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Jitender Nath
जमूरे खेल दिखायेगा दिखाएगा! विदेशी कपड़े जलाएगा जलाएगा! नमक का मोल चुकाएगा चुकाएगा! कोई मारे तो मर जाएगा मरजायेगा! दूसरा गाल तू बढ़ाएगा बढ़ाएगा! अहिंसा को अपनाएगा अपनाएगा! देश को अपने बटवायेगा बटवायेगा! ईस पार से उस पार जाएगा जाएगा! अपनो को तू मरवाएगा मरवाएगा! मेरा नारा लगाएगा लगाएगा! हे राम। मान जाएगा मान जाएगा। बच्चों बजाओ ताली जमूरा खेल दिखाएगा! सबको बाप बनाएगा बनाता ही रह जाएगा! #जमूरे1
LOL
कुछ रंग भरे कुछ कोरे-कोरे हैं.. एक ही मदारी के हम सब जमूरे हैं ! #जमूरे #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yq #मदारी #yqdiary
writervinayazad
✍️✍️ जमूरे तान कर सीना खड़े हैं मदारी डमरू बजाने लगा है ✍️✍️ बड़ी मुश्किल से दाना सटकती है मन गौरय्या का अकुलाने लगा है ©writervinayazad ✍️✍️ जमूरे तान कर सीना खड़े हैं मदारी डमरू बजाने लगा है ✍️✍️ बड़ी मुश्किल से दाना सटकती है मन गौरय्या का अकुलाने लगा है #writervinayazad
Kunwar arun ¥
तेरी सांस के सुरीले कुछ लकूरे रह गये हैं तेरी जुल्फों के मदहोश सुरूरे रह गये हैं तेरा मेरी कलम से ये मुखालिफत कैसा है तेरे जाने से कुछ गीत अधूरे रह गये है यहां दंगा वहां दंगा सरकारों से क्या पंगा शहर भर मे बेतकल्लुफ बे सबूरे रह गये हैं बस झूठी अजिय्यत है जिन्हें मुल्क के नाम पे उतार फेंकें है शर्म वो जमूरे रह गये हैं छह बज गए दफ्तर के सभी बाबू घर जा चुके कारखाने मे अब भी कुछ मजूरे रह गये हैं गिरती जिंदगी-ए-खिश्त की यह कैफ़ियत कैसी फुर्कतो मे अब भी 'कुंअर ' हुजूरे रह गये हैं कुंअर अरुण Poet&writer lyricits shayar तेरी सांस के सुरीले कुछ लकूरे रह गये हैं तेरी जुल्फों के मदहोश सुरूरे रह गये हैं तेरा मेरी कलम से ये मुखालिफत कैसा है तेरे जाने से
Shivkumar
खुद पर ही खुद के फैसले , अब भारी हो गए कल तलक था सब कुछ, अब भिखारी सा हो गए बदल गया है दुनिया का चलन कितना यारो, जो शिकार कभी खुद से करते थे कभी, अब वो ही शिकारी हो गए क्या याद करना अब उन गुज़रे हुए लम्हों को, कल तक तो हम ही हम थे, अब अनाड़ी सा हो गए यारो न आया आज तक भी लगाना दाव हमको, मगर इधर तो सारे लोग ही, अब जुआरी सा हो गए न आता था कभी जिनको जुबां चलाना भी यारो, कमाल है कि हर फन के वो, अब खिलाड़ी सा हो गए वक़्त बदल देता है लोगों की किस्मत को ' मिश्र ' , जो दिखते थे कल तक जमूरे, अब मदारी सा हो गए ©Shivkumar #Preying खुद पर ही खुद के #फैसले , अब #भारी हो गए कल #तलक था सब कुछ, अब #भिखारी सा हो गए #बदल गया है #दुनिया का चलन कितना यारो, जो
smriti srivastava
अभी कुछ दिनों पहले में कही किसी काम से गया था वहा मेने देखा कि एक खेल दिखाने वाला परिवार खेल दिखा रहा था मेने देखा कि खेल दिखाने वाला वो इं
Nisheeth pandey
कौतूहल ********* तुमरी यादों की कौतूहल हृदय में उठी, खुली आँखों में स्वप्न्न का रात भर जागरण हो गया .... वेदना जब मुस्कुराने लग गया, अश्क का अवतरण होने लग गया ...… चांद ने तारों की बादल नें बारिश की, रात नें रात भर सिसकने सा बात की, चेतना मौन रहीं अश्क सहलाता गाल रहा, पलकें धीरज धरे नयन बहाता अश्क रहा, चांद आये गए किन्तु तुम, आसमान से उतरी नहीं.... परी बनकर क्षण क्षण इन्तेजार में ढलता गया ,... स्नेह ने कहा वेदना नें सुना, वेदना ने कहा हृदय नें सुना.... स्वप्न जितनें रहे सब अधूरे रहे, समय था मदारी हम जमूरे रहे..... नीयति के तपन में जब समय जला, आनंदमय शब्द ही आवरण हो गया ....… अपने जो कहते थे कही अनसुनी रहस्यमयी हो गये, पीड़ बढ़ती गई न जाने कितने बढ़ते गये.... मौन हो गयी कामनायें अनकही अभिलाषा दब गई, एक करुण ज्वाला जली एक द्वेषमयी सरिता बही...…. द्वंद में आत्मा के ज्वार से मृत अन्तःकरण हो गया .... अनसुनी संवाद सुन नयन नित सरिता रही, स्वप्न की बला प्राण खाती रही, मन बिकल बाँचता मौन के मर्म को, हर पहर जीये कैसे "निशीथ" पथ कर्म को, प्रतिज्ञा प्रचंड जैसा बने या नहीं किन्तु , अपनो से अर्जुन सा द्वन्ध हो गया .... #निशीथ ©Nisheeth pandey कौतूहल ********* तुमरी यादों की कौतूहल हृदय में उठी, खुली आँखों में स्वप्न्न का रात भर जागरण हो गया .... वेदना जब मुस्कुराने लग गया, अश्क