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tere_bina2
आखिरी वक्त में, मैं एक किताब लिखुंगी! और उसमें तेरा कसूर बेहिसाब लिखूंगी ! 🌹 ©Aakash Kahar आखिरी #वक्त में, मैं एक #किताब लिखुंगी! और उसमें तेरा #कसूर #बेहिसाब लिखूंगी ! 🌹
AnuWrites@बेबाकबातें
कहीं जिद पूरी , कहीं जरूरत भी अधूरी , कहीं सुगंध भी नहीं , कहीं पूरा जीवन कस्तूरी । ज़िन्दगी सभी की दास्तान जैसी लगती है , कहीं तो ये शुरुआत से ही दिलकश हैं , और कहीं आखिरी वक्त में भी नहीं उसकी मंजूरी...!!! ©Anu...Writes #parindey कहीं #जिद पूरी , कहीं #जरूरत भी अधूरी , कहीं #सुगंध भी नहीं , कहीं पूरा #जीवन #कस्तूरी । #ज़िन्दगी सभी की #दास्तान जैसी लगती है
Dr Jayanti Pandey
मेरे शहर का मौसम....... ******************* तुमको कैसे बताऊं मेरे शहर का मौसम यहां हर तरफ सिर्फ मुर्दनी सी छायी है हर घर में सिसकी है किसी को खोने की और शहर भर में गिद्धों की बारात आई है जो जा रहे हैं, उन्हें जनाजा नसीब नहीं है जो पीछे बच रहे हैं, वो भी दहशत में हैं आखिरी वक्त में वो भी बे-तरह अकेले हैं जो जीवन भर दोस्तों की सोहबत में थे सांसों की गिनती पर पैसों का अब पहरा है मुनाफाखोरों के लिए यह अवसर सुनहरा है नकली दवा और अधूरी सांसें पकड़ा रहे हैं मरे ज़मीर वाले,अब लाशों से भी कमा रहे हैं समय बदलेगा, कुछ दिन अभी कयामत के हैं उतरते नकाबों और घिनौनी सी सियासत के हैं यह तय है ,अब पहले सा कुछ नहीं हो पाएगा पर किसने क्या कहा, किया, याद रखा जाएगा किसने क्या कहा, किया,सब याद रखा जाएगा दिल्ली इस समय दिलवालों के हाथ में नहीं है। दिल्ली इस समय घड़ियालों के हाथ में है..... मेरे शहर का मौसम........ **************** तुमको कैसे
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
सुनो मेरे हमनशी❤️ तुम मुझमें यूं मुकम्मल रहना जैसे रहती है मुहब्बत के "म" में आधी "ब"अधूरी.... बिखरे ख्वाबों में रहती है,फिर से सिमटने की चाहते अधूरी.... "हाय" वो आखिरी वक्त में रह जाती है,अपने मेहबूब से करनी बाते अधूरी..... कर्ज अदायगी के बावजुद भी रह जाती है,जैसे खुदसे खुदकी आजादी अधूरी..... मंद मंद मुस्कान में रह जाती है,जैसे दिल में चुभन अधूरी.. बेशक तुम मुझमें कुछ यूं भी मुकम्मल रहना,जैसे बारा_ए_रहमत के बावजूद रह जाती है,जमी की प्यास अधूरी..... जैसे परिंदो के दिल में रह जाती है,करना आसमान में बुलंद परवाज अधूरी.... बारहा तुम यूं मुकम्मल रहना जैसे वालिद के बाद रह गया वालिदा के दिल में उनसे पहले न जा पाने की तमन्ना अधूरी...... तुम मेरे सफेद होते बालों की चांदी सी चमक में मुकम्मल रहना.... मेरे दस्त की हथेली के तिल में उम्रदराज़ रहना.... तुम मेरी झुर्रीभरी सूरत की हर लकीरो में मुकम्मल रहना... और मैं न भी रहूं तो मेरे काशाने की हर दहलीज मेंमुकम्मल रहना... जब जिस रोज मेरा दस्त थामकर ले आए थे मुझे अपनी हमसफर बनाकर...अपनी नई गृहस्थी की खातिर में ... मुहब्बत कभी मुकम्मल नहीं होती जो मुहब्बत मुकम्मल हो जाए वो मुहब्बत नहीं होती... तो सुनो मेरे हमनशी❤️ मुहब्बत में मेहबूब__और मेहबूब में मुहब्बत मुकम्मल. होनी ही चाहिए..... #shamawritesBebaak ✍️ ©shama writes Bebaak सुनो मेरे हमनशी❤️ तुम मुझमें यूं मुकम्मल रहना जैसे रहती है मुहब्बत के "म" में आधी "ब"अधूरी.... बिखरे ख्वाबों में रहती है,फिर से सिमटने की च
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
सुनो मेरे हमनशी❤️ तुम मुझमें यूं मुकम्मल रहना जैसे रहती है मुहब्बत के "म" में आधी "ब"अधूरी.... बिखरे ख्वाबों में रहती है,फिर से सिमटने की चाहते अधूरी.... "हाय" वो आखिरी वक्त में रह जाती है,अपने मेहबूब से करनी बाते अधूरी..... कर्ज अदायगी के बावजुद भी रह जाती है,जैसे खुदसे खुदकी आजादी अधूरी..... मंद मंद तबस्सुम में रह जाती है,जैसे दिल में चुभन अधूरी.. बेशक तुम मुझमें कुछ यूं भी मुकम्मल रहना,जैसे बारा_ए_रहमत के बावजूद रह जाती है,जमी की प्यास अधूरी..... जैसे परिंदो के दिल में रह जाती है,करना आसमान में बुलंद परवाज अधूरी.... बारहा तुम यूं मुकम्मल रहना जैसे वालिद के बाद रह गया वालिदा के दिल में उनसे पहले न जा पाने की तमन्ना अधूरी...... बेशक तुम मेरे सफेद होते बालों की चांदी सी चमक में मुकम्मल रहना.... मेरे दस्त की हथेली के तिल में उम्रदराज़ रहना.... तुम मेरी झुर्रीभरी सूरत की हर लकीरो में मुकम्मल रहना... और मैं न भी रहूं तो मेरे काशाने की हर दहलीज में मुकम्मल रहना... जब जिस रोज मेरा दस्त थामकर ले आए थे अपनी हमसफर बनाकर... अपनी नई गृहस्थी की खातिर में गृहस्थन बनाकर.. तो सुनो मेरे हमनवा, हमनशी❤️ मुहब्बत कभी मुकम्मल नहीं होती,जो मुहब्बत मुकम्मल हो जाए वो मुहब्बत नहीं होती... मुहब्बत में मेहबूब__और मेहबूब में मुहब्बत मुकम्मल. होनी ही चाहिए..... #shamawritesBebaak ✍️ ©shama writes Bebaak सुनो मेरे हमनशी❤️ तुम मुझमें यूं*मुकम्मल रहना जैसे रहती है मुहब्बत की "म" में आधी "ब"अधूरी....*पूर्ण बिखरे ख्वाबों में रहती है,फिर से सिमटन
Gumnaam
अनछुए एहसास.... जिन्दगी लोकल हो या ट्रेन 🚆.... जीने और सफर का मजा इनमे ही है जब होश सभले तो निकले सफर मे चाह थी खिड़की वाली ही सीट ही मिले सो समय से पहले चल
Akumar
श्मशान के बाहर लिखा था हे मानव तेरी मंजिल तो यही थी कहां भटकता रहा झूठी सपनों की दुनिया में सपनों के किरदार थे वह अपने ना हो पाए जो अपनी जिंदगी भर की कमाई दूसरों को लौटा करके आए क्या हिसाब लगाया कि दिन भर में कितने कमाए वह भी अपने साथ ना लाए खाली हाथ आए क्या अपने साथ लाए जिनको तुम अपना कहते थे क्या वह तुम्हारे साथ आई या कमाई तक ही था तुम्हारे साथ उनका सपना यह कमाई थी इसलिए कहा था तुम्हें अपना जिसको कहा वही अपना है भूल गया बस यही सपना है कौन अपना है ©Akumar किस्सा आखिरी वक्त का
Lalit Saxena
लिबासो का शौक़ रखते थे जो कभी...... आख़िरी वक्त कह ना पाए यह कफ़न ठीक नही!!! ©Lalit Saxena आखिरी वक्त #nojoto हिंदी #आखिरी_ख्याल