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Rakesh Kadayala
"कोशिश न कर" अपनी हाँ को, ना में छुपाने की कोशिश न कर, नज़रें भी बोलती हैं, चुराने की कोशिश न कर। दिली आवाज़ को दिमागी चाल से, दफ़नाने की कोशिश न कर, चुप भी मुनादी करता है, छुपाने की कोशिश न कर। झूठा गुस्सा दिखा के, दिल मे समाने की कोशिश न कर, सच्चा मुस्कुरा के, सताने की कोशिश न कर। हाले दिल मालूम है मुझे, मुग़ालता जिलाने की कोशिश न कर, मुझे सब पता है, हाँ झुठलाने की कोशिश न कर। ना ना करके, मुझे तड़पाने की कोशिश न कर बड़ा दुःख देते हैं जज़्बात, दबाने की कोशिश न कर। ना ना हाँ हाँ से, किसी तरन्नुम तराने की कोशिश न कर, इंतजार करूँगा तेरा मैं, मुझे आज़माने की कोशिश न कर। हम भी रूठ गए अब, हमे मनाने की कोशिश न कर, इस हंसी ख्वाब में हूँ, जगाने की कोशिश न कर। अपनी हाँ को ना में छुपाने की कोशिश न कर, नज़रें भी बोलती हैं, चुराने की कोशिश न कर। राकेश कडायला ©Rakesh Kadayala "कोशिश न कर"
Ayush kumar gautam
कोशिश न कर लोगों की सोंच पर पहरा डालने की बेहतर होगा कि तू खुद ही बहरा बन जा शायर आयुष कुमार गौतम कोशिश न कर
Ashish kant
कि सीढीया उन्हें मुबारको जिन्हें छत तक जाना है अपनी मंजिल तो आसमान है रास्ता हमें खुद बनाना है अब सफलता मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है पर हम कोशिश भी ना करें यह तो गलत बात है ©Ashish kant हम कोशिश भी ना करें यह तो गलत बात है
Sampa Barman
जा जा मुझे न अब यद् आ ©Sampa Barman भूलने की कोशिश करें
PoOjA TripAthi..
मैं जानती हूं कि मैं अकेले दुनिया या लोगों की सोच नहीं बदल सकती। पर मैं लिख तो सकती हूं ना। ये कलम ना बड़ी कमाल की चीज है राजा को फकीर और फकीर को राजा बनाने में देर नहीं करती है। मैं जानती हूं कि मैं अकेले दुनिया या लोगों की सोच नहीं बदल सकती, पर मैं कोशिश ना करूं ये तो गलत होगा ना। नतीजा किसने देखा है? बस कोशिश करते रहिए। और इसी कोशिश के साथ आओ मिल कर दिप जलाये और एकता का प्रतीक बने। कोशिश क्यो न करे.........
Shashi Bhushan Mishra
आख़िरी कोशिश भी नाकाम हुई, एक उम्र थी वो भी तमाम हुई, दिन ढ़ल गया पता न चला, अभी तो सुबह थी अब शाम हुई, ज़िन्दगी मारती रही पल-पल, मौत तो बेवज़ह बदनाम हुई, हाल-ए-दिल लिखा जिस पर, वो चिट्ठियां फक़त गुमनाम हुई, कभी रहते थे दर-ओ-बाम में जो, उनकी हस्ती भी अब बेनाम हुई, बात जो दिल ने छुपाई अबतक, हटा पर्दा तो सर-ए-आम हुई, ज़िस्म रखते थे छुपाकर 'गुंजन', नुमाईश अबकी खुले-'आम हुई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #आख़िरी कोशिश भी#
Ravendra Singh
जब दुआएं भी कुछ असर न करें क्या करें सब्र हम अगर न करें दास्तां ख़त्म हो ही जाएगी आप क़िस्से को मुख़्तसर न करें छोड़ता ही नहीं हमें सय्याद वर्ना पर्वा-ए-बाल-ओ-पर न करें क़ाबिल-ए-अफ़्व मैं नहीं न सही न करें आप दरगुज़र न करें, उन को एहसास-ए-दर्द-ए-दिल कैसा मर भी जाऊं तो आंख तर न करें उस की बेचारगी का क्या कहना जिस की आहें भी कुछ असर न करें ये भी तश्हीर-ए-शाएरी है 'जोश' आप दीवान मुश्तहर न करें।। जब दुआएं भी कुछ असर न करें क्या करें सब्र हम अगर न करें दास्तां ख़त्म हो ही जाएगी आप क़िस्से को मुख़्तसर न करें छोड़ता ही नहीं हमें सय्याद