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Author kunal
गम का ऐ सा / कपड़ा नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212. / 2212. / 2212. / 2212 हँसता हुआ / चेहरा नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212 / 2212 / 2212 / 2212 मुझको अजा /बो का नहीं / परवाह पर / यारो वहाँ 2212. / 2212. / 2212. / 2212 सब हूँ म'गर / खुद सा नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212. / 2212. / 2212. / 2212 वो आज भी / मुझको युहीं / देखता सभी / गिला भुला 2212. / 2212. / 2212. / 2212 सर बन गया / साला नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212. / 2212. /2212. / 2212 मिरी कहा /नी पढ़ने पर / समझोगे तुम / सबका यहाँ 2212. / 2212. / 2212 / 2212 कांटा हुआ / रास्ता नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212. / 2212. / 2212. / 2212 शायद ये भी / एक बात हो / बस झूठ कहीं / किसी जहां 2212. / 2212. / 2212. / 2212 तो क्या यहाँ / उसका नहीं / बन पाऊँगा / मियां कभी 2212. / 2212. / 2212. / 2212 गजल बहर 2212 #yqbaba #yqdidi #kunal #kunu
Balram Singh Thakur
प्रशान्त कुमार"पी.के."
*गजल* *बहर:- 1222 1222 1222 1222* *मजदूर या मजबूर* पसीने की कमाई से वो अपना घर बनाता है। धनी कोई न जाने क्यों हंसी उसकी उड़ाता है। हथौड़े, फाबड़े, से यन्त्रों का उससे अजब रिश्ता, वो रातोदिन सदा जगकर पसीना खूँ बहाता है।। सँजोता दिल में अरमाँ वो सुबह से शाम तक लगकर, मकां खुद का न बना पाए मगर सबका बनाता है।। करे औलाद की खातिर कठिन श्रम जाँ लगाकर वो, ठिठुरता स्वयं पर उनको रजाई में सुलाता है।। रुलाती जिंदगी की कशमकश "पी.के." उसे हर पल । स्वजन की खुशियों की खातिर वो निज आँसू छिपाता है।। प्रशान्त कुमार"पी.के." साहित्य वीर अलंकृत आशुकवि पाली - हरदोई 8948892433 *गजल* *बहर:- 1222 1222 1222 1222* *मजदूर या मजबूर* पसीने की कमाई से वो अपना घर बनाता है। धनी कोई न जाने क्यों हंसी उसकी उड़ाता है।
Govind Pandram
चाँद की चाँदनी देखकर मैं जगा, पास में तुम खड़े सोचकर मैं जगा। यूँ रटा रात भर नाम तेरा सनम, नाम को सौ दफा बोलकर मैं जगा। क्या हुआ कुछ ख़बर ही नहीं रात में, रात में याद को ओढ़कर मैं जगा। हाल मेरा सनम तुम जरा पूँछ लो, नीन्द को नैन में छोड़कर मैं जगा। प्यार हो ही गया यार 'गोविन्द' अब, प्यार की सब हदे पार कर मैं जगा। ©Govind Pandram #गजल शीर्षक - मैं जगा गजलकार - गोविन्द पन्द्राम बहर - 212....( फाइलुन )
saurabh
देखते देखते तब सहर हो गयी वो तेरी पंक्तियां जब बहर हो गयी चांद जलता रहा चांदनी रात मे तेरी इक मुस्कुराहट कहर हो गयी #समझमेंनहीआता #चस्मा #इश्क #love #super सहर - सुूबह बहर - गजल का तरीका
Archana Deshpande-Pol
नको ना जाऊस कुठे.. सरेल ही रात्र काळी.. सोनेरी उगवतीला, देऊ नवी झळाळी.. सोनेरी पुर्वेला बघ.. रंग किती उधाणलेले.. डोळ्यात साठवून घे.. आनंदाचे रंग ओले.. आनंदाने मांडव सजवू.. प्रीतीचा मोहर फुलेल.. आशेच्या गालावर, गुलाबी लाली चढेल.. खचलीच कधी पावलं तर.. विसावा घे क्षणभर.. पुन्हा एकदा मनात, नव्याने उमेद भर.. नको कोमेजून जाऊस.. पुन्हा नव्याने बहर.. साद घालेल तुला.. नव्या ऋतूचा मोहर.. ©अर् #बहर..
vishnu thore
डोळ्यात जळाले ऋतूंचे बहर उन्हाचे प्रहर वांझ मृगाच्या ओढीने दुपार टळली धुळीत मळली सांज... - विष्णू थोरे ९३२५१९७७८१ बहर......
मैत्रेय
तुझ्या डोळ्यातलं पाणी ढग बनून बरसतं, तेव्हा माझ्या डोळ्यांना पूर येतो मैत्रेय(अंबादास) #बहर
Sultan Mohit Bajpai
आज फिर से हक़ीक़त नज़र आ गयी । तुमसे पहले तुम्हारी ख़बर आ गयी ।। आज फिर इश्क रोया बहुत टूटकर । चश्म से जिश्म पर इक नहर आ गयी ।। उसको खोने का मुझको सबर आ गया । वो मगर आज फिर बे-सबर आ गयी ।। क्या करूं खुद को रोका , सम्भाला मग़र । याद उसकी पहर-दोपहर आ गयी ।। उसकी 'सुल्तान' ये दिल्लगी देखिए । बनके तेरी ग़ज़ल में बहर आ गयी ।। --sultan mohit bajpai बनके मेरी गजल में बहर आ गयी #NojotoHindi #Nojoto #EmotionalHindiQuotestatic #NojotoWodHindiQuotestatic #Quotes #Shayari #Poetry
Vrishali G
बहार फुलांचा मला तुझ्या आठवणीत घेऊन जातो.. आणि बघता बघता मी तुझ्या जगात हरवून जातो.. ©Vrishali Gotkhindikar बहर #flowers