Find the Latest Status about लोक कला from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लोक कला.
Anamika Jha
है संस्कृति ही पहचान हमारी, अपनी संस्कृति की एक गौरव हमारी लोक कलाएं भी हैं #folk_art#Madhubani_painting#My_art #NojotoPhoto
अखिलेश यादव
कला और कलाकार ये शब्द तो बहुत साधारण से लगते हैं परन्तु बहुत मुश्किल होता है अपनी कला को बचाते हुए कलाकार हो पाना । ........ इतना आसान नही होता लोक कलाकार हो जाना कभी ढोलक की थाप पर पैरों को थिरकाना , कभी हारमोनियम की धुन पर सुरों को सजाना । लोगों की पसन्द और नापसन्द में ही सिमट जाना ।। समाज की व्यथा को समाज को ही समझाना , इतना आसान नही होता लोक कलाकार हो जाना । ........ इस आधुनिक दुनिया मे अपनी धरोहर को बचाना कजरी,चैता,बिरहा,सोहर और कहरवा सुनाना , जिनको हम अपनी कला से प्रसन्न करते हैं । उन्ही कलाकारों का फिर तमासा बनाना ।। बहुत मुश्किल होता है ये क़िरदार निभा पाना , इतना आसान नही होता लोक कलाकार हो जाना । ये है लोक कला और लोक कलाकारों की हालत आज.... एक कलाकार की मनोदशा✍️ 👇 कला और कलाकार ये शब्द तो बहुत साधारण से लगते हैं परन्तु बहुत मुश्किल
Nadim Bhati
विश्व विरासत दिवस के अवसर पर हमारे पूर्वजों की दी हुई लोक कला, संस्कृति एवं समृद्ध विरासत को सुरक्षित और स्वच्छ रखने का संकल्प लें।
SUBE SINGH SUJAN
लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है। ©SUBE SINGH SUJAN #Lok #लोकतंत्र #संस्कृति #public #yqdidi #yqbaba #Hindi #poem लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनं
lalitha sai
भारतीय संस्कृति में बहुत सारे कला ऐसे होते है जिसे देखते थे ही.. मन को शांति और आँखों को सुकून दे जाते है! भारतीय संस्कृति में कुछ ऐसे रंग है जिसे देखकर मन को ख़ुशी इन आँखों को सौ पल के याद दे जाते है! #kalamkaari #prints #lalithasai #myworld #myfevoriteprints कलमकारी आंध्र प्रदेश की अत्यंत प्राचीन लोक कला है और जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह
Nadbrahm
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी सम्राट विदेह कहलाते थे बिना देह अर्थात भौतिक सीमाओं से परे ज्ञान पुंज। उसी धरती पर कणाद, गौतम,अष्टावक्र जैसे तत्व ज्ञानी का ज्योति फैला। संख्या, मीमांसा के सिद्धि की ये धरती भी काल क्रम में अपने पराभव को नही रोक पाई। काल चक्र में माता जानकी की ये भूमि विप्पनता, अशिक्षा व दरिद्रता का दंश झेलने लगी। राजनीतिक वेदी पर इस क्षेत्र का विखंडन भी भारत व नेपाल के हिस्से में हो गया। इस अंतहीन यात्रा में ज्ञान भले लोप हुआ पर लोक कलाएं आज भी अपने मिथिला के अस्तित्व का गीत सब को सुनाती है। भित्ति चित्र व अहिपन ( अल्पना ) से बढ़ते हुए आज मिथिला पैंटिग उसी मिथिला की खास संस्कृति के किस्से सुनाती है। यह पैंटिग हर पर्व त्योहारों में मिट्टी पर बनी, आँगन में बनी, मिट्टी के घर को लेब कर उस के दीवारों को सजाया नव जीव आवाहन की प्रक्रिया में भी तांत्रिक पैंटिग बन कोहबर( नव विवाहिता के लिए विशेष कमरा) में नव दंपति में लिए उत्तम ऊर्जा का संवाहक बानी । आज मिथिला से बाहर फैसन का भी रूप ले चुकी हमारी संस्कृति की ये अंतहीन कहानी है। हाँ मिथिला की बाते युगों से पुरानी है। #मिथिला #root #culture_and_civilisation #untoldstory ©BK Mishra मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद
Ravendra