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Sunil itawadiya
क्या बताऊं क्या है, जादू तेरी सारी बातों में, सोचता रहता हूं अक्सर, तुझको तन्हा रातों में 🙊🤗 क्या बताऊं क्या है, जादू तेरी सारी बातों में, सोचता रहता हूं अक्सर, तुझको तन्हा रातों में 🙊🤗
Ujjwal Sharma
एक बात कहूँ यूँ न पूछा करो बार बार की मैं कैसा हूँ? मैं शायद रो पडूँ मेरे आबशारों का पानी लौट आया हैं वो मयस्सर हैं उन सारी बातों में जिनको मैं किसी से कह नही सकता इसलिए कहता हूँ यूँ न पूछा करो उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma एक बात कहूँ यूँ न पूछा करो बार बार की मैं कैसा हूँ? मैं शायद रो पडूँ मेरे आबशारों का पानी लौट आया हैं वो मयस्सर हैं
Ujjwal Sharma
एक बात कहूँ यूँ न पूछा करो बार बार की मैं कैसा हूँ? मैं शायद रो पडूँ, मेरे आबशारों का पानी लौट आया हैं, वो मयस्सर हैं उन सारी बातों में जिनको मैं किसी से कह नहीं सकता, इसलिए कहता हूँ यूँ न पूछा करो की मैं कैसा हूँ? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma एक बात कहूँ यूँ न पूछा करो बार बार की मैं कैसा हूँ? मैं शायद रो पडूँ, मेरे आबशारों का पानी लौट आया हैं, वो मयस्सर हैं
lalitha sai
अब आपको तय करना है.. जिस रिश्ते में छोटी छोटी बातों को समझकर सिर्फ और सिर्फ बड़ी बड़ी बातों पर ही आपस में मतबेद होता है वहाँ एक गहरा रिश्ता होता है!! जिस रिश्ते म
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat तेरी हस्ती नज़रों में ख़ुद को तलाश रही थी तेरी सारी बातों में ख़ुद को पुकार रही थी यादों के समुंदर में ख़ुद को महका रही थी समुंदर की लहरों में ख़ुद को बेहका रही थी जुदाई में भी यादों को पुकार कर रुला रही थी रोती अश्रु से एक नई तस्वीर बना रही थी लौट कर फिर आंसू बहा रही थी यादों को ताज़ा कर जला रही थी कभी ख़ुद को कभी उसको बुला रही थी चलती सासो में ख़ुद को महका रही थी #respect #memories #love #yqdidi #yqbaba Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat तेरी हस्ती नज़रों में ख़ुद को तलाश रही थी तेरी सारी बातों में ख
Sandeep Kothar
रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक है और एक दूसरे की आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार है...! एक भाई दूसरे का घर बनते क्यों नहीं देख सकता? क्या सिर्फ इसलिए की हमारी आस्था में फर्क हैं...! बड़े गर्व से हम विविधता में एकता कहते हैं, मगर इतिहास के काले पन्नों को देख, वर्तमान में अपनों से क्यों लड़ते हैं..? पूछिएगा अपने आपसे कभी.. क्या आज कोई रंग, रूप, धर्म, जाती का भेद हमारे बिच बचा हैं..? दोस्तों इन सारी बातों में कुछ लोगों का, सिर्फ वोट बैंक छिपा हैं..! ©Sandeep Manohar Kothar रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक है और एक दूसरे की आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार है...! एक भाई दूसरे का घर ब
Sandeep Kothar
रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक हैं.. और धर्म, आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार हैं...! एक भाई दूसरे का घर बनते क्यों नहीं देख सकता? क्या सिर्फ इसलिए की हमारी आस्था में फर्क हैं...! बड़े गर्व से हम विविधता में एकता कहते हैं, मगर इतिहास के काले पन्नों को देख, वर्तमान में अपनों से लड़ते हैं...! पूछिएगा अपने आपसे कभी.. क्या आज कोई रंग, रूप, धर्म, जाती का भेद हमारे बिच बचा हैं..? दोस्तों इन सारी बातों में कुछ लोगों का, सिर्फ वोट बैंक छिपा हैं..! संदीप मनोहर कोठार ०५-०८-२०२० रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक हैं.. और धर्म, आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार हैं...! एक भाई दूसरे का घर बनत
saurabh
सच को फिर से असर में आना है... , हम को फिर रह गुजर पे आना है... , मेरी मुस्कुराहट यूँ कम नहीं होगी मुझको हर दर्द मुस्कुराना है..... !! मन पर ठहरी एक विसंगति क्या मन गाएं वो शायद हमको समझे सौ जनम लगाएं उसके हाथों में बांधी थी , डोर प्रेम की उसने उसको शक्तिहीन समझा और तोड़ा ह
Harshita Dawar
बातें.. कुछ बात करने का मन हैं. कुछ पूछने कुछ जताते का मन हैं. मेरी नींद में तुम्हारा आना ये कैसे हमदम हैं मेरी मौजूदगी तुम्हारी जिंदगी में कितनी शामिल हैं. आगे पढ़े..... Insta@dawarharshita बातें.. कुछ बात करने का मन हैं. कुछ पूछने कुछ जताते का मन हैं. मेरी नींद में तुम्हारा आना ये कैसे हमदम हैं मेरी मौजूदगी तुम्हारी जिंदगी में