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Devanand Jadhav
°मायबोली माझी मराठी ° मायबोली माझी मराठी फुलविली तुका जनाईंनी अमृताते पैजा जिंकी ज्ञानदेवांच्या ओवींनी ज्ञान माउली सांगतसे मराठीत गीता सार एकनाथ गायी भारुड चोखामेळा करी जोहार वृक्षवल्ली हे सोयरे सांगुनिया तुका गेले दासबोध श्लोक मनाचे रामदासी घडविले बहिणाई सांगे माझी या संसाराचे सारासार जनाबाई गात ओवी दळण दळीत भारभार मुक्ताबाई नामदेव एकनाथ सावतामाळी गाडगे बाबा नरहरी सारी संतांची मांदियाळी अशी माझी माय मराठी सज्जनांनी रुजविली श्रींची ईच्छा शिरसावंद्य शिवरायांनी वाढविली ✍🏻© •देवानंद जाधव• jdevad@gmail.com 9892800137 ©Devanand Jadhav माझी मायबोली मराठी
Rupali Deo Hambarde
मराठी असे आमुची मायबोली अमृताहूनी असे ही गोड साहित्य अन संस्कृतीचे लेणे साऱ्या जगतात नाही मराठीला तोड। ग्रंथ , पुराण आणि वेदशास्त्रे अभंग भावगीत आणिक भारुड नाना स्वरूपे धारण करीते मानामनावर मराठी भाषेचे गारुड । अशी आमुची माय मराठी भाषा जणू साऱ्यांची माऊली तप्त उन्हामध्ये बाई निरंतर देई ममतेची साऊली ।। ©Rupali Deo Hambarde मायबोली मराठी । #roseday
डाॅ.धोंडोपंत मानवतकर
|| लाजबोली || किती भूकेजलं मन आत सळसळ ओली निळ्या नित्तळ डोळ्यात दाटलेली लाजबोली किती पाहिली मी वाट सांज ढळली रे सारी हुंदक्यात दाटल्या रे आज पावसाच्या सरी ✍️ कवी- डॉ.धोंडोपंत मानवतकर ©डाॅ.धोंडोपंत मानवतकर || लाजबोली ||
KAVI VINIT BADSIWAL
आज फिर एक महिला उन हैवानों के सामने चिल्लाई होगी, तुम्हारे घर में भी औरत है यह भी याद दिलाई होगी।।1।। क्यों हम सब यह कृत्य देख मौन हो जाते हैं, सरकारों को दोष देकर फिर चैन की नींद सो जाते है।।2।। अकेली औरत को अवसर मानकर तुम चलती हुई को छेड़ते हो, तुम्हारी बहन को कोई देख भी ले तो उसकी खाल को उधेड़ते हो।।3।। बलात्कार को वो कपड़ों का दोष बताते हैं, अरे साड़ी के पल्लू में कहीं अटक गई वो सांसें हैं।।4।। पीड़िता की चीखें गूंज रही उन सत्ता के गलियारों में, लाज उसे क्या आई होगी जो नाबालिक है अखबारों में।।5।। पर कब तक हम यूं मोमबत्तियां जलाएंगे, उन हैवानों को जलाओ तो बलात्कार हि बंद हो जाएंगे।।6।। अपने घर के आंगन से तुम अकेली औरत को बचाना सीखो, तुम्हें देख वो डर ना जाए वह मानव धर्म निभाना सीखो।।7।। कवि विनित बड़सीवाल #बलात्कार एक अमानवीय कृत्य
Bhanu Pratap
सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं, बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें। मानवीय रहें
SHAYARA BANO
नफरत से भरी मेरी निगाहें, और नफरत पर ही फिदा हूं मैं। आंसू बहा रही इंसानियत कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं। प्रकृति से लड़कर खुद के लिए इजाद कर ली आराम की चीज़ें, अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै। जिससे है मेरा वजूद उसी से जुदा हूं मैं। 05/04/2023 ©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता
Bandhu Sahni
दोस्तों नमस्कार मैं हूं एक भारतीय नागरिक और मैं आप सभी दोस्तों को सभी मित्रों को भारत के सभी नागरिकों को अपने दिल से हार्दिक अभिनंदन करता हूं। ©Bandhu Sahni मानवीय सरोकार
"Vibharshi" Ranjesh Singh
हर बदलाव का आंकलन करता हूं कौन कब बदला है उसकी भी खबर रखता हूं वैसे तो चेहरे सब मासुम लगते हैं इसलिए सबके इरादों पे नज़र रखता हूं रसायन शास्त्र के विपरीत, यहां लोगों के समीकरण कभी भी बदल सकते है इसलिए किसी को अपना बनाने से पहले थोड़ी सी सब्र रखता हूं #NojotoQuote मानवीय प्रतिक्रिया
नंदन.
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥ वर्तमान समय में उक्त पंक्ति का गलत व्याख्या किया गया है, या यूं कहूं की इसकी आधी व्याख्या की गई है। कर्म करने से परिणाम की प्राप्ति होती है वह परिणाम कर्म की दिशा और दशा सुनिश्चित करती है, अर्थात कर्म के गर्भ से सिद्धांत की उत्पत्ति होती है। जिससे कर्म की और अधिक संगठनात्मक और संरचनात्मक विकास हो पाती है। परंतु आज कर्म की प्रधानता के आढ़ में सिद्धांतों की महत्ता को धूमिल किया जा रहा है। यही हमारी मानव सभ्यता के अवनति की प्रथम सीढ़ी सिद्ध होती है। . नंदन ©M.N.Sahitya Sangh,Katihar Mn75 #मानवीय #विचार #हिन्दीदिवस
Divesh
प्रेम जैसी सहज भावना शहर के यांत्रिक जीवन में आकर सरसता खो बैठती है और उपयोगितावादी उद्देश्यो को प्राप्त करने का सफल प्रयास करती है। ©Divesh मानवीय संवेदनाओं का वस्तुकरण