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@Pappu Rajbhar 7434
तू जुदा हुए तो क्या हुआ गिर के संभलना आता है अपनों ने धोखा दिया चलना हमको आता है ©@Pappu Rajbhar 7434 अपनों ने दिया धोखा 😭😭❤️🙏🏽
Shankdhar Sumit
बड़ा गुरूर मुझको मेरे यार पर था, बाद में पता चला मेरा ऐतबार इक गद्दार पर था. ©Shankdhar Sumit #दोस्त. #धोखाधड़ी. #अपनों ने दिया धोखा. #blackandwhite
mr. Choudhary
लगाव हो जाए किसी से तो क्या कीजिए!!! कुछ तो थोड़ा दर्द सहा कीजिए.. दर्द सहो यार, अपनों ने दिया है नयनसी परमार Internet Jockey Balakrishna Bina Babi Aahna Verma
SUBHASH CHAURASIYA
#जब अपनों ने दिया धोखा तो गैरो से क्या कहना रोहित तिवारी । अल्फ़ाज़BooK 📖 Abha Singh Gopal(gopu) Rashima Sukh @Sonam
pankajbansal
Kuldeep KumarAUE
जब मैं भूखा था मेरा साथ किसी ने नहीं दिया न ही जाति ने दिया न ही धर्म ने दिया न ही रिश्तों ने दिया न ही अपनों ने दिया क्योंकि मेरे पास कुछ बचा ही नहीं था उस समय मेरा साथ मां-बाप ने दिया ©Kuldeep KumarAUE #wholegrain जब मैं भूखा था मेरा साथ किसी ने नहीं दिया न ही जाति ने दिया न ही धर्म ने दिया न ही रिश्तों ने दिया न ही अपनों ने दिया क्योंकि म
ittu Sa
झुमके वाली का साथ भी अपनों ने दिया था, तभी आज सब उन्हें जानते हैं । वरना nojoto में आने से पहले क्या थे वो ,कौन जानता था उन्हें,बस एक लड़की थी। Talent कितना भी भरा हो कूट कूट के,जब तक अपनों का साथ ना हो। आसमान को छूना तो दूर जमीन पर चलना मुश्किल है ,सालों लग जाते हैं आसमान को छूने में।अगर अपनों का साथ हो तो एक पल में दुनियाँ मुट्ठी में कर लें हम। जब जब साथ अपनों ने दिया हैं, बेटी ने नाम रौशन किया हैं। इत्तु सा पैग़ाम अपनों के साथ के नाम। #nojoto #kalakaksh #jhumkiwali झुमके वाली का साथ भी अपनों ने दिया था, तभी आज सब उन्हें जानते हैं । वरना
"भावना मन की..."
अभिलाष सोनी
कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 1 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- दर्द से दिल अब तक भरा नहीं। चाहत थी सब कुछ पाने की, पर हमको तो कुछ मिला नहीं। जो अपने थे वो छोड़ गए, हमको अब उनसे कोई गिला नहीं। क़िस्मत में है जो लिखा ख़ुदा ने, हर दर्द वो मुझको झेलना है। सब साथी मुझको छोड़ गए, वफ़ाओं का भी कोई सिला नहीं। जो ज़ख़्म है अपनों ने दिया, उस ज़ख़्म को ताउम्र झेलना है। जो ज़ख़्म है मेरे दिल पे लगा, उस ज़ख़्म से कुछ गहरा नहीं। अपनी तक़लीफ़ों का दोषी, मैं और किसी को भी मानता नहीं। सबने ही मुझको दर्द दिया, पर दर्द से दिल अब तक भरा नहीं। मुश्किल लगता था जीना मुझको, यूँ तन्हा अकेले रहकर भी। तन्हा चलकर भी इस सफ़र में, साहिल तो अब तक मरा नहीं। कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 1 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- दर्द से दिल अब तक भरा नहीं। चाहत थी सब कुछ पाने की, पर हमक
Mohammad Arif (WordsOfArif)
दर्द जो मिला है हमें उसे ही तो पी रहा हूं अपनों ने दिया है ग़म इसलिए जी रहा हूं मुसस्लसल मोहब्बत की बात करता हूं उन्होंने ने पाला है हमें तभी तो मर रहा हूं क़ैद खाने से हम सब आजाद होना चाहते है इसलिए मैं अपने बच्चों के साथ लड़ रहा हूं तू हमें अपना ना समझ कोई ग़म नहीं देख हम एक दूसरे से कंधे से कंधा मिला रहा हूं फकत बस इतनी सी मजबूरी है उन लोगों की जरा सी बात पे मैं एक दूसरे को समझा रहा हूं मजबूरियां बयां कर दे तो कुछ बचा ही नहीं आरिफ अपने पुरखों की विरासत बचा रहा हूं दर्द जो मिला है हमें उसे ही तो पी रहा हूं अपनों ने दिया है ग़म इसलिए जी रहा हूं मुसस्लसल मोहब्बत की बात करता हूं उन्होंने ने पाला है हमें त