्रसाद लिया। इसके बाद सब ठीक हो गया। इसी तरह राजा तुंगध्वज ने भी गोपबंधुओं द्वारा की जा रही भगवान सत्यनारायण की पूजा की अवहेलना की और पूजास्थल पर जाने के बाद भी प्रसाद ग्रहण नहीं किया जिस कारण उन्हें भी अनेक कष्ट सहने पड़े अंतत: उन्होंने भी बाध्य होकर भगवान सत्यनारायण की पूजा की और व्रत किया।

📘 कुल मिलाकर कहानी का निष्कर्ष यही है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिये व हमें सत्याचरण का व्रत लेना चाहिये। यदि हम भगवान सत्यनारायण की पूजा नहीं करते तो उसकी अवहेलना कभी नहीं करनी चाहिये और दूसरों द्वारा की जा रही पूजा का कभी मजाक नहीं उड़ाना चाहिये और आदर पूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिये।

सत्यनारायण व्रत और कथा को करने की विधि :-📘 इस पूजा को सम्पूर्ण करने के दो मुख्य प्रकार हैं – व्रत और कथा। कुछ लोग भगवान विष्णु जी के लिए व्रत कर इस आयोजन को पूर्ण करते हैं तो कुछ जन घर में सत्यनारायण जी की पूजा (एक कथा) को कराकर इसे पूर्ण रूप देते हैं। सत्यनारायण जी की पूजा को विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूरा करवाय जाना चाहिये। पूजा को करने के लिए सबसे उत्तम समय प्रातःकाल 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक बताया जाता है।

📘 इस पूजा में दिन भर व्रत रखा जाता है। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाया जाता है और उस पर चौकी रखी जाती है। चौकी के चारों पायों के पास केले के पत्तों से सजावट करें फिर इस चौकी पर अष्टदल या स्वस्तिक बनाया जाता है। इसके बीच में चावल रखें, लाल रंग का कपड़ा बिछाकर पान सुपारी से भगवान गणेश की स्थापना करें। अब भगवान सत्यनारायण की तस्वीर रखें, श्री कृष्ण या नारायण की प्रतिमा की भी स्थापना करें।

📘 सत्यनारायण के दाहिनी ओर शंख की स्थापना करें व साथ ही पवित्र या स्वच्छ जल से भरा कलश भी रखें। कलश पर शक्कर या चावल से भरी कटोरी भी रखें। कटोरी पर नारियल भी रखा जा सकता है। बायीं ओर दीपक रखें। अब चौकी के आगे नवग्रह मंडल बनाएं। इसके लिये एक सफेद कपड़े को बिछाकर उस पर नौ जगह चावल की ढेरी रखें। अब पूजा शुरु करें। प्रसाद के लिये पंचामृत, गेंहू के आटे से बनी पंजीरी, फल आदि को कम से कम सवाया मात्रा में लें।

📘 सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उसके बाद इंद्रादि दशदिक्पाल की फिर अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद सत्यनारायण की पूजा करें। भगवान सत्यनारायण के बाद मां लक्ष्मी व अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिये। पूजा में सभी तरह की पूजा सामग्रियों का प्रयोग होता है और ब्राह्मण द्वारा सुनाई जा रही कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। सत्यनारायण जी की पूजा के बाद सभी देवों की आरती की जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण किया जाता है। श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को किया जाना चाहिए।

©N S Yadav GoldMine मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
सत्यनारायण

Divyanshu Pathak

🔯🕉🔯Good morning🔯🕉🔯💠 अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते। ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।” अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात

read more
“”कर्मण्यकर्म य: पश्चेदकर्मणि च कर्म य: !
स बुद्धिमान् मनुष्येषु सयुक्त: स युक्त: कृत्स्त्रकर्मकृत् !!””

कर्म में जो अकर्म को देखे और
अकर्म में जो कर्म को देखे,
उसको बुद्धिमान कह रहे हैं भगवान्।
अकर्म नाम ब्रह्म का है, कर्म नाम माया का है।
ज्ञान के आधार पर माया रूप कर्म चल रहा है।
यह दृष्टि ही कर्म-बन्ध से छुड़ाने वाली होती है !
यहां प्रस्तुत श्लोक ही
“कर्मण्येवाधिकारस्ते …” का स्पष्टीकरण है
जिसको ईशावास्य के मंत्र के आधार पर
भगवान् ने यहां स्पष्ट किया है🔯😊🕉-


(कैप्शन देख ही लीजिए 😃)🔯🕉🔯💠 🔯🕉🔯#Good morning🔯🕉🔯💠
अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।”

अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात

vasundhara pandey

प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप

read more
नव संवत्सरं शुभं भवेत्। प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में 
श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile