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dilip khan anpadh
प्रीत सघन ******** कब तक रुलाओगे? क्या कभी,हँसाओगे भी? कब तक सताओगे? क्या कभी बहलाओगे भी? नजरों का फरेब हो तुम? क्या कभी नजर आओगे भी? दूर का नजारा जैसे हो तुम क्या कभी पास बुलाओगे भी? वो छुअन की तपिस भूल जाऊं या फिर से गले लगाओगे भी वो साँसों की महक बिसार दूँ या मेरे होठों का सीप चुराओगे भी। आस की आंच धीमी ना हो क्या उससे पहले आ जाओगे भी अन्तरदाह से जल जाऊं खुद मैं या प्रीत सघन बरसाओगे भी। दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #प्रीत सघन
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
अनामिका पाण्डेय
मुझमें क्या क्या दफ्न हुआ है ,किन बातों पर रोया दिल अधर हुए खामोश कहां पर ,कितने दिन न सोया दिल पीर उठी किन किन लम्हों में ,दुख कितनी गहराई फूलों के बनने से पहले ही ,कलियां है कुम्हलाई चीख हलक में घुटकर रह गई ,सहमा सहमा खोया दिल मौन लबों पर सजा हुआ है ,आंखों मे इक सूनापन शोर सुनाई देता जिसका,वह हृदयों की स्पन्दन जाने कितने बोझ स्वयं पर ,आजतलक है ढोया दिल बेचैनी मन को घेरे है,भरा -भरा सब खाली है नीरवता का स्वर मुखरित है,सांसे घुटने वाली है सन्नाटा ही सन्नाटा है,घना अंधेरा बोया दिल मुझमें क्या-क्या दफ्न हुआ है ,किन बातों पर रोया दिल अधर हुए खामोश कहां पर,कितने दिन न सोया दिल ©अनामिका पाण्डेय #Problems सघन अंधेरा बोया दिल
Anjali Raj
ज्यों क्षत विक्षत से घन त्यों ही बिखरा बिखरा मन घन में दिनकर शोभित मन मेँ छाया तिमिर सघन #YQdidi #अंजलिउवाच #घन #सघन #मन #दिनकर #क्षतविक्षत
Sangeeta Patidar
सुनो! कह दूँ दिल की बात तुमसे, कर दूँ क्या इज़हार तुमसे? दिल तोड़, रूठकर तो न बैठोगे, कर लिया जो इक़रार मैंने।। हर एहसास, हर ख़यालात पर उड़ेल दूँ जो 'तुम-रंग' सतरंगी, मुझे छोड़ तो न जाओगे, इनको कर दिया जो छितनार मैंने।। तुम्हारे दिल की दहलीज़ पे दे-देकर दस्तक ख़लल डालूँ क्या, लौटा तो न दोगे, तुम्हारे सुकूँ को ग़र किया जो मिस्मार मैंने।। बाँट लूँगी आकर कुछ दर्द, कुछ दिल का बोझ भी मैं तुम्हारा, ख़ुदगर्ज़ तो न समझोगे ज़्यादा ही कर दिया जो इसरार मैंने।। कर लूँ क्या अब ऐतबार मैं, तुम्हारी हर बात का, हर वादे का, पलट तो नहीं जाओगे तुम, बयाँ कर दिया जो असरार मैंने।। -संगीता पाटीदार (छितनार- सघन, मिस्मार- Ruined, इसरार- Insist, असरार- Secret) रमज़ान 12वाँ दिन #रमज़ान_कोराकाग़ज़
Alok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
DR. SANJU TRIPATHI
अनपढ़ चाहे कितना भी समझदार क्यों ना हो जाए, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर ही रहता है। ईश्वर ने भी जाने कैसी मुसीबत सबके सर पर डाली है, बचे तो बचे कैसे कोई भी आगे कुआं तो पीछे खाई है। औरतें चाहे घर बाहर के सब काम सामंजस्य से कर लें, रहेंगी जीवन भर घर की मुर्गी दाल बराबर के जैसी ही। न रह गया अब रिश्तों में विश्वास कोई भी मान सम्मान, सभी एक दूजे से थोथा चना बाजे घना बनकर रहते हैं। करते हैं सभी न्याय की बड़ी बातें बताते हैं खुद को सही, डरते हैं सभी दूध का दूध और पानी का पानी कौन करें। प्रयुक्त विलोम शब्द काला अक्षर भैंस बराबर आगे कुआं पीछे खाई थोथा चना बाजे घना घर की मुर्गी दाल बराबर दूध का दूध पानी का पानी #काव्यसंग्