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Pramod Kumar

कभी तुम भी ---- कभी तुम भी छरहरी थी स्वर्ग से जैसे उतर कर ,आई हो ,ऐसी परी थी कभी #Love #ektarfapyaar

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आदी अधूरा

सपनों में वो आती है पलके खुलते ही न जाने कहाँ चली जाती है कहकशी सूरत छरहरी काया मन करता है पलके मूंदे रहू शामों- सहर उसको निहारता रहूँ डर है #Ones_time_yaar

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सपनों में वो आती है
पलके खुलते ही न जाने कहाँ चली जाती है
कहकशी सूरत छरहरी काया
मन करता है पलके मूंदे रहू
शामों- सहर उसको निहारता रहूँ
डर है

CalmKazi

गद्गद हो रहा था वो ;
एक चमकीला ओस का एक टुकड़ा 
पत्तियों के पहलू में छुपा ....
देखा उसने नीचे जो उस ओर गहराई में 
जहाँ लाखों बूँदें हो गयी विलीन 

एक चंचल छरहरी सी वो बूँद 
जो दुष्ट हवा से बच निकली थी 
आ मिली उस ओस के टुकड़े से 
लुका छुपी थोड़ी चली बहुत देर उन दोनों की 

फिर जा मिले वो दोनों उस पत्ते के आगोश में 
सफ़र करना था जो पूरा उन्हें 
टहनियों के रास्ते धूमिल कड़ो से जा मिले  
और बिखर गए आकाश में भीनी सुगंध के रास्ते ।।  #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Story #Hindi #Rain #This #poetry #QuoteSeries #Leaves #Fall #Wind #हिबड़ी #कविता #बूँद #कहानी #यहाँ


बूंदों

Shashi Aswal

ये कविता पहाड़ों की सच्चाई को उजागर करती हुई। जो कि कड़वा सच है। वो जो दरवाजे पर है बैठी जैसे जिंदगी हो उससे रूठी आँखें है सुनसान राहों को #माँ #yqbaba #yqdidi #इंतजार #yqhindiurdu #volatilesoulquotes

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इंतजार...
(Read in caption) ये कविता पहाड़ों की सच्चाई को उजागर करती हुई। जो कि कड़वा सच है।


वो जो दरवाजे पर है बैठी
जैसे जिंदगी हो उससे रूठी
आँखें है सुनसान राहों को

Poonam Ritu Sen

तुम चलो साथ मेरे या छोड़ दो मेरे हिस्से में तन्हाई, अब तुम्हारी नहीं है जरूरत मुझे,मेरी परछाईं.. 1. एक लड़की रात को दफ्तर से घर अकेले जाते ह #yqdidi #विधवा #मेरीपरछाई #रंगभेद #shadowquote #openmicraipur #तन्हाईऔरपरछाईं

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तुम चलो साथ मेरे या छोड़ दो मेरे हिस्से में तन्हाई,
अब तुम्हारी नहीं है जरूरत मुझे,मेरी परछाईं..

Performed this piece in Your Quote open mic volume 5 Raipur  तुम चलो साथ मेरे या छोड़ दो मेरे हिस्से में तन्हाई,
अब तुम्हारी नहीं है जरूरत मुझे,मेरी परछाईं..

1.  एक लड़की रात को दफ्तर से घर अकेले जाते ह

Shailendra singh

मरहरी मैनपुरी #समाज

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Shailendra singh

ग्राम मरहरी मैनपुरी #समाज

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atrisheartfeelings

#Sundarkand #Sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #Devotional #GoodMorning मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥ नाम लंक

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मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा। मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥
पुनि संभारि उठी सो लंका। जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥
बिकल होसि तैं कपि कें मारे। तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता॥

तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥ #sundarkand #sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #devotional #goodmorning 

मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंक

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 3 हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार। अति लघु रूप धरों नि #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार ॥3॥
हनुमानजी ने बहुत से रखवालो को देखकर मन में विचार किया की मै छोटा रूप धारण करके नगर में प्रवेश करूँ ॥3॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

लंकिनी का प्रसंग और ब्रह्माजी का वरदान
हनुमानजी राम नामका स्मरण करते हुए लंका में प्रवेश करते है
मसक समान रूप कपि धरी।
लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी।
सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1
हनुमानजी मच्छर के समान छोटा-सा रूप धारण कर,प्रभु श्री रामचन्द्रजी के नाम का सुमिरन करते हुए लंका में प्रवेश करते है॥लंकिनी, हनुमानजी का रास्ता रोकती हैलंका के द्वार पर लंकिनी नाम की एक राक्षसी रहती थी।हनुमानजी की भेंट, उस लंकिनी राक्षसी से होती है।वह पूछती है कि,
मेरा निरादर करके (बिना मुझसे पूछे) कहा जा रहे हो?

हनुमानजी लंकिनी को घूँसा मारते है
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा।
मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी।
रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥2॥
तूने मेरा भेद नहीं जाना?
जहाँ तक चोर हैं, वे सब मेरे आहार हैं॥
महाकपि हनुमानजी उसे एक घूँसा मारते है,जिससे वह पृथ्वी पर लुढक पड़ती है।

लंकिनी हनुमानजी को प्रणाम करती है
पुनि संभारि उठी सो लंका।
जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा।
चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥3॥
वह राक्षसी लंकिनी, अपने को सँभाल कर फिर उठती है और डर के मारे हाथ जोड़ कर हनुमानजी से कहती है॥

लंकिनी, हनुमानजी को, ब्रह्माजी के वरदान के बारे में बताती है
जब ब्रह्मा ने रावण को वर दिया था,
तब चलते समय उन्होंने राक्षसों के विनाश की यह पहचान मुझे बता दी थी कि॥

ब्रह्माजी के वरदान में राक्षसों के संहार का संकेत
बिकल होसि तैं कपि कें मारे।
तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता।
देखेउँ नयन राम कर दूता॥4॥
जब तू बंदर के मारने से व्याकुल हो जाए,तब तू राक्षसों का संहार हुआ जान लेना।

हनुमानजी के दर्शन होने के कारण, लंकिनी खुदको भाग्यशाली समझती है
हे तात! मेरे बड़े पुण्य हैं,
जो मैं श्री रामजी के दूत को अपनी आँखों से देख पाई।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 133 से 143 नाम 
133 लोकाध्यक्षः समस्त लोकों का निरीक्षण करने वाले
134 सुराध्यक्षः सुरों (देवताओं) के अध्यक्ष
135 धर्माध्यक्षः धर्म और अधर्म को साक्षात देखने वाले
136 कृताकृतः कार्य रूप से कृत और कारणरूप से अकृत
137 चतुरात्मा चार पृथक विभूतियों वाले
138 चतुर्व्यूहः चार व्यूहों वाले
139 चतुर्दंष्ट्रः चार दाढ़ों या सींगों वाले
140 चतुर्भुजः चार भुजाओं वाले
141 भ्राजिष्णुः एकरस प्रकाशस्वरूप
142 भोजनम् प्रकृति रूप भोज्य माया
143 भोक्ता पुरुष रूप से प्रकृति को भोगने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों नि

Sarita Shreyasi

पुतुल, छरहरे गठन की सुंदर, तेज तर्रार युवती। घर-बाहर सब अकेले ही संभालती। बड़े सरकारी अधिकारी थे जमाई बाबू। उन्हें नौकरी से फुर्सत कहाँ होती #Woman #cancer

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माँ के हृदय ने नेह छलकाने में कभी एक क्षण जो थोड़ा पार्थक्य किया हो, चारों बच्चों की परवरिश में पुतुल ने कभी विभेद नहीं किया। किंतु अपनी गृहस्थी में बोदी की उपस्थिति उसे व्यथित कर जाती।

(Read in caption.. 3rd story ) पुतुल, छरहरे गठन की सुंदर, तेज तर्रार युवती। घर-बाहर सब अकेले ही संभालती। बड़े सरकारी अधिकारी थे जमाई बाबू। उन्हें नौकरी से फुर्सत कहाँ होती
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