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Parasram Arora
मै तो वही कर रह हूँ जो काम मुझे दिया गया है i इतिहास की पोथियों मे ढूंढ रहा हूँ उन हिंसक क्रूर शख्सियतों को जिनकी आंकांक्षाए और लालसाये धूल धूसरित हुई थी जिनकी कोशिश नाकामयाब हुई थी विश्व को नेस्तनाबूद करने की जिन्होंने पथ्हर की क्यारियों मे लगे फूलों को नष्ट किया और काँटों का वंशवाद दिया था काँटों का वंशवाद........
Rahul Shastri worldcitizens2121
Sep 12,2020 वंशवाद हिंदू धर्म की कुरीति है! ऐसा न होता तो इंद्र ने जब अहिल्या का धोके से बलात्कार किया उसके बाद भी आज तक उस क्रिमिनल को स्वर्ग के राजा की पोस्ट से हटाया नहीं गया है! इंसानों की दुनियाँ में होता तो Suspand कर देर-सवेर फाँसी पे लटका दिया गया होता! Match Fixing तो विधाता का Clear Crime हैं!! हिन्दू धर्म औऱ वंशवाद #raindrops
Ek villain
वर्ष 1994 में आई फिल्म सरदार का एक दृश्य है उस में दिखाया गया कि सरदार पटेल शाम के थके हारे घर लौटे बिस्तर पर लेट ही रहे थे कि अपनी बेटी मनीबेन से घर आई डाक के बारे में पूछते हैं बड़ी बहन बना बनाती है कि भाई दिल्ली आना चाहता है पाटिल मणि बहन को सुझाव देते हैं कि वह लौटते डाक से चिट्ठी भेज देगी जब तक मैं मंत्री हैं तब तक वह दिल्ली आने की ना सोचे उनका अर्थहीन संदेश यही है कि पाटिल जब तक जीवित रहे उन्हें अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनीति में उन्होंने आगे नहीं बढ़ाया असल में यह विवरण विगत 15 मार्च को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में परिवारवाद की राजनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रहार से प्रतीत होता है इसमें प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा था कि हालांकि विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं के बेटा बेटियों के टिकट उनके कहने पर काटे गए उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति को परिवारवाद खोखला कर रहा है और हमें इससे निपटना होगा ©Ek villain #अमरबेल शायरी की वंशवाद राजनीति #youandme
Madhav Chaudhary
सूखी नदी में कश्ती बहाने निकले हैं, हम भी पागल हैं, उन्हें मनाने निकले हैं... हम भी न पागल हैं... #ख़याल #impossible_love #नाकाम_कोशिश #माधवता
Raz Nawadwi
जवानी के दिन भी निकल जाएँगे ये गोले हैं साबुन, के गल जाएँगे //१ ज़रा खौल दिल के पतीले में तू हम आलू हैं, जल्दी उबल जाएँगे //२ ~राज़ नवादवी पेशे ख़िदमत हैं दो अशआर
Dhruv Bali aka Darvesh Danish
चमन ने तुझे याद किया फिज़ाओं से मिलने के बाद चेहरा है तेरा गुंचों मे ,बागों के खिलने के बाद दूब तक महक उठी है जमीन पर तेरे चलने के बाद ढूँढने निकले है तुझे पत्ते मौसम के बदलने के बाद मै भी मजबूर हू जब से है तुमसे बात हुई दिल संभलता ही नहीँ वक़्त गुज़रने के साथ कितना कुछ सोचा था मैने तुमसे आज कह दूँगा जबां खुली ही नहीँ आंख ये मिलने के बाद आज आसाइशें तुमहारी मुझसे जुदा हैं लेकिन याद आयेगी मेरी उम्र ये ढलने के बाद आज तुम एक लहर हो और मै किनारा हूँ और क्या चाहिए तूफान के गुजरने के बाद पेशे नजर है एक नयी गजल