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Satendra Sharma

बात कविता और कवि की.....

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भावों को शब्दों में बांधकर हम कविता कहते हैं, 

कविता से ही मन-मस्तिष्क में सारे रस बहते हैं। 

मैं कवि ह्रदय, कविता से मिलता चैन मुझे, 

इससे अच्छी सत्ता और कहां, जहां कवि रहते हैं। 


              ....... सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' बात कविता और कवि की.....

Ajayy Kumar Mahato

लिखते तो हैं वही लोग यहाँ, अन्दर जिनके दर्द है, अनुराग है। मन में लगन, शब्दों में विचार, शब्दों के अर्थ में पुष्प की भाँति पराग है।। प्यासे

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लिखते तो हैं वही लोग यहाँ,
अन्दर जिनके दर्द है, अनुराग है।
मन में लगन, शब्दों में विचार,
शब्दों के अर्थ में पुष्प की भाँति पराग है।।

प्यासे हैं जो धन और भोग-विलास के,
उनके बिना वो लोग कैसे जियेंगे।
पैसों की खनक से कान खड़े होते जिनके,
वो साहित्य की सेवा में क्या खाक़ लिखेंगे।।

शायद आज शब्द भी पैसों के मोहताज है,
शब्द उन्हीं की प्रशंसा करते धन जिनके पास है।
जो दिखता है वही बिकता है और वही लिखता है,
सफलता पाने का आजकल, शायद यही राज़ है।।
#""Ajay""# लिखते तो हैं वही लोग यहाँ,
अन्दर जिनके दर्द है, अनुराग है।
मन में लगन, शब्दों में विचार,
शब्दों के अर्थ में पुष्प की भाँति पराग है।।

प्यासे

RituRaj Gupta

पेश है एक हास्य कविता और कविता का शीर्षक है : चाँद से झगड़ा: ---------------- चाँद से झगड़ा हो गया, वो खा पी के तगड़ा हो गया, मैं देता रहा अप #thoughtoftheday #kavita #loveforlife #dilsediltak #padhnelikhnewale #waqtkibaat #पढ़नेलिखनेवाले

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चाँद से झगड़ा हो गया,
वो खा पी के तगड़ा हो गया,
मैं देता रहा अपनो की दुहाई,
मेरे साथ ये कैसा लफड़ा हो गया,
..
..
Please read rest in caption. पेश है एक हास्य कविता और कविता का शीर्षक है :

चाँद से झगड़ा:
----------------

चाँद से झगड़ा हो गया,
वो खा पी के तगड़ा हो गया,
मैं देता रहा अप

Parasram Arora

कवि और कविता.......

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कवि  बन तुम हमेशा अपने  दिल क़े  मंजर  देखते रहे 
काश किसी दिन बाहर निकल कर  हमारे बंजर भीदेख लेते
बसंत तो  हर वर्ष  आता रहा  और तुम्हे मदहोश कर गया
काश किसी दिन तुम आकरउसहठी पतझर को देख लेते.
तन क़े लिए तो न जाने तुमने कितने  इंतज़ाम कर लिए
कश कभी अपने  मन क़े जर्ज़र भी  तुमने देख लिए  होते
तुम्हारे छन्दों की  अनुशासनहिंनता   श्रोता   कई बार देख चुके
काश कभी उस  भटकी हुई कटी  पतंग का  दर्द भी  तुम देख लेते
न जाने कितने  सपनो  की  फसल काट कर तुमने कविता. रचि
काश  स्वर्णिम संध्या क़े  उन उपेक्षित इंद्राधनुशो  को भी  देख लेते

©Parasram Arora कवि  और  कविता.......

Parasram Arora

कवि और कविता.......

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अभी ये  तय होना  बाकी है
क़ि  कविता ने  जनमाया  कवि को या.
कवि ने ही कविता को जनमाया  था.
प्रेम की   असफलताओं  ने  ही  शायद
प्रेम कविताओं  को जन्म दिया था
या फिर  अन्याय क़े खिलाफ   ज़ब संघर्ष ने
बिगुल बज़ाया  तो..  आग उगलती  कविता
ने  जन्म पाया था.... और
ज़ब  कभी  रिश्तों  मे  उग्रता  और  बंटवारे
का दौर  चला तो  नैतिक  कविताओं
ने  जन्म  पाया  था 
हर बार  कविताओं ने  अपने  आस पास  क़े
दुर्लभ और  सुलभ  विषयों  को  उठाया   तो  वो  कविता हीथीं  जिसने  कवि को जनमाया था

©Parasram Arora कवि  और  कविता.......

Parasram Arora

सार्थकता एक कवि और कविता की

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किसी भी  कविता क़े लिए
ईमानदारी कोई  बुनियादी शर्त  नहीं बन सकती.
क्योंकि कल्पना  मे काव्य बिना पंखों  क़े
ही उड़ान  भरता है
अक्सर  कविता लिख लेने क़े  उपरान्त  कवि
अपनी कविता की  सार्थकता ढूंढ़ने  लगता है.
क्योंकि समझ और तर्क  का कविता से कोसो दूर  तक लेना देना नहीं है. इसलिए 
एक उद्विगन भयाकूल  निराश  संवेदनशील
घुटन से  ओतप्रोत  व्यक्तित्व  ही
सुंदर  काव्य  रचना  मे निपुणता  हासिल
कर  सकता है

©Parasram Arora सार्थकता एक कवि  और  कविता की
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