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Mehfil-e-Mohabbat
इतना प्यारा है वो चेहरा की नज़र पड़ते ही लोग हाथों की लकीरों की तरफ़ देखते हैं ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ नादिर आरिज़ ♥️✍️
Juhi Grover
तेरे रुख़सार को सहलाती ज़ुल्फों के आज़िज हैं, निगाहें हमारी तुम्हारी निगाहों के यूँ काबिज़ है। हया की दस्तक बार बार लबों को सिल जाती है, तेरी ख़ामोशी में नशा छलकाते तेरे यूँ अारिज़ हैं। गहराई में डूब तेरी नज़रों की पार नहीं उतरना है, होश यूँ अब बस खो देना ही तो हमें वाजिब हैं। रंगीन फिज़ाओं का मंज़र ज़र्रे ज़र्रे में हाज़िर है, जहाँ तेरी पनाहों के मसले ही हमारे हाफिज़ हैं। दिल के मिजाज़ तुम्हारे बदलना तो जायज़ ही है, दिल की धड़कनें भी कहाँ अब हमारे काबिज़ हैं। करीबी का एहसास दिला फासलों की ज़मीं होना, रफ़तार दिल की से कज़ा के आशियाने खारिज हैं। तेरी सुर्ख अदाओं से महकती हमारी यूँ हसरतें हैं, तेरे तसव्वुर में भी हमारी आहें, साँसें जाज़िब हैं। ज़िन्दगी मौत की कुछ खबर नहीं, ख़्वाबगा़ाह में, बेहोशी में भी फिज़ाओं में तेरी खुश्बू ही जानिब है। Tried something different #आज़िज #काबिज़ #आरिज़ #हाफिज़ #खारिज #रुखसार
Aliem U. Khan
तुम मयस्सर हमें हो जाते तो क्या-क्या करते ! जुल्फ़-आरिज़ कभी रुख़सार को बोसा करते। تم میسر ہمیں ہو جاتے تو کیا کیا کرتے تے زلف عرض کبھی رخسار کو بوسہ کرتے ©Aliem U. Khan #aliem_nojoto #bosa #kissday #zulf_aariz #rukhsaar #urdu #urdupoetry #urduhindi_poetry बोसा - kiss रुख़सार - cheeks आरिज़ - eyes मयस्सर - a
AKHIL
vakt ki ret pr banau tujhe ya mitau tujhe, chhod doo yaa ak baar apna bna loo tujhe! apni ankho ki palko pe bitha loo tujhe, yaa fir apni rooh me sma loo tujhe!! 💔Chiwu💔 💔Alfaz-e-kasim 💔 आरिज़🖋 meenu Rana Ayushi bansal Prita चतुर्वेदी 🖋📕🙏
mustajaab Hasan
ये अंशू नहीं मेरे आरिज़ पे, एक भूली हुई मुहब्बत है जो एक दम से याद आया मुझको ©mustajaab Hasan #meltingdown ये अंशू नहीं मेरे आरिज़ पे एक भूली हुई मुहब्बत है जो एक दम से याद आया मुझको
Ravi Sharma
तेरे आरिज़ ए गुलनार से निगाहों को रूकसक्त नहीं मिलती मगर आरज़ू करो जितनी दिल को वो तलावत नहीं मिलती ©Ravi Sharma #retro तेरे आरिज़ ए गुलनार से निगाहों को रूकसक्त नहीं मिलती मगर आरज़ू करो जितनी दिल को वो तलावत नहीं मिलती
Parastish
लगाना रंग कुछ ऐसे मिरे दिल-दार होली पर करे दो चार को घायल सर-ए-बाजार होली पर हवा में हो उठे हल-चल, बहारें रश्क कर बैठें यूँ सर से पा लगूँ मैं प्यार में गुल-बार होली पर निगाहों से छिड़क देना यूँ चश्म-ए-शोख़ का जादू लगें मय का कोई प्याला मिरे अबसार होली पर लबों की सुर्ख़ रंगत को, यूँ मलना तुम मिरे आरिज़ कि तितली गुल समझ के चूम ले रुख़्सार होली पर अबीरों ओ गुलालों से, हो फ़नकारी मुसव्विर सी धनक आ के गिरे दामन में अब के बार होली पर ©Parastish चश्म-ए-शोख़ - lovely eyes अब्सार - आँखें आरिज़ - रुख़्सार/गाल फ़नकारी - कलाकारी/ artistry मुसव्विर - चित्रकार/painter धनक - इंद्रधनुष/rai
SURAJ आफताबी
जितने दिन दूर तुमसे तुम्हारा यार रहा सिल्लियां बर्फ़ की जमीं रही कल्ब़ पर तुम्हारी क़सम 'सूरज' तुम्हारा बड़ा बीमार रहा ! छ: दिन भी बड़े रूख़े गुजरे, उदास बड़ा इतवार रहा मैं सो गया तेरी सूरत-ए-अश'आर सीने से लगाकर फिर चूमता मुझे रात भर शबनमी दरबार रहा ! दीदार-ए-रुख़ में 'एक' दिन कुछ इस तरह बना दीवार रहा वस्ल का दिन मुकर्रर था सुबह 'एक' मार्च की फ़रवरी अठ्ठाइस को मैं समझता उनतीस का अख़बार रहा ! जिस रात जुन्हाई उतरी थी उनके छज्जे से खिड़की पर उस अलसुबह से अब तक हुस्न उनका तलवार की धार रहा ! जब तलक न चूमी थी कंगन बहाने कलाई, गानी बहाने आरिज़ तब तलक तो था मेरा फिर चैन-ओ-करार भी उनका तलबगार रहा ! Inspired कविता😊 कल्ब- दिल सूरत-अ-अश'आर - ग़ज़ल जैसी सूरत शबनमी दरबार - होंठ आरिज़ - गाल जुन्हाई - चांदनी #कविताएँज़िंदारहतीहैं
AKHIL
गणेश की ज्योति से नूर मिलता हैं सबके दिलो को सुरूर मिलता हैं जो भी जाता हैं गणेश के द्वार कुछ न कुछ उन्हें जरूर मिलता हैं गणेश की ज्योति से नूर मिलता हैं सबके दिलो को सुरूर मिलता हैं जो भी जाता हैं गणेश के द्वार कुछ न कुछ उन्हें जरूर मिलता हैं रूहदार आरिज़🖋 Mohi
हर्षित दीक्षित"हर्ष"
रफ़्ता-रफ़्ता आज मेरी गली में एक महताब छाया होगा, शायद! उस चांद से मिलने ख़ुद ख़्वाब आया होगा। क़तरा-क़तरा बहाया था आंखों से उस रूख़्सार-ए-जमाल के ख़ातिर मैंने, पर तलब ऐसी की अपने हाथों से किसी ने उसके नक़्श को सजाया होगा। दैर पर आतिश बहुत थी तब अक़ीदत उसकी देखी मैंने, मुन्तज़िर हूँ उसका जिसकी हया ने एक ना-चीज़ को पागल बनाया होगा। तक़ल्लुफ़ क्यों करूँ मैं उस महबूब की जिंदगी-ए-साज से, जिसके बस एक स्पर्श ने मुझे दीवाना बनाया होगा। बहुत मशग़ूल था वो चाँद अपने मन्सूब के ख़्यालों में, जिसकी लज्जत ने मेरे आरिज़ को बेइंतिहा महकाया होगा। गज़ल💕💕 शब्दार्थ👇👇 रफ़्ता-रफ़्ता- धीरे-धीरे क़तरा-बूँद रूख़्सार-गाल/कपोल जमाल-सौन्दर्य/खूबसूरती तलब-इच्छा नक़्श-निशान