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ASHKAR Shahi
हाँ, तुम्हारी सोच से परे हूँ मैं तुमने बोला था उससे भी बुरी हूँ मैं, झूठ धोखा फरेब यहीं जात हूँ मैं, खूबसूरत शोखी तो नहीं हूँ मैं, पर दुश्मनों को बर्बाद कर दूँ वो खलनायिका हूँ मैं.... हाँ, तुम्हारी सोच से परे हूँ मैं तुमने बोला था उससे भी बुरी हूँ मैं, झूठ धोखा फरेब यहीं जात हूँ मैं, खूबसूरत शोखी तो नहीं हूँ मैं, पर दुश्म
Parul Sharma
Pyar aur Dosti अजब प्रेम की गजब कहानी टूथपेस्ट का नमक,कोयला व चार कोल से बड़ा पुराना याराना था।उनकी ये दोस्ती जाने कब प्रेम में तब्दील हो गयी किसी को कानों कान खबर व हुई।किसी टूथपेस्ट को नमक,किसी टूथपेस्ट को चारकोल तो किसी टूथपेस्ट को कोयले से प्यार हो गया।वह अपनी दुनिया में हंसी खुशी प्रेम के गीत गा रहे थे।उनकी प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी।वो पहली बार 14 फरवरी को किसी घर की बगीया पर मिले थे जहाँ तरह तरह के रंगबिरंगे फूल लहलहा रहे थे सुबह की बसंती भीनी मंद शीतल बयार उन दोनों के दिलों में प्यार की ज्योति जला रही थी। ब्रश पर बैठे टूथपेस्ट की निगाहें अलाव में दधकते कोयले से हटती न थी।और कोयले की तो धड़कनें बस थम सी गयी थी ब्रश के सिंहासन पर बैठे राजकुमार पर। कोयला टूथपेस्ट के चाँदनी जैसे रंग पर मर मिटा था उधर टूथपेस्ट कोयले की काली रात के से रंग पर फिदा हो चुका था। दोनों की मुलाकात बगिया में इसी तरह होती और दोनों सारी दुनिया से बेखबर अपनी प्रेम नगरी में डूबे रहते थे।रोज बिछड़व भी होता था पर टूथपेस्ट और कोयला हर सुबह उसी बगिया में एक दूसरे का इंतजार करते थे।और मिलने पर प्रेम के गीत गाते थे।जाने कैसे इस प्रेम कहानी की खबर टूथपेस्ट की पिता(टूथपेस्ट की कंपनियाँ) जी को लग गयी।जाने क्यों टूथपेस्ट के पिताजी को ये जोड़ी पसंद नहीं आयी।टूथपेस्ट राजकुमार और कोयला एक गरीब घर की बेटी।सो प्रेम के दुश्मन बेरहमी कंपनी वालों ने उन्हें अलग करने की ठान ली।और अपने बेटे टूथपेस्ट को काफी समझने बुझाने की कोशिश की पर (पूरी कहानी caption में पढ़ें) #NojotoQuote ऐं भई कुछ भी ।।अजब प्रेम की गजब कहानी।। टूथपेस्ट का नमक,कोयला व चार कोल से बड़ा पुराना याराना था।उनकी ये दोस्ती जाने कब प्रेम में तब्दील हो
entertainment intertenment&intertenment
हक़ीक़त कौन जाने🙂 (आज के कैप्शन में) बहुत पुरानी बात है शायद!पर आज भी जिंदा है. आज से 30 साल पहले, 2 अक्टूबर 1990 को रेखा के पति मुकेश की आत्महत्या से मृत्यु हो गई... मुकेश के
Arsh
मेरी यह रचना उस चिट्ठी को समर्पित है जो मुझे यहीं इस #NOJOTO पर एक पोस्ट के रूप में दिखी थी। मुझे उस चिट्ठी के भाव इतने पसंद आएं कि बस उसचिट्ठी के शब्दों को आप तक पहुँचाने के लिए अपनी कल्पना से गुलमोहर की रचना कर पाया। कहानी में आगे आपको वह चिट्ठी हूबहू पढ़ने को मिल जाएगी। मेरी इस कहानी को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं उम्मीद है आपको पसंद आएगी जब भी इस पार्क में टहलने आता हूँ, चमककर वो चेतन चेहरा सामने आ हीं जाता है। उसे यहीं.. इसी पार्क में जॉगिंग करते देखा करता था। नव्या थी, उम्र