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Geetkar Niraj
प्रकृति पर कविता/Poem on nature in hindi जलमग्न हुई कहीं धरा,कहीं बूंद-बूंद को तरसे धरती। किसने छेड़ा है इसको, क्यों गुस्से में है प्रकृति।। किसने घोला विष हवा में,किसने वृक्षों को काटा ? क्यों बढ़ा है ताप धरा का,क्यों ये धरती जल रही ? जिम्मेवार है इसका कौन,क्यों ग्लेशियर पिघल रही ? किसने इसका अपमान किया, कौन मिटा रहा इसकी कलाकृति ? किसने छेड़ा है इसको,क्यों गुस्से में..........? धरती माँ का छलनी कर सीना,प्यास बुझाकर नीर बहाया। जल स्तर और नैतिकता को भूतल के नीचे पहुँचाया। विलुप्त हुये जो जीव धरा से,जिम्मेवार है उसका कौन ? जुल्म सह-सहकर तेरा, अब नहीं रहेगी प्रकृति मौन। आनेवाले कल की जलवायु परिवर्तन झाकी है। टेलर है भूकंप, सुनामी, पिक्चर अभी बाकी है। फिर नहीं कहना कि क्यों कुदरत हो गई बेदर्दी ? किसने छेड़ा है इसको ,क्यों गुस्से में............3। ©Geetkar Niraj प्रकृति पर कविता। #natre #poemonnature #geetkarniraj
Dr Mahesh Kaushik
हिंदुस्तान के माथे सजी है हिंदी जन-जन की प्यारी बनी है हिंदी हिंदी है मान स्वाभिमान हमारा हिंदी है पूरे राष्ट्र की आंख का तारा हिंदी ही है प्रेम की अविरल धारा एकता के गीत का संगीत प्यारा जनमानस के हृदय बसी है हिंदी।। हिंदी हम सबका विश्वास है विकास की आशा व प्रकाश है खुशहाली का झरना बिंदास है सप्त सुरों की माला यह खास है संस्कृति की प्रहरी बनी है हिन्दी।। ऋषि मुनियों का आशीर्वाद है ये वेद पुराणों का अनुवाद है हिंदी की हुकूमत निर्विवाद है हिंदुस्तानी दिलों का आह्लाद है गीता सी धरोहर बनी है हिंदी ©Dr Mahesh Kaushik हिंदी दिवस पर एक कविता #Darknight
Kumar Pushpendra
दो कदम साथ चलकर तुमने साथ चलना छोड़ दिया। खाकर संग जीने की कसमें तन्हा मुझको छोड़ दिया। कसूर क्या था मेरे मासूम दिल का जो एक पल में तोड़ दिया। क्यो छोड़कर मेरी दुनिया गैरों से रिश्ता जोड़ दिया। मेरी सूनी दुनियां में तुम आज भी नज़र आते हो। खामोश पड़े रास्तों में तुम आज भी मुस्कुराते हो। जब निकलता हूँ तन्हा बाहर की दुनियां में हर कदम पर तुम ही नजर आते हो। तुम ही नजर........... ©Kumar Pushpendra #हर कदम पर हिंदी कविता #lunar
kumar parth shukla
✍️✍️🌹बेजुबा है,,पर न जाने क्या क्या बयां करती है, किताबे। हमें जीने का रोज नया सलीका बयां करतीहै,, किताबे हमें संस्कार सिखाती है, किताबें। हमें सही पथ पर यह ले जाती है किताबें। हर रोज नया सबक और सबब दे जाती है,, किताबें।हमे आपस में मिलकर रहना सिखाती हैं,, किताबे।🌹🌹 कवि – पार्थ शुक्ला ###❤️❤️हिंदी दिवस पर कविता
चेतन घणावत स.मा.
स्वरचित कविता ©chetan ghunawat विश्व हिंदी दिवस पर स्वरचित कविता
Siddharth shrivastav..#
माँ के माथे पर बिंदी और भाषा में हिंदी सबसे अच्छी ....!! माँ के माथे पर बिंदी और भाषा में हिंदी सबसे अच्छी !!