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Anjali Singhal
Anjali Singhal
Shree
मत आंकिए मेरी सोच की सीमा, मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर, सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के, कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए! पशोपेश में दिखाई देंगे कभी-कभार, तबियत नासाज, कमजोर ना समझिए। मासूम इरादों की पंखों वाली उड़ानों को अपने भौतिक सुखों के पर्याय ना मानो। अनन्त हूं मैं, अनन्त मेरी आवाज़ सुनो, संकीर्ण मनोभावों को दरकिनार रखो। मत आंकिए मेरी सोच की सीमा, मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर, सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के, कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए! पशोपेश में दिख
naved imam
इंसानियत के दायरे में इंसान रहने दो राई के दाने बराबर भी ईमान रहने दो उसको बचा रहे हो जिसने तुम्हे बनाया ख़ुदा की अपनी अलग पहचान रहने दो अप
Nisheeth pandey
देश की गौरव -मीरा चानू ........ चलती थी गट्ठरों का बोझ उठाए सिर उठा कर लोहे के वजन से मीरा चानू ने लिखा पन्ना इतिहास का उठा लिया आज भारत की गरिमा को नया विचार दिया देश की लड़कियों को मुहावरा फिर सच साबित हुआ प्रतिभा मोहताज नहीं किसी सुविधा का हुआ जन्म किसी बेबस के घर न इनकार ढोने से की लकड़ी का गट्ठर अपने बाजुओ को बनाया मजूबत तकदीर के लिए मखमली चादर नही मिट्टी की सोंधी खुंशबु में गुजारी नींदे बेबसी का आलम भी डिगा न पाए जो देखा कभी सपने अपने सजा लिए अपने जख्मों से न रोइ नहीं किया समझौता अपने मंजिल से न जाने कितनी दफ़ा लड़ी होगी जमाने से, कितनी रुकावटों को कर चूड़ चूड़ खुद को साबित कर दिया एक गांव की बेटी ने भारत का गौरव ऊंचा कर दिया सुनो आधुनिकता में डूबी लड़कियों सिख ले लो आदर्श बना लो ना ही बनना मुझे हीरोइन ना ही करने साज सिंगार बस मीरा जैसी हिम्मत ले लो लोहे का पहाड़ उठाने की शक्ति जागृत कर लो कोई ग्लैमर की रौनक नहीं फिर भी विश्व पटल पर चांदी-सोने सी चमक रही गांव की बेटी देखो आज भारत के सीने में धड़क रही देश का गौरव बन बजरंग ध्वज सा लहराने लगी दुसरे देशों में तिरंगा उसके नाम से फ़हराने लगा ऐसे देश की बेटियों को बारंबार प्रणाम । 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey देश की गौरव -मीरा चानू ........ चलती थी गट्ठरों का बोझ उठाए सिर उठा कर लोहे के वजन से मीरा चानू ने लिखा पन्ना इतिहास का उठा लिया आज भारत
Bambhu Kumar (बम्भू)
2. थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह
vishnu prabhakar singh
दिल कोई तहखाना है भावना का आना जाना है एक चटकीली दरी बिछी है वहाँ कविता की लड़ी लगी है जहाँ चपल मन नृत्य साध रहा है दिल तहखाना झाँक रहा है जीवन भरे पोटली गट्ठर बने हैं कुछ यादें हैं और कुछ अख्खड़ पड़े हैं एक अलग कोठरी में कोई बंद है दिल देकर दगा करने वाले भी चंद है आये दिन बत्ती गुल हो जाती है जैसे,मासूका दिल को सताती है आँखों के शैलाब से तहखाना भर जाता है तभी तो कोई दिल निकाल कर धर जाता है तहखाना दीवाना है। दिल कोई तहखाना है भावना का आना जाना है एक चटकीली दरी बिछी है वहाँ
कवि राहुल पाल 🔵
परेशान ★★ मोहब्बत में परेशानी ★★(अवधी भाषा विशेष ) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● जबसे चला है लड़की से चक्कर जीवन होय गय जैसे ख़च्चर ,गदहा बनके खींचे गट्ठर , की अब तो हमरो हाल ससुरा बहुत बेहाल ब घर मे मचा बवाल ब न .... भयवा ओकर रोज गरियावे लाठी लइके हमे भगावे की ओके बापवो हमसे खूब रिसियान ब घर वाले से मार ब न ..... मैडम हमरे शाम के आवे पैसा हमरो खूब उड़ावे जैसे चलत बाप के हमरे ऊहो दुकान ब जेब भई कंगाल ब न ...... अब तो खुदही बनई रोटी हथवा हमरो लाल ब गरदन में रुमाल ब न जबसे लिहे मोबाइल जेब भई कंगाल ब बाकी बस मिसकॉल ब न ...... ((( " राहुल "))) एगो लइका अपने मोहब्बत से परेशान है क्या घटनाएं घटती है --- #परेशान #मोहब्बत_में_परेशानी #भाषा_अवधी #गीत #rahul तबज्जो... जबसे चला है लड़की
कवि राहुल पाल 🔵