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pratibha Singh thakur
कतरा कतरा बह जायें लहूं मेरें बदन का । मिटनें ना देगें नाम अपने पूर्वजों का। छेड़छाड़ हुआ जो हमारे राजपूती इतिहास से। सर कलम कर देगें तुम्हारे सारे वशं का। ©pratibha Singh thakur राजपूती इतिहास #peace
RANVI 99
इला न देणी आपणी मां हालरिया हुलराय पुत सिखावे पालणे मरण बडाई माय writer .Ranjeet पूर्वजों का इतिहास राजपूत वंश #DesertWalk
Vivek Kumar (भूमि)
thank u 😊 धन्यवाद आपका (राधे राजपुत) राधे.....राजपूत...💞
Akshit Ojha
जमाने के मुह लगने से महज़ परिहास होगा खामोशी बरकार रखे गर तरक्की तक, तो साहब तुम्हारा भी इतिहास होगा ये जन्मदिन और सालगिरह के ख्वाब छोड़ो Aksh लगन और मेहनत हो तो हर दिन खास होगा पहले परिहास, फिर खास और फिर इतिहास #yourquote
kalamkari vijendra
बडी बडी बाते करने वाले अक्सर ही ढैर हो जाते... ये जिन्दगी है एक जंगल इसमे रहने के लिए इन्सा भी शेर बन जाते हैं इन्सा
Premsukh
शेखावतों का इतिहास शेखावत कछवाहा राजपूतों का एक उप-कबीला है जो मुख्य रूप से भारत के राजस्थान में पाया जाता है। शेखावत वंश महान राजपूत योद्धा महाराव शेखा जी के वंशज होने का दावा करता है। राजस्थान में जयपुर के कछवाहा के सभी उपकुलों में शेखावत सबसे प्रमुख थे । शेखावत शेखावाटी के शासक थे। शेखावत राजपूतों ने शेखावाटी क्षेत्र पर 500 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया। जयपुर के कछवाहा राजवंश के सभी उप-कुलों में शेखावत सबसे प्रमुख हैं । सर यदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक फॉल ऑफ द मुगल एम्पायर में लिखा है कि शेखावत जयपुर के कछवाहा राजवंश के उप-कुलों में सबसे बहादुर थे। निम्नलिखित शेखावत वंश की एक संक्षिप्त ऐतिहासिक और वंशावली रूपरेखा है, जो जयपुर के कछवा शासक वंश की 65 शाखाओं में से एक है, और सभी कछवाओं में सबसे प्रमुख है, और महान राजपूत योद्धा, राव शेखाजी के वंशज हैं। प्रारंभिक शासकों ने अपने अधिपतियों, आमेर के शासकों के प्रति निष्ठा व्यक्त की, लेकिन राव शेखाजी ने 1471 में खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया और अपने वंशजों के लिए एक अलग रियासत की स्थापना की। शेखावतों ने 500 वर्षों से अधिक समय तक शेखावाटी क्षेत्र पर शासन किया और उन्हें "ताज़ीमी सरदार" की वंशानुगत उपाधि से सम्मानित किया जाता है, जिसे जयपुर के महाराजा महाराजा अपनी सीट से उठकर प्राप्त करते हैं। शेखावत शासकों ने शेखावाटी क्षेत्र [शेखावत शासकों की भूमि] पर अपने शासन के दौरान 50 से अधिक किले और महल बनवाए, जो सबसे बड़ा निज़ामत था।जयपुर राज्य के अंतर्गत [जिला], जिसके लगभग पूरे हिस्से पर शेखावतों का कब्जा है, कर्नल जेसी ब्रुक ने अपनी पुस्तक, पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ इंडिया में लिखा है कि "अश्व-सेना की भर्ती के लिए भारत में शेखावाटी के बराबर कोई क्षेत्र नहीं है।" ।” शेखावत भारतीय सेना में एक बहुत ही सामान्य उपनाम है। कबीले के कई सदस्यों ने वीरता पुरस्कार जीते हैं जिनमें परमवीर चक्र (युद्ध के समय बहादुरी के लिए सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार), महावीर चक्र आदि शामिल हैं। शेखावतों के उपकुल भोजराज जी का झाझर की स्थापना राजा टोडरमल के बड़े पुत्र कुँवर पुरूषोत्तमदास ने की थी। गुढ़ागौड़जी, ठाकुर झुंझार सिंह द्वारा स्थापित। चिराना, एक शानदार महल का स्थल। ( ठाकुर सलेहदी सिंह के वंशज 1687-1767 ): केध, जिसकी स्थापना ठाकुर जगराम सिंह के पुत्र कुँवर गोपाल सिंह ने की थी। नंगली की स्थापना ठाकुर सलेधी सिंह ने की थी। खिरोड की स्थापना सलेहदी सिंह के पुत्रों कुँवर अमर सिंह और कुँवर राम सिंह ने की थी, उन्होंने संवत 1825 में एक महल बनवाया था । मूनवारी [मोहनवारी], जिसकी स्थापना ठाकुर सलेधी सिंह ने की थी। जाखल चापोली गुरा पौंख आदि। वंश: सूर्यवंशी से उतरा: ढूंढाड़, आमेर/जयपुर का उप-कबीला: कछवाहा/कछवाहा/कुशवाहा। शाखाएँ: भोजराज जी का, गिरधर जी का, जगमाल जी का, अचलदास जी का, राव जी का, लाडखानी, भैरो जी का, टकनेत, रत्नावत, खेजडोलिया, मिलकपुरिया, तेजसी का, जगमालजी का, सहसमलजी का, लूणकरणजी का, उग्रसेनजी का, सांवंलदासजी का, गोपालजी का, चंदापोता, परसुरामजी का, ताजखानी, हरिरामजी का आदि। में शासन किया: शेखावाटी रियासतें: शाहपुरा (शेखावतों की प्रधान सीट) खेतड़ी डूंडलोद नवलगढ़ मुकंदगढ़ मंडावा (पाना-1), (पाना-2) महनसर बिसाऊ अलसीसर (पाना-1), (पाना-2) मलसीसर मंड्रेला चौकरी हीरवा और सिगरा सूरजगढ़ उदयपुरवाटी परसुरामपुरा ताेन सीकर कासली श्यामगढ़ जाहोता खंडेला-बारा पाना और छोटा पाना दांता खुड़ खाचरियावास खाटू पचार मुंडरू सैंसवास चिरा #article #history #Rajputana #histst #viral #page #writer #historyfacts #शेखावत #कछवाहा #राजपूतों #Rajput ©Premsukh #Chhuan 💪❤️💕 शेखावत राजपूतों का इतिहास,🌷💐
Tarun Dogra
किसी शख्स का ग़ुलाम नहीं, बस मौजों से इश्क़ में है, तनहा नहीं , खुद में है मशगूल कुछ, बन्दा ये, उस खुदा की जद में है। #बन्दा