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सुसि ग़ाफ़िल
मैं साल में दो बार जन्मदिन मनाता हूं , 13 Feb 1994 13 Oct 2019 आज ही के दिन मेरा एक्सीडेंट हुआ था ! मैं साल में दो बार जन्मदिन मनाता हूं , 13 Feb 199413 Oct 2019 आज ही के दिन मेरा एक्सीडेंट हुआ था !
Bhagwan Ji Jha
मैं तुम्हे कभी इस लिए नहीं मानता हूं, की मैं तुम्हारे बेगैर रह नही पाता हूं! मैं तुम्हे सिर्फ इस लिए मनाता हूं, क्यों की तुम्हें रूठा हुवा देख नही पाता हूं! मैं तुम्हे कभी इस लिए नहीं मानता हूं, की मैं तुम्हारे बेगैर रह नही पाता हूं! मैं तुम्हे सिर्फ इस लिए मनाता हूं, क्यों की तुम्हें रूठा हुवा
श्री कन्हैया शास्त्री जी
जिन्दगी जिन्दगी धीरे धीरे खफा होने लगी है यूं कहूं तो बेवफा होने लगी है हसरतें भी अब शोर नहीं करती मानो मुझसे ही गुमशुदा होने लगी है कभी मनाता हूं कि आ बैठ मेरे पास कुछ अपनी कहेंगे कुछ तुम्हारी सुनेंगे रूठने मनाने के कुछ अफसाने गढ़ेंगे मगर वो तो अब मुंह चिढ़ाने लगी है जिन्दगी अब खुदपर इतराने लगी है बड़े रंग देखे , बड़े ढंग देखें बस इतना कहूंगा अब तू मुझे समझ आने लगी हैं जिन्दगी जिन्दगी धीरे धीरे खफा होने लगी है यूं कहूं तो बेवफा होने लगी है हसरतें भी अब शोर नहीं करती मानो मुझसे ही गुमशुदा होने लगी है कभी
Odysseus
बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं मस्त पवन के झोंके सा मैं निसदिन बहता जाता हूं ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा आज किसी बस्ती में तो कल जंगल में लगता डेरा ना घर है ना ठौर-ठिकाना, यूं ही बढ़ता जाता हूं ऐसा इक सैलानी हूं मैं जिस की ना कोई मंज़िल रहता हूं अपनी ही धुन में, क्या तनहाई क्या महफ़िल दिल का इकतारा लेकर बस गीत ख़ुशी के गाता हूं धूप रहे या छांव घनेरी, सहरा हो या गुलशन हो पांव नहीं रुकते हैं मेरे, पतझड़ हो या सावन हो ग़म के तूफ़ानों में भी लब पर मुस्कान सजाता हूं पत्थर पर सोता हूं पर बातें करता हूं तारों से प्यार गुलों से करता हूं पर बैर नहीं है ख़ारों से मुफलिस हूं पर दिल में शहज़ादों सा जश्न मनाता हूं - Charudatta_Kelkar ©Odysseus गीत बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं मस्त पवन के झोंके सा निसदिन मैं बहता जाता हूं ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा आज किसी बस
Mohammad Arif (WordsOfArif)
वो प्यार करना चाहती मगर जाने से क्यूं वो डरती है मैं लाख उसे मनाता हूं मगर जाने से क्यूं वो डरती है कई अन्य सुनें पहलू है मेरे और उसके दरम्यान की बात बहुत करती है बाहर जाने से क्यूं वो डरती है कुछ डर मुझे भी लगता है उसे भी कुछ डर है शायद वो तसल्ली तो देती है अन्दर जाने से क्यूं वो डरती है कई बार साथ में हाथों में हाथे डालकर हम घुमे है जब भी मैं बुलाता हूं ऊपर जाने से क्यूं वो डरती है उसे अपना बनाने के चक्कर में अपनों को छोड़ दिया मैं उसे अपना कहता रहा फिर जाने से क्यूं वो डरती है इश्क रोग ऐसा है उसके जाने के बाद पता चला मुझे आरिफ भूल भी जाओ तेरे घर जाने से क्यूं वो डरती है वो प्यार करना चाहती मगर जाने से क्यूं वो डरती है मैं लाख उसे मनाता हूं मगर जाने से क्यूं वो डरती है कई अन्य सुनें पहलू है मेरे और उसके दरम्
MJP
खालि कमरा (More in caption) खाली कमरा हर साल, हर बार बहत सारे मुसाफिर आते है और अपनी दोस्ती की छाप छोड़ जाते हैं और मैं बही का वही ठेहरा हूं मैं एक खाली कमरा हूं.
saurabh
प्रेम है दूरियों की कठिन वेदना प्रेम भावों विचारों की आराधना वह जो बंधन तुम्हें सबसे प्यारा लगे तुझको ऐसे ही बंधन में है बांधना ये इक रोंका हुआ लम्हा जरूरी है बदल जाए मेरे इक ख्वाब है तू हकीकत मे बदल जाए इक रोंका हुआ लम्हा जरूरी है बदल जाए
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
बेकार के अल्फ़ाज़ सजाता रहता हूं मै, हर वक़्त गीत बनाता रहता हूं मै, उसे फिक्र तो है ही नहीं मेरी, बस सदा उसे मनाता रहता हूं मै......! मनाता रहता हूं मै......!
Anup kumar Gopal
आप सो जाओगी, तो मैं जगाता रहूँगा। नाराज भी हो जाओगी, तो मैं हमेशा मनाता रहूँगा। ©Anup kumar Gopal मैं मनाता रहूंगा #YouNme
Gumnam Shayar Mahboob
रूठने पर मैं उसे घंटों मनाता था जहां गई है वो उसे घंटा मनाता है #रूठने #घंटों #मनाता #घंटा #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob