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Rajeev Upadhyay
भोजपुरी प्राणवायु के समान है। हिन्दी स्थूल शरीर की तरह है। ये दोनों ही मेरे अस्तित्व के मूल में हैं। परन्तु इन दोनों के साथ अंग्रेजी वस्त्र की तरह है। इस तरह से मेरा ओढ़न-डासन तीन रंगों से रंगा हुआ है। राजीव उपाध्याय ©Rajeev Upadhyay भोजपुरी प्राणवायु के समान है। हिन्दी स्थूल शरीर की तरह है। ये दोनों ही मेरे अस्तित्व के मूल में हैं। परन्तु इन दोनों के साथ अंग्रेजी वस्त्र
Jyotshna Rani Sahoo
अंग में नहीं होता रंग (अनुशीर्षक में पढ़े) दिल को कहीं फ़ेक दो दर्द नहीं होगा उसके बदले कद को थोड़ा उच़ा कर दो व्यवहार को अपने रंग निखारने में नियोजित कर
Jyotshna Rani Sahoo
### में बदसूरत नहीं ### तुम मुझे देख पाए तुम्हारे आखों के काबिलियत पर जो सीमित है मेरे जिस्म तक रूह तक तो तुम्हारे पहुंच नहीं ये तुम्हारे अक्ष्यमता है पर में बदसूरत नहीं। तुम्हे मेरे काले रंग सुहाया नहीं पर ये भी एक रंग के रूप है प्रकृति के बिभिन्नता में एक देन है अगर इसका तुम्हे ज्ञान नहीं तो में भी बदसूरत नहीं । मेरे स्थूल शरीर तुम्हे पसंद नहीं पर केसे भूल जाते हो ये दुनिया में कुछ समानता नहीं अगर तुम्हे खूबसूरती के पहचान नहीं तो में भी तो बदसूरत नहीं। में जैसे हूं जो भी हूं प्यार के हकदार हूं नफरत की नहीं है मेरे भी कुछ चाहने वाले जिनके लिए में दुनिया से सबसे खूबसूरत हूं कभी भी बदसूरत नहीं। ### में बदसूरत नहीं ### तुम मुझे देख पाए तुम्हारे आखों के काबिलियत पर जो सीमित है मेरे जिस्म तक रूह तक तो तुम्हारे पहुंच नहीं ये तुम्हारे
Divyanshu Pathak
गौर गुलाबी गालों पे है एक नन्हा सा काला तिल देखो देखो लेकर भागा मेरा भोलाभाला दिल ! आँख नशीली अंगूरी सी बरसायें मदिरा वो मिल झूम झूम मन मोर हुआ है देखो सबकुछ तो गया हिल ! ओठ रसीले रसगुल्ले से पानी मुह में चुभा आता है देखत प्यास भूख जगती है होगई मेरी बड़ी मुश्किल ! 😃😃😃💕💕👨💞😊😊☕☕☕🍧🍧🍫🍫💓आज तो प्यार उमड़ आया यारो आओ मौज आप भी लेलो !..........💓💕💞 : राधा ही कृष्ण की शक्ति है। कृष्ण की शक्तियों का परिचय भी राधा स
Divyanshu Pathak
हमारे हाथ में है भी क्या! हम तो प्रकृति के हाथों कठपुतली हैं। सूर्य ही सृष्टि का प्रथम षोडशी पुरुष है, जगत का पिता है। अमृत और मृत्यु लोक दोनों को प्रभावित करता है। प्रकृति मां है। सृष्टि के सम्पूर्ण प्राणी सूर्य से उत्पन्न होते हैं। सूर्य किरणों द्वारा नीचे उतरते हैं। बादल बनते हैं। वर्षा के जल के साथ पृथ्वी की अग्नि में आहूत होते हैं। औषधि-वनस्पतियों का रूप लेते हैं। "कौनसा स्कूल" --02 🌷😊☕☕🌷☕🙏😊🌷 : यह उनका प्रथम स्थूल रूप में अवतरण होता है। यही प्राणियों का अन्न होता है। अन्न जठराग्नि में आहूत होता है। शरी
Divyanshu Pathak
सेस गनेस महेस दिनेस,सुरेसहु जाहि निरंतर गावै ! जाहि अनादि अनंत अखण्ड,अछेद अभेद सुबेद बतावै !! नारद् से सुक व्यास रटें,पचिहारे तउ पुनि पार न पावै ! ताहि अहीर की छोहरियाँ,छछिया भर छाछ पे नाच नचावै !! 💓🐇#बृजधाम☕#अध्यात्म☕💕#शिक्षा🐦#संस्कार🦃🍫🍫🍮🌧#ज्ञान🌛😂😍😘😚😙☕ :💕😀😍 हम सारी दुनिया को गीता का ज्ञान बांट रहे हैं, तब हमारे बच्चे क्यों इससे वंचित ह
Jyotshna Rani Sahoo
उन्हें मिलना था एक पहल भाग - ५ अनुशीर्षक में पढ़े अंशु चुप था,जिसे कोई जरूरत नहीं थी खुद को साबित करने की।और समापिका के पास कुछ नहीं था बोलने के लिए।ऐसे में उसको हॉस्टल में छोड़ वापस आ गया अ
Divyanshu Pathak
सत्तर वर्षों के शिक्षा के हृास का परिणाम है कि हर वर्ग अपने कर्म से च्युत हो गया। ब्राह्मण समाज को संस्कारवान बनाने को तैयार नहीं है। क्षत्रिय समाज रक्षा का भार उठाने को तैयार नहीं है। चारों ओर माफिया-मादक द्रव्य, शराब, हथियार, भू-बजरी, मिलावट आदि फैल रहे हैं। किसी को ‘विनाशाय च दुष्कृताम्’ याद ही नहीं है। वैश्य रूप कृषक आधुनिक चकाचौंध और फसल बढ़ाने की होड़ में जहर परोसकर प्रसन्न होना चाहता है ! किसी स्नातक को शरीर का प्राकृतिक, पंच महाभूत का स्वरूप नहीं मालूम। अपने-अपने क्षेत्र का भूगोल नहीं मालूम। सौ वर्षों का इतिहास भी नहीं मालूम। स्त्री-पुरुष का प्राकृतिक सिद्धान्त नहीं मालूम। केवल शरीर रूपी डिब्बे को नर-नारी कह रहे हैं। ‘शक्ति-पौरुष-कर्मयोगी-पुरुषार्थ’ जैसे शब्द विदेशी हो गए। :💕🙏🍫👨 good morning ji ☕☕☕☕💕🍫👨🍨🍎🍹🍉🍦💕🙏🍫👨 : शिक्षा रूपी भूत-पूर्व-गुलामी का प्रेत पूरे देश पर मंडरा रहा है। एक अंग्रेजीदां समूह है इस देश में
दि कु पां
जी.. हो भी नही सकता.. वरना बलात्कारियों में 10 से लेकर 70 तक के पुरुष ना होते... ये एक दूषित मानसिकता है.. एक कहावत है सब "धान २२ पसेरी नही बिकता.." अर्थात् एक ही बात सब पर लागू नहीं होती है.. मानसिकता गणित की कोई सूत्र नही है.. ये निर्भर करती है कई तथ्यों पर.. परवरिश पर.. आस पास के वातावरण पर.. संगत पर.. व्यक्ति की सामाजिक एवम् आर्थिक स्थिति पर.. शायद... वासना और उम्र का संबंध कुछ अच्छा नहीं रहा है... अमूमन हम ऐसा समझते रहे हैं की उम्र ज्यादा हो जाने पर हम वासना के पार खुद ब खुद चले जाएंगे...
Amar Anand
तीसरी आँख एक दिव्य दृष्टि नीचे कैप्शन में... तीसरी आंख को खोलने वाली साधनाएं ध्यान से भटकाने वाली हैं! तीसरी आंख तीसरे मणिपुर चक्र में खुलती है तीसरी आंख को खोलने वाली साधनाएं ध्यान स