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Trilok

रहना कहना सहना

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समाज में प्रसिद्धि के लिए, कहना सीखना होता है
परिवार की समृद्धि के लिए, रहना सीखना होता है
खुद की प्रसन्नता के लिए, सहना सीखना होता है।
ये कहना रहना सहना, मूल मंत्र है सुखी जीवन के
प्रसंग मिलते हैं इनसे, अनेकों अपनेपन के
कहने के लिए मधुरता शब्दों में लाना
रहने के लिए प्रेम को बढ़ाते जाना
सहने के लिए अपने अहं को बिसराना 
इन गुणों के त्रिपुंज से
सुख के विरले पुंज से
जिंदगी खुशहाल होती
मिलते हैं हर्ष के मोती।
इस गुण त्रिवेणी संगम को अपना जाओ
सबका साथ, सबका विकास, सबको अपनाओ।। रहना कहना सहना

Naina ki Nazar se

दिनेश चंद्र की कविता #ज़िन्दगी

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"कौन रुकेगा"
 
कौन किसके लिए रुका
औऱ कौन यहां रुकेगा
वक़्त का पहिया है जनाब
न रुका है न ही रुकेगा

चले जाना तुम कभी
होकर यहां से बेपरवाह
हवाओं में होगा ज़िक्र तेरा
फिजाओं को भी तेरी चाह

शहर में तेरी यादों को
आने से कौन टोकेगा
मीठी भिनी खुश्बुओं को
महकने से कौन रोकेगा

दीदार का न होगा जुनून
न तेरी चाहत का इंतज़ार
आने पर तेरे आहट नही होगी
और नैनो पर होगा रुखसार

परिंदे को पिंजरे से
मुहब्बत करने से कौन रोकेगा
अजनबी जब हो ही गए तुम
शहर जाने से कौन रोकेगा

उसके रहते उससे ही
एक चाहत सी हो गयी
सुबह-शाम की सलाम-दुआ
इसकी आदत सी हो गयी

किताबों में लिखी इबारत
तेरे सिवा कौन समझेगा
जिंदगी तेरे फ़लसफ़े को
जो तू न चाहे तो कौन रोकेगा
---------------------------------
      @ दिनेश चन्द्र, मुगलसराय
        05 दिसम्बर / 2021

©Naina ki Nazar se दिनेश चंद्र की कविता

Naina ki Nazar se

दिनेश चंद्र की कविता #philosophy

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🙏🙏
रूठ बैठा संवाद चुप है
उपस्थिति ऐसी कि
अनुपस्थिति चुप है

अब मैं तुझमे शेष  हूँ
नज़रो में तुम्हारे
हृदय और होठो पर
एक चुप विशेष हूँ
बीच दोनो के चुप 
अब अनकहे संवाद 
दम तोड़ रहे है
स्वछंद थी तुम्हारी बातें 
हाँ को ना और ना को हाँ में
बदल रहे है मानकर
चाहता नैनो में ख्वाब बनकर
जिंदा रहना, बचा रहना
दोनो के दरमियाँ अब तो 
बिना बन्धन,रिश्तो के बिना
जो थे संवाद ,चुप है

उम्र भर वह बरसती रही
नदी सागर को तरसती रही
सूने होठो को मीठे बोल दे
खुद तबस्सुम को तरसती रही
बुलन्दियों पर गुमां नही
नज़रो में पाक तू
नही कोई गुनाह तू
लफ्ज़ और लहज़े पर तेरे
बहुत ऐतबार है अब भी मुझे
समक्ष नैनो के खड़ी है
मेरी तू एक उम्र है और
अपनी उम्र से बड़ी है
एक मीठी नदी है तू
नृत्य करते जल संगीत
उसका कलकल गीत चुप है।
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   - *दिनेश चन्द्र, मुग़लसराय*
           08 सितम्बर /2022

©Naina ki Nazar se दिनेश चंद्र की कविता

#philosophy

Kavi Ram Bhagat Negi

कविता नेता सुभाष चंद्र बॉस

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Ayush jha

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर कविता

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Monica Bora

#कविता @स्वार्थ #मराठीकविता

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Arora PR

मौन का भावार्थ #कविता

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Rakesh Ladhrh Robert

तुम मुस्कराती रहना, तुम मुझे चाहती रहना, कभी अलविदा न कहना, तुम हो मेरी ज़िंदगी का गहना, तुम मुस्कराती .......|

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तुम मुस्कराती रहना,
तुम मुझे चाहती रहना,
कभी अलविदा न कहना,
तुम हो मेरी ज़िंदगी का गहना,
तुम मुस्कराती .......| तुम मुस्कराती रहना,
तुम मुझे चाहती रहना,
कभी अलविदा न कहना,
तुम हो मेरी ज़िंदगी का गहना,
तुम मुस्कराती .......|

Uttam Bajpai

एक गहन शोध का कहना। #कॉमेडी

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Singer Harshit Rajasthani

इंद्र मेघवाल गाना #janmaashtami #लव

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https://youtu.be/cJd2Ficpyjo

©Singer Harshit Rajasthani इंद्र मेघवाल गाना
#janmaashtami
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