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"Kumar शायर"
In the book of life, that page is still incomplete, on which the name is written, we have completed it...! ✍️.✍️.✍️ ©Umesh kumar #किताब ज़िन्दगी की
Aनुभा
दिल की किताब मेरी हर कोई पढ़ नहीं सकता।हर शब्द दर्द का कतरा है ,हर कोई सह नहीं सकता। दिल की किताब...
shashi bala
किताबें दिल की किताब में गुलाब उनका है, आंखो में ख़्वाब सिर्फ उनका है। पूछे कोई प्यार कितना है उनसे, मर जाएंगे उनके बिन तो ज्वाब दिल का है। दिल की किताब
आपका अरविंद
*जिंदगी* तेरे नखरों से बेहतर तो.. गणित की किताब थी । देर से ही सही समझ तो आती थी गणित की किताब
Sanjana jain
अपनी जिन्दगी की किताब के पूरे पन्ने कभी भी मत खोलना क्योकि कुछ पन्ने कवर के नीचे छुपे ही अच्छे होते है जिन्दगी की किताब
Neha Dodiya ❤
दिल की किताब के हर पन्ने पर उसका नाम लिखा था हमने... मगर देखो उस किताब को कभी पढा ही नहीं उसने... -Neha दिल की किताब....
Neelam bhola
पलट रही थी कल किताब के पन्ने कुछ, किताब कुछ पुरानी हो चली थी, जिंदगी की किताब थी मेरी शायद, कुछ अधूरी कुछ मुकम्मल हर कहानी हो चली थी, कुछ पन्ने फटे थे,शायद रास ना आए किताब को, कुछ मुड़े हुए पन्ने भी थे उसमें, कभी पढ़ने थे फिर दोबारा शायद, पर कभी वक्त ही ना आया, मुड़े उन पन्नों को सीधा कर देख पढ़ने का, कुछ पन्ने बहुत उजले से थे, कुछ जरा धुंधले पड़े थे, यादों के वो पन्ने कुछ काले सफेद, कुछ जरा रंगों से भरे थे, कुछ पन्ने अजीब सी तस्वीरें लिए थे, कुछ पन्ने जिसे देखकर मैं खुद को ही ना पहचान पाई, कुछ तस्वीरें थी ऐसी मानो चाँदी- सोने से हो सजाई, हर तस्वीरें कहती कुछ कहानी थी, कहाँ गुजरा बचपन, कहाँ हुए बड़े, कहाँ गुजरी जवानी थी, तस्वीरें मेरी किताब की कुछ बेढंगी, कुछ कलाकारी का अजब नमूना थी, कुछ तस्वीरें खुद ब खुद बोलती, कुछ तस्वीरें चुपचाप मुझे ही निहारती हो जैसे, मौन,निशब्द,उदास कोई सूना सा कोना हो जैसे, कुछ कहानियाँ, कुछ पात्र भुलाएँ भी ना भूलें कभी मैंने, कुछ चाह कर भी याद ना रख पाई ता उम्र मैं, किताब की शुरुआत से अंत तक बड़ा रोमांच फैला है, मानो नाटक का पटल हो कोई मेरा किरदार बड़ा रुपैहला है, शायद हर किसी की किताब भी ऐसी ही रोमांचक होती होगी, लिखने बैठो तो हर एक बात, खत्म ही ना होती होगी, हर इक दिन,हर इक रात,हर इक पहर अलग था, जहाँ गुजरी जवानी थी,सबका वो अलग एक शहर था, कुछ आँखों की नमी से गीले पन्ने थे, कुछ अधूरे लिखें,कुछ जरा सिसकते से पन्ने थे, जिंदगी की किताब थी मेरी शायद, बड़े ही अजीब बड़े रूपहले पन्ने थे।।। ©Neelam bhola जिंदगी की किताब